यूपी की नौकरशाही पर उठे सवाल
पिछले दिनों अमेरिका में सीपैक (कंजरवेटिव पॉलिटिकल एक्शन कांफ्रेंस) यानी फेडरल…
‘विदा लेती शाम ने आसमां के कोतवाल से बस यही चाहा था
जब अंधेरों का शृंगार किए पंख फैलाती यह रात ज़मीं पर उतरे
तो चांद का मुंह काला न हो, पर नासमझ मेघों ने यह भी न होने दिया’
पिछले दिनों अमेरिका में सीपैक (कंजरवेटिव पॉलिटिकल एक्शन कांफ्रेंस) यानी फेडरल एजेंसियों की एक अहम बैठक आहूत थी। जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सबसे भरोसेमंद सलाहकार एलन मस्क की बोलने की बारी आई तो उन्होंने नरसंहार के लिए कुचर्चित एक धारधार हथियार ‘चैनसॉ’ को ब्यूरोक्रेसी की तरफ लहराते हुए यह संकेत दिया कि ‘अब ट्रंप सरकार नौकरशाहों के निरंकुश आचरण के पर कतरेगी।’ मस्क इस बात से अनजान थे कि सुदूर भारत में भी एक ऐसा ही उपक्रम साधा जा रहा है।
भारतीय नौकरशाही में भ्रष्टाचार की बढ़ती पींगों से सचमुच केंद्र सरकार आक्रांत है और अब इससे निपटने के तरीके ढूंढे जा रहे हैं। माना जाता है कि केंद्र के कहने पर गृह मंत्रालय ने ब्यूरोक्रेसी को लेकर अपनी एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है। इस रिपोर्ट के खुलासे वाकई चौंकाने वाले हैं, अब से पहले भ्रष्ट नौकरशाही के मामले में पहली अंगुली नार्थ ईस्ट राज्यों की तरफ उठती रही है, इसके बाद भ्रष्टाचार में दक्षिण के राज्यों की ब्यूरोक्रेसी का नंबर आता था।
सूत्र बताते हैं कि गृह मंत्रालय की इस ताजा रिपोर्ट में यूपी की नौकरशाही को भारत के अन्य राज्यों के मुकाबले 10 गुणा तक ज्यादा भ्रष्ट बताया गया है। रिपोर्ट में यूपी के बाकायदा 30 अफसरों का ब्यौरा भी दिया गया है और बताया गया है कि कैसे ये योगी राज में चांदी कूट रहे हैं, वह भी खुल कर।
ट्रंप कार्ड के धनी मस्क
पिछले दिनों एक अंग्रेजी बिजनेस अखबार का अवार्ड समारोह आहूत था, एक बड़े स्टील बैरन की जब बोलने की बारी आई तो उन्होंने बातों ही बातों में एलन मस्क पर कुछ जबर्दस्त चुटकी ले ली, उनकी चुटीली बातें सुन कर उनके साथ स्टेज शेयर कर रहे भारत के सबसे बड़े टेलिकॉम टायकून भी अपनी हंसी नहीं रोक पाए और वे ठहठाकर हंस पड़े। अभी कार्यक्रम खत्म भी नहीं हुआ था कि टेलिकॉम टायकून के पास एक फोन आ धमका, फोन करने वाले ने उन्हें डपटने वाले अंदाज में कहा-अगर आप वाकई शेर हैं तो सामने आकर वार करो। नीतिगत फैसलों में आप सरकार का समर्थन मांगते हो और कहते हो कि अगर ‘स्टार लिंक’ भारत आ गया तो हम सड़क पर आ जाएंगे। अब जब कि भारत अमेरिका से अपने रिश्ते बेहतर बनाने में जुटा है तो ऐसे में आप लोग प्रेसिडेंट ट्रंप के सबसे खास व्यक्ति को छेड़ने का जोखिम क्यों उठाना चाहते हैं।’
समय का फेर देखिए इस वाकये के कुछ रोज बाद ही इस भारतीय टेलिकॉम टायकून कंपनी का समझौता मस्क की स्टार लिंक के साथ हो गया, यानी अब स्टार लिंक को भारत में पैर जमाने का मौका इसी भारतीय कंपनी के मार्फत मिलेगा। इस डील के अगले ही रोज मुकेश अंबानी की कंपनी जियो ने भी देश में ब्रॉड बैंड इंटरनेट सर्विस देने के लिए मस्क की कंपनी स्पेस एक्स से हाथ मिला लिया है यानी स्टार लिंक को भारत में पैर जमाने के लिए अब एक खुला मैदान मिल गया है और दो-दो मजबूत साथी भी।
क्या बीएमसी चुनाव फिर से टल गए?
