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पंजाब को भारत के लिए अन्न उपजाने की जिम्मेदारी से राहत मिलनी चाहिए : मनप्रीत सिंह बादल

योगदान देने के अपने प्रयासों में ‘‘एक चरण’’ पूरा करने के बाद, पंजाब ने देखा है कि उस ‘‘सुंदर चित्र’’ (राज्य) में कुछ खाली पृष्ठ रह गए हैं।

03:30 PM Aug 29, 2019 IST | Desk Team

योगदान देने के अपने प्रयासों में ‘‘एक चरण’’ पूरा करने के बाद, पंजाब ने देखा है कि उस ‘‘सुंदर चित्र’’ (राज्य) में कुछ खाली पृष्ठ रह गए हैं।

पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने गुरुवार को संकेत दिया कि पंजाब अब ‘‘भारत की रोटी की टोकरी’’ नहीं बने रहना चाहता और इसके बोझ से राहत पाना चाहता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश अब निवेश और व्यापार को आकर्षित करने के लिए उत्सुक है। 
भारतीय उद्योग परिसंघ द्वारा आयोजित 8 वें ‘‘इन्वेस्ट नॉर्थ’’ शिखर सम्मेलन में उन्होंने कहा, भारत के विकास में योगदान देने के अपने प्रयासों में ‘‘एक चरण’’ पूरा करने के बाद, पंजाब ने देखा है कि उस ‘‘सुंदर चित्र’’ (राज्य) में कुछ खाली पृष्ठ रह गए हैं। 
बादल ने कहा कि पिछले 70 वर्षों से, पंजाब को ‘भारत की रोटी की टोकरी’ या भारत के अन्न भंडार के रूप में विकसित किया गया है। यह उस समय से चलता आ रहा है, जब देश में खाद्यान्न पर्याप्त मात्रा में नहीं हुआ करता था और विदेशी खाद्य सहायता पर निर्भर रहना पड़ता था। 
उन्होंने कहा, ‘‘पंजाब भले ही भारत का केवल 1.53 प्रतिशत भूभाग है, लेकिन आज भी हम भारत में सभी खाद्यान्नों व अनाज उत्पादन में 32 प्रतिशत का योगदान दे रहे हैं।’’ बादल ने कहा, ‘‘पिछले 70 वर्षों में भारत के लिए खाद्य सुरक्षा प्रदान करने की प्रक्रिया में, हमने वास्तव में हमारी मिट्टी (उर्वरकों के उपयोग से) को जहर बना दिया है और हमने अपने जलाशयों का क्षरण कर दिया है… और हमें पंजाब में ईमानदारी से लगता है कि भारत में हरित क्रांति अब पूरब की ओर बढ़नी चाहिए।’’ 
मंत्री ने कहा, ‘‘भारत का असली खाद्य कटोरा पंजाब नहीं है, न ही हरियाणा है, बल्कि भारत का असली खाद्य कटोरा उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, बंगाल, ओडिशा है। यह वह जगह है जहाँ अब हरित क्रांति होनी चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि पंजाब को खाद्यान्न उगाने के अपने कर्तव्य से मुक्त होना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य कृषि में विविधता ला सकता है। 
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