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पंजाब:पटियाला से निष्कासित हुए गुजरलाल मोदी ने शराब न पीने पर बसा दिया औद्योगिक शहर

पंजाब के प्रसिद्ध पटियाला पैलेस में 1932 में आयोजित पार्टी में शराब पीने से मना करने पर एक 30 वर्षीय व्यक्ति को पटियाला रियासत से निष्कासन की सजा भुगतनी पड़ी

03:55 PM Feb 04, 2022 IST | Desk Team

पंजाब के प्रसिद्ध पटियाला पैलेस में 1932 में आयोजित पार्टी में शराब पीने से मना करने पर एक 30 वर्षीय व्यक्ति को पटियाला रियासत से निष्कासन की सजा भुगतनी पड़ी

पंजाब के प्रसिद्ध पटियाला पैलेस में 1932 में आयोजित पार्टी में शराब पीने से मना करने पर एक 30 वर्षीय व्यक्ति को पटियाला रियासत से निष्कासन की सजा भुगतनी पड़ी। तब कोई नहीं जानता था कि निष्कासन का दर्द झेलने वाला यह व्यक्ति गुजरलाल मोदी कुछ ही साल बाद एक पूरा औद्योगिक शहर बनाकर हजारों लोगों को आसरा देगा।
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औद्योगिक जगत में किया मुकाम हासिल
पटियाला महाराजा ने तब ऐसे व्यक्ति को शराब न पीने की सजा दी थी, जिसने कभी शराब को हाथ भी नहीं लगाया था। गुजरलाल मोदी के लिए लेकिन पटियाला की रियासत से निकाले जाने की घटना एक वरदान साबित हुई और उन्होंने कुछ ही साल में देश के औद्योगिक जगत में अलग मुकाम हासिल कर लिया।गुजरलाल मोदी अपने कारखाने के लिए एक नयी जगह की तलाश कर रहे थे और तलाश आकर खत्म हुई दिल्ली के पास के एक गांव बेगमाबाद पर, जो आगे चलकर मोदीनगर शहर के रूप में स्थापित हुआ। इसी गांव में मोदी समूह की नींव डाली गयी और सबसे पहले इस औद्योगिक सफर की शुरूआत एक चीनी मिल से हुई थी ।हालांकि बाद में टायर, कपड़ा, कॉपी मशीन, सिगरेट, दवा, तेल, स्टील आदि कई कारोबार भी इस समूह से जुड़ते चले गए।
गुजरलाल मोदी ने लिखी एक किताब
सोनू भसीन ने गुजरलाल मोदी के कारोबार सफर को लेकर एक किताब गुजरलाल मोदी: द रिजॉल्यूट इंडस्ट्रियलिस्ट लिखी है। इस किताब का प्रकाशन हार्पल कॉलिंस ने किया है। इस किताब में बताया गया है कि किस तरह एक युवा ने विपरीत परिस्थितियों को एक अवसर के रूप में तब्दील कर दिया और इतिहास की रचना की। गुजराल मोदी ने एक ऐसे औद्योगिक शहर की स्थापना की, जो अपने समय से काफी आगे था, इससे काफी लोगों को रोजगार मिला और भारतीय विनिर्माण क्षेत्र को नयी गति मिली।
गुजरलाल मोदी के परिवर्तित विचार
गुजरलाल मोदी ने अपने समूह की आमदनी से उस वक्त 10 प्रतिशत राशि को सामाजिक दायित्व के रूप में आवंटित करना शुरू किया, जब कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व जैसे शब्द अस्तित्व में ही नहीं थे। मानव संसाधन के क्षेत्र में उनके द्वारा की गयी पहलें भारतीय कारोबार के इतिहास में मानक हैं।यह किताब भारतीय उद्यमियों पर आधारित सीरीज की पहली किताब है। इसमें उदारीकरण के पहले के दिनों और उस दौरान की भौगोलिक परिस्थितियों, संस्कृति तथा इतिहास का जिक्र है।
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