इस रेलवे स्टेशन पर है आत्माओं का वास,नहीं रुकती रात में कोई भी ट्रेन
लगभग 200 साल देश में रेलवे स्टेशनों की शुरुआत को हो गई है। रेल सुविधा पर आज भी दूर-पास जाने के लिए बड़ी आबादी इस पर ही भरोसा करती है। अगर भारत में किसी ट्रेन स्टेशन को हॉन्टेड
10:22 AM Jan 12, 2020 IST | Desk Team
लगभग 200 साल देश में रेलवे स्टेशनों की शुरुआत को हो गई है। रेल सुविधा पर आज भी दूर-पास जाने के लिए बड़ी आबादी इस पर ही भरोसा करती है। अगर भारत में किसी ट्रेन स्टेशन को हॉन्टेड कहना इसमें बहुत ही हैरानी वाली बात है। भारत में एक ऐसा ही रेलवे स्टेशन हैं जिसे पिछले 42 सालों से भुतहा माना जा रहा है। इस स्टेशन का नाम बेगुनकोडोर है और यहां पर कई अजीबोगरीब हादसे लगातार हुए हैं। बता दें कि इन हादसों के पीछे कुछ रहस्यमयी ताकतों का हाथ बताया गया है।
देश का सबसे हॉन्टेड स्टेशन पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में बेगुनकोडोर रेलवे स्टेशन को कहते हैं। साल 1960 में इस स्टेशन को उद्घाटन हुआ था। इस स्टेशन के बारे में कहते हैं कि एक संथाल रानी ने अहम भूमिका इसे खुलवाने में निभाई थी। स्टेशन के शुरुआती दिनों में सब कुछ सही था लेकिन कुछ रहस्यमयी हादसे 7 सालों बाद अचानक से होने शुरु हो गए।
इस स्टेशन के मास्टर ने 1967 में सफेद कपड़े पहने एक युवती को रेलवे ट्रैक पर घूमते हुए देखा था। स्टेशन मास्टर को शक था कि ट्रेन के सामने युुवती ने खुदकुशी की थी या फिर ट्रेन से उसकी मौत हो गई थी। इस बारे में जब स्टेशन मास्टर ने अपने स्टाफ और परिवार के लोगों को बताया तो उन्होंने अनसुना कर दिया।
यह दावा किया जाता है कि स्टेशन मास्टर ने युवती को देखने के बाद ही आत्महत्या कर ली। इतना ही नहीं रेलवे के अपने मकान में उसका परिवार भी मृत पाया गया। पुलिस हत्या, आत्महत्या ऐसे किसी भी प्रमाण पर नहीं पहुंच पाए। ऐसे परिवार की मौत होने के बाद आसपास के लोग डर गए। इसके बाद लोगों में यह मान्यता हो गई कि सबको उसी भुतहा युवती ने मार दिया। उसके बाद तो अलग-अलग बातें सामने आना शुरु हो गईं।
ट्रैक पर एक सफेद साड़ी में युवती को स्थानीय लोगों ने घूमते हुए देखने का दावा किया। उन्होंने कहा कि रेल के आने पर पटरियों पर युवती साथ-साथ चलती है और वह ट्रेन के सामने कई बार आ जाती है। इस बात को लेकर लोगों के बीच में धीरे-धीरे डर बैठने लगा और हालत ऐसे हो गए कि रेलवे के लोगों ने यहां पर काम करने से मना कर दिया और स्टेशन पर ताला लगा दिया।
यहां पर कोई भी ट्रेन सालों तक नहीं रूकी थी। इस रूट पर अगर ट्रेनें गुजरती भीं तो लोको पायलट उसकी रफ्तार तेज कर देते थे ताकि भुतहा ताकतें ट्रेन पर कोई हमला न कर पाएं। साथ ही बुकिंग भी इस जगह से ट्रेन की बंद हो गई। रेल मंत्रालय के पास भी यह खबर पहुंच गई और हॉन्टेड स्टेशनों में बेगुनकोडोर का नाम शामिल कर दिया।
तत्कालीन मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी ने साल 2009 में इस बेगुनकोडोर स्टेशन को दोबारा से चालू करवाया। अब 10 से ज्यादा इस जगह पर ट्रेनें रुकती हैं लेकिन कोई भी ट्रेन यहां पर रात के समय पर नहीं रुकती और कोई मुसाफिर भी ट्रेन का इंतजार यहां नहीं करता। इस स्टेशन पर विदेशी सैलानी लगभग 40 साल तक घूमने-फिरने आते रहे हैं। हॉन्टेड टूरिज्म में जिन लोगों को दिलचस्पी थी वहीं आते रहे हैं। स्टेशन के दोबारा शुरु होने के बाद रहस्यमयी एक्टिविटी नहीं देखी गई है।
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