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बिलकिस बानो के लिए राहुल ने की न्याय की मांग, केंद्र की मोदी सरकार पर बोला हमला

पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बृहस्पतिवार को गुजरात दंगों की पीड़िता बिलकिस बानो के लिए न्याय की मांग करते हुए आरोप लगाया कि ‘‘बेटी बचाओ’’ जैसे खोखले नारे देने वाले लोग ‘‘बलात्कारियों को बचा’’ रहे हैं।

01:21 PM Aug 25, 2022 IST | Desk Team

पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बृहस्पतिवार को गुजरात दंगों की पीड़िता बिलकिस बानो के लिए न्याय की मांग करते हुए आरोप लगाया कि ‘‘बेटी बचाओ’’ जैसे खोखले नारे देने वाले लोग ‘‘बलात्कारियों को बचा’’ रहे हैं।

बिलकिस बानो के लिए राहुल ने की न्याय की मांग  केंद्र की मोदी सरकार पर बोला हमला
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बृहस्पतिवार को गुजरात दंगों की पीड़िता बिलकिस बानो के लिए न्याय की मांग करते हुए आरोप लगाया कि ‘‘बेटी बचाओ’’ जैसे खोखले नारे देने वाले लोग ‘‘बलात्कारियों को बचा’’ रहे हैं।
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गुजरात सरकार की माफी नीति के तहत पिछले दिनों 15 अगस्त को गोधरा उप कारागार से इस मामले के 11 दोषियों को रिहा किया गया था।
राहुल गांधी ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘बेटी बचाओ जैसे खोखले नारे देने वाले, बलात्कारियों को बचा रहे हैं। आज सवाल देश की महिलाओं के सम्मान और हक का है। बिल्कीस बानो को न्याय दो।’’

कांग्रेस नेता का यह बयान ऐसे समय में आया है जब इन 11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ एक याचिका पर उच्चतम न्यायालय में सुनवाई हो रही है।
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उच्चतम न्यायालय ने दोषियों की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका पर गुजरात सरकार और केंद्र को नोटिस जारी किया।
गौरतलब है कि माफी नीति के तहत गुजरात सरकार ने इस मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे सभी 11 दोषियों को 15 अगस्त को गोधरा के उप कारागार से रिहा कर दिया गया था, जिसकी विपक्षी पार्टियों ने कड़ी निंदा की थी।
सामूहिक दुष्कर्म का दोषी ठहराते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई थी
मुंबई की विशेष सीबीआई अदालत ने 21 जनवरी 2008 को सभी 11 आरोपियों को बिल्कीस बानो के परिवार के सात सदस्यों की हत्या और उनके साथ सामूहिक दुष्कर्म का दोषी ठहराते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई थी। बाद में इस फैसले को बंबई उच्च न्यायालय ने भी बरकरार रखा था।
इन दोषियों को उच्चतम न्यायालय के निर्देश के तहत विचार करने के बाद रिहा किया गया। शीर्ष अदालत ने सरकार से वर्ष 1992 की क्षमा नीति के तहत दोषियों को राहत देने की अर्जी पर विचार करने को कहा था।
इन दोषियों ने 15 साल से अधिक कारावास की सजा काट ली थी जिसके बाद एक दोषी ने समयपूर्व रिहा करने के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। इस पर शीर्ष अदालत ने गुजरात सरकार को मामले पर विचार करने का निर्देश दिया था।
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