लगता है मुंबई के स्थानीय निकायों यानी बीएमसी के चुनाव फिर से टल गए हैं, पहले इस अप्रैल माह में इसे कराए जाने की बात हो रही थी, लेकिन लगता है अब साल के आखिर तक के लिए इसे टाल दिया गया है। सनद रहे कि स्थानीय निकायों में बीएमसी देश का सबसे अमीर कॉरपोरेशन है, इसका सलाना बजट ही 75 हजार करोड़ के आसपास का है, पर पिछले कोई तीन वर्षों से बीएमसी के चुनाव टल रहे हैं। ताजा मामला इसमें 27 फीसदी आरक्षण को लेकर है, राज्य सरकार ने जो आरक्षण व्यवस्था लागू की थी इस व्यवस्था को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है।
वैसे भी बीएमसी में िशवसेना उद्धव गुट का अब भी अच्छा खासा असर है। भाजपा नेतृत्व उद्धव ठाकरे को अपने पाले में लाने की जद्दोजहद में जुटा है, इसकी पहल देश के एक शीर्षस्थ उद्योगपति के मार्फत हुई है। अगर भाजपा अपने मौजूदा साथियों यानी एकनाथ शिंदे व अजित पवार के साथ मिल कर बीएमसी का चुनाव लड़ती है तो उसे उद्धव, कांग्रेस व शरद पवार की महाअघाड़ी से कड़ी चुनौती मिल सकती है। अगर उद्धव और शरद दोनों ही भाजपा के पाले में आ जाते हैं तो फिर बीएमसी में कमल के नवप्रस्फुटन को भला कौन रोक पाएगा?
राहुल की ‘फोटो फिनिश’ पहल
राहुल गांधी अपनी राजनैतिक आक्रामकता से कहीं ज्यादा अपने लोक सरोकारों वाले स्वांग के लिए जाने-पहचाने जाते हैं। अभी पिछले हफ्ते जैसे ही संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण आरंभ हुआ, राहुल अपने सुरक्षा घेरे में संसद भवन पहुंचे, जहां पहले से फोटो पत्रकारों का भारी जमावड़ा जुटा था। राहुल के वहां पहुंचते ही फोटो पत्रकारों में राहुल को कैप्चर करने की होड़ मच गई। राहुल ने देखा कि पत्रकारों के इसी भारी रेलमपेल में एक सबसे वरिष्ठ महिला फोटो पत्रकार िशप्रा दास भी स्ट्रगल कर रही हैं। यह देख कर वह अपने सुरक्षा घेरे को तोड़ते हुए बाहर निकले और सीधे िशप्रा के पास जा पहुंचे और उनका हाथ पकड़ कर अपनी गाड़ी तक ले गए।
राहुल ने उस महिला पत्रकार की लगन व मेहनत की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए कहा, ‘इस वक्त तो वे उसे बस यही दे सकते हैं,’ राहुल ने गाड़ी में से लाजेंस (पल्स) का एक पैकेट निकाला और उसमें से कुछ लाजेंस शिप्रा के हाथों में रखते हुए कहा-याद रखो जिंदगी भी इसी लॉजेंस की तरह है कभी खट्टी, कभी मीठी, पर आनंद दोनों स्वाद का उठाओ।’ राहुल का यह नया दार्शनिक अंदाज देख यह महिला फोटोग्राफर बस हक्का-बक्का रह गई।
कवि का गहरा है भगवा विश्वास
