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Radha Ashtami 2025 Kab Hai? जानें डेट और शुभ मुहूर्त

05:20 PM Aug 10, 2025 IST | Amit Kumar
Radha Ashtami 2025 Kab Hai

Radha Ashtami 2025 Kab Hai: राधा अष्टमी का पर्व भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन राधा रानी के जन्म के उपलक्ष्य में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस खास दिन को राधा अष्टमी के नाम से जाना जाता है और यह श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के 15 दिन बाद आता है।

Radha Ashtami का महत्व

ऐसा माना जाता है कि राधा जी का पूजन करने से भगवान श्रीकृष्ण भी प्रसन्न होते हैं। श्रीकृष्ण की भक्ति तब तक अधूरी मानी जाती है जब तक उनके साथ राधा रानी का नाम न लिया जाए। राधा अष्टमी पर पूजा, व्रत और भजन-कीर्तन का विशेष महत्व होता है। यह दिन भक्ति, प्रेम और सेवा का प्रतीक है।

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Radha Ashtami: व्रत का महत्व

राधा अष्टमी पर व्रत करने से पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख, शांति तथा समृद्धि आती है। विवाहित महिलाएं इस दिन अखंड सौभाग्य और संतान सुख की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं। ऐसी मान्यता है कि राधा रानी की कृपा से घर में लक्ष्मी का वास होता है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

Radha Ashtami 2025 Kab Hai?

इस वर्ष राधा अष्टमी 31 अगस्त 2025, रविवार को मनाई जाएगी।

Radha Ashtami 2025: अष्टमी तिथि की समयावधि:

Radha Ashtami 2025 शुभ मुहूर्त:

Radha Ashtami 2025: पूजा विधि

Radha Ashtami 2025: उत्सव की झलक

राधा अष्टमी के दिन राधा-कृष्ण मंदिरों में विशेष सजावट की जाती है। राधे-कृष्ण के जयकारों से मंदिर गूंज उठते हैं। भक्त राधा जी की झांकियां सजाते हैं और भजन-कीर्तन का आयोजन करते हैं। यह दिन प्रेम और भक्ति में डूब जाने का पर्व है।

Krishna Janmashtami Decoration Ideas: कृष्ण जन्माष्टमी पर इस तरह से सजाएं अपना घर, देखें नए Rangoli Designs

Krishna Janmashtami Decoration Ideas: हिंदू धर्म में कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार काफी खास होता है। इस दिन श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस त्योहर की तैयारी लोगों ने अभी से शुरू कर दी है। जन्माष्टमी 2025 का पर्व भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की खुशी में बड़े उत्साह से मनाया जाएगा। इसका सीधा उदाहरण बाजारों में मची चहल-पहल है। बाजारों में लोगों की भीड़ इस बात की तरफ इशारा कर रही है कि श्रीकृष्ण को भक्त इस पावन दिन का कितनी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।

इस दिन लोग अपने घर को बड़े ही प्रेम और श्रद्धा से सजाते हैं और बाल गोपाल को पालने में झुलाने की परंपरा निभाते हैं। झूला सजाना इस त्योहार का खास हिस्सा होता है, जो न सिर्फ भक्ति का प्रतीक है बल्कि उत्‍साह और उमंग भी दर्शाता है। इस दिन बाल गोपाल को सजाते हैं और पूरे मन से उनकी पूजा करते हैं। इस दिन उपवास भी रखा जाता है। ऐसा मान्यता है कि कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रखने से 100 एकादशी का फल मिलता है। अर्थात कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत 100 एकादशीयों के बराबर माना जाता है।

इस दिन भगवान विष्णु अतार लेकर धरती पर दुष्टों का संहार करने के लिए प्रकट हुए थे। श्री कृष्ण के रूप में उन्होंने कई बाल लीलाएं भी की थी। श्री कृष्ण को कई नामों से भी लोग पुकारा करते हैं। कोई उन्हें माखनचोर पुकारता है तो कोई उन्हें चितचोर कहता है। कोई उनको मुरलीधर कहता है तो कोई उनको माधव कहता है।

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