क्वाड का साझा बयान: चीन की दबंगई अब बर्दाश्त नहीं, याद दिलाया 2016 का फैसला
वाशिंगटन: क्वाड देशों भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने दक्षिण और पूर्वी चीन सागर में चीन की आक्रामक गतिविधियों पर गंभीर चिंता जताई है। वाशिंगटन में हुई क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में क्षेत्रीय स्थिरता को खतरे में डालने वाली चीन की कार्रवाइयों की कड़ी निंदा की गई है। बयान में कहा गया है कि जहाजों की टक्कर, वॉटर कैनन का इस्तेमाल और समुद्री संसाधनों में हस्तक्षेप जैसी घटनाएं अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन हैं। बिना सीधे नाम लिए, चीन को इशारों में चेतावनी देते हुए क्वाड ने स्पष्ट कहा कि मौजूदा स्थिति को बलपूर्वक या दबाव डालकर बदलने की किसी भी कोशिश का विरोध किया जाएगा।
खतरनाक हरकतों पर सख्त रुख
बयान में सैन्य विमानों और समुद्री मिलिशिया द्वारा की जा रही “खतरनाक और भड़काऊ गतिविधियों” का खासतौर पर उल्लेख किया गया। क्वाड ने कहा कि तटीय संसाधनों के विकास में बाधा डालना, नौवहन की स्वतंत्रता को रोकना और क्षेत्रीय संप्रभुता को चुनौती देना स्वीकार्य नहीं होगा। क्वाड द्वारा उठाए गए मुद्दे हाल के वर्षों में चीन द्वारा फिलीपींस, वियतनाम, मलेशिया और ताइवान के आस-पास की गई कार्रवाइयों से मेल खाते हैं।
2016 के पंचाट फैसले की याद
क्वाड ने 12 जुलाई 2016 को आए अंतरराष्ट्रीय पंचाट (Arbitral Tribunal) के फैसले को एक “ऐतिहासिक मील का पत्थर” बताया है। इस फैसले में चीन के बहुचर्चित नाइन-डैश लाइन वाले दावे को खारिज कर दिया गया था, जिसे वह दक्षिण चीन सागर पर अपना ऐतिहासिक अधिकार बताता है। हालांकि, चीन ने इस निर्णय को खारिज कर और अधिक आक्रामक रुख अपनाया।
क्या है नाइन-डैश लाइन?
नाइन-डैश लाइन एक काल्पनिक रेखा है जो चीन के नक्शों में दक्षिण चीन सागर में खींची जाती है। चीन इस क्षेत्र पर अपना ऐतिहासिक और संप्रभु अधिकार जताता है, जो कि कई दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के समुद्री क्षेत्रों से टकराता है।
चीन की आर्थिक दादागिरी पर भी निशाना
क्वाड ने केवल समुद्री विवाद ही नहीं, बल्कि महत्वपूर्ण खनिज संसाधनों (Critical Minerals) जैसे लिथियम, कोबाल्ट और रेयर अर्थ मेटल्स की आपूर्ति में चीन के वर्चस्व पर भी सवाल उठाया। बयान में कहा गया कि किसी एक देश का नियंत्रण वैश्विक सुरक्षा और आपूर्ति श्रृंखला के लिए खतरा है। बयान में यह चेतावनी दी गई, "यदि पूरी सप्लाई चेन एक देश के हाथ में होगी, तो वह इसे हथियार की तरह इस्तेमाल कर सकता है।" यह सीधा इशारा चीन की ओर है, जो इन खनिजों का सबसे बड़ा प्रोसेसर और निर्यातक है।
अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन ज़रूरी
क्वाड ने संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (UNCLOS) का हवाला देते हुए कहा कि नौवहन की स्वतंत्रता, हवाई उड़ानों की आज़ादी और बेधड़क व्यापार के अधिकारों से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। समुद्री विवादों का हल केवल अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत शांतिपूर्ण तरीके से ही संभव है।
भारत की अगली भूमिका पर टिकी नजरें
चीन का नाम भले ही बयान में प्रत्यक्ष रूप से नहीं लिया गया हो, लेकिन शब्दों की सख्ती साफ दर्शाती है कि क्वाड अब आक्रामक नीति के खिलाफ एकजुट होकर खड़ा है। दक्षिण चीन सागर में चीन की गतिविधियां और वैश्विक खनिज बाजार में उसकी पकड़ को अब रणनीतिक खतरे के रूप में देखा जा रहा है। इस साल भारत अगली क्वाड लीडर्स समिट की मेज़बानी करेगा। अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या यह रुख सिर्फ बयानों तक सीमित रहेगा या फिर ठोस रणनीतिक कदम भी उठाए जाएंगे।