नई पीढ़ी को प्रेम का गीत सुनाने वाले इस कवि ने सफलता के कई नए मानक गढ़े हैं। प्रेम जब अपनी हदों को तोड़ कर स्वतंत्रता के नए उद्घोष में शामिल हो गया तो कवि महोदय रामलीला मैदान के मंच से भी दहाड़े, अन्ना आंदोलन के समर्थन में। ये आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में भी शुमार रहे। जब केजरीवाल व सिसोदिया संग दोस्ती में दरारें आने लगीं तो वे अपना नया कमल खिलाने में जुट गए, वह भी खालिस भगवा। राम पार्टी संग इतने राममय हो गए कि बाद के दिनों में वाकई ‘राम कथा’ ही बांचने लग गए, वह भी मोटी फीस के बदले।
पिछले दिनों कवि महोदय की पुत्री का विवाह समारोह संपन्न हुआ, क्या आयोजन था, गणमान्य लोगों की क्या उपस्थिति थी, प्रधानमंत्री से लेकर उपराष्ट्रपति तक वहां हाजिरी लगाते दिखे। तमाम मुख्यमंत्रियों को भी इस समारोह का निमंत्रण भेजा गया था, दिल्ली से लगे एक भगवा राज के मुख्यमंत्री को भी इस समारोह का निमंत्रण पत्र मिला तो उन्होंने प्रोटोकॉल का पालन करते हुए ‘‘ऊपर’’ से ही पूछ लेने में भलाई समझी कि ‘क्या उन्हें इस विवाह समारोह में जाना चाहिए?’ इस पर सीएम साहब को वहां से एक दिलचस्प जवाब सुनने को मिला-‘जाइए, बड़े शौक से जाइए, वैसे भी हम इनके गुनहगार हैं, जब कवि महोदय ने पहली बार हम से राज्यसभा मांगी तो हमने मना कर दिया, फिर एमएलसी मांगा, वह भी उन्हें नहीं मिल पाया, फिर जेड प्लस सिक्योरिटी मांगी, वह भी हम दे नहीं पाए, अभी कुछ महीने पहले तक वे अपने लिए पद्म पुरस्कार चाह रहे थे, हमसे वह भी नहीं हुआ।’ अब अपने किसी व्यक्ति को इतनी बार ‘ना’ कहना भी तो ठीक नहीं।’
…और अंत में
2024 के पिछले लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, आंध्र, महाराष्ट्र, केरल जैसे राज्यों में क्षेत्रीय दलों के नए अभ्युदय से भाजपा अपने मिशन 400 के आसपास भी नहीं पहुंच पाई। अब भगवा पार्टी इसकी काट ढंूढने में लगी है। क्या यह परिस्थितियां उसे ‘रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल एक्ट’ में बदलाव करने के लिए प्रेरित कर सकती हैं?
भरोसेमंद सूत्रों का दावा है कि परिसीमन आयोग की रिपोर्ट आने के बाद देश में त्रिदलीय व्यवस्था लागू हो सकती है। जिससे मुख्यधारा की राजनीति के लिए सिर्फ तीन राष्ट्रीय दल मैदान में रह जाएंगे, इसमें से एक पार्टी होगी भाजपा, दूसरी कांग्रेस व शायद तीसरे पर वामपंथियों का दावा है। सो, ऐसे में छोटे दलों खास कर क्षेत्रीय दलों की मजबूरी हो जाएगी कि वे इन तीनों दलों में से एक का चुनाव कर उसके साथ मिल कर चुनाव लड़े। इस नई व्यवस्था की एक लाभार्थी कांग्रेस भी हो सकती है जिनका एक बड़ा वोट बैंक क्षेत्रीय पार्टियों ने गड़प लिया है।