रोहित शर्मा की कप्तानी पर फिर उठे सवाल, फील्डिंग प्लेसमेंट पर शास्त्री और वॉन हुए हैरान
रोहित शर्मा की कप्तानी पर फिर उठे सवाल, फील्डिंग रणनीति पर चर्चा
भारतीय कप्तान रोहित शर्मा की कप्तानी एक बार फिर चर्चा का विषय बन गई है। रविवार को बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के तीसरे टेस्ट के दौरान भारत ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज ट्रैविस हेड को रोकने में नाकाम रहा, जिन्होंने लगातार दूसरा शतक और चार टेस्ट मैचों में तीसरा शतक जड़ा। हेड की विस्फोटक पारी के चलते ऑस्ट्रेलिया ने पहली पारी में 445 रन बनाए। इस दौरान रोहित की फील्डिंग रणनीति और ऑन-फील्ड फैसलों ने पूर्व क्रिकेटरों रवि शास्त्री और माइकल वॉन को हैरान कर दिया।
हेड की आक्रामक बल्लेबाजी और कोहली की पोजिशनिंग पर सवाल
ट्रैविस हेड जब अपने शतक के करीब थे, तो उन्होंने एक कट शॉट इतनी तेज़ी से मारा कि विराट कोहली, जो बैटर के पास ही 20 मीटर की दूरी पर खड़े थे, रिएक्ट करने का मौका भी नहीं पा सके। गेंद कोहली की पकड़ के दायरे से होकर गुजरी, लेकिन वे उसे पकड़ नहीं सके। इस घटना के बाद रोहित शर्मा के फील्ड प्लेसमेंट पर सवाल उठने लगे।
रवि शास्त्री ने कमेंट्री के दौरान कहा कि भारतीय टीम का फील्डिंग सेटअप ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को रोकने के बजाय रन लुटाने वाला था। उन्होंने कहा, “जब आप इस तरह का फील्ड सेट करते हैं, तो यह बड़ा नुकसान कर सकता है। आपने सिर्फ रन रोकने की कोशिश की, लेकिन इस तरह आप ऑस्ट्रेलिया को रोक नहीं सकते। ट्रैविस हेड हर ओवर में एक बाउंड्री लगाने की कोशिश में थे, और वह आसानी से 7-8 रन प्रति ओवर बना रहे थे। यह फील्ड सेटिंग बल्लेबाज को और ज्यादा रन बनाने का मौका दे रही थी।”
‘रोहित का कप्तानी का यह दिन खराब रहा’
इसी बीच, इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वॉन ने भी रोहित शर्मा की रणनीति की आलोचना की। उन्होंने कहा, “भारतीय टीम किसी भी रणनीति पर लंबे समय तक टिक नहीं पा रही थी। क्या वे उन्हें स्लिप में आउट करना चाहते थे? क्यों नहीं बाउंसर या फुल लेंथ की गेंदबाजी करके दबाव बनाया गया?”
फॉक्स क्रिकेट के विशेषज्ञ केरी ओ’कीफ ने भी रोहित की कप्तानी को नकारात्मक बताया। उन्होंने कहा, “रोहित का यह दिन कप्तान के तौर पर अच्छा नहीं रहा। वे कहेंगे कि पिच बल्लेबाजों के लिए आसान थी, लेकिन ऑस्ट्रेलिया पर दबाव बनाना बेहद जरूरी था, जो भारतीय टीम नहीं कर सकी।”
इस प्रदर्शन के बाद भारतीय टीम की कप्तानी और फील्डिंग रणनीतियों पर सवाल उठना लाजमी है।