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राजस्थान से बड़ी खबर : गहलोत सरकार में बने 9 जिले और 3 संभाग खत्म ,भजनलाल कैबिनेट का बड़ा फैसला

राजस्थान की भजनलाल सरकार ने एक साल के कार्यकाल के बाद ऐतिहासिक फैसला लिया…

05:51 AM Dec 28, 2024 IST | Shera Rajput

राजस्थान की भजनलाल सरकार ने एक साल के कार्यकाल के बाद ऐतिहासिक फैसला लिया…

राजस्थान की भजनलाल सरकार ने एक साल के कार्यकाल के बाद ऐतिहासिक फैसला लिया है। अशोक गहलोत सरकार के कार्यकाल के दौरान बनाए गए 3 नए संभागों और 9 नए जिलों को आज भजनलाल सरकार ने निरस्त कर दिया। आपको बता दे कि शनिवार 28 दिसंबर को राजस्थान सीएम निवास पर हुई कैबिनेट की बैठक में इस अहम फैसले पर मुहर लगाई गई। जिसको लेकर अब इस फैसले का कांग्रेस ने विरोध किया है। नए साल में 1 जनवरी से ही आंदोलन करने का ऐलान किया गया है। उधर भाजपा के नेताओं का कहना है कि पूर्ववर्ती सरकार ने राजनैतिक स्वार्थ के लिए निर्धारित मापदंडों का ध्यान नहीं रखते हुए जिलों का गठन कर दिया था। ऐसे में पूर्ववर्ती सरकार के इस फैसले में बदलाव किया गया है।

भजनलाल सरकार ने एक साल के कार्यकाल के बाद ऐतिहासिक फैसला

मुख्यमंत्री जनसंपर्क प्रकोष्ठ ने एक आदेश के जरिए कैबिनेट बैठक के बारे में बताया कि सीएम भजनलाल शर्मा की अध्यक्षता में शनिवार को मुख्यमंत्री कार्यालय में आयोजित मंत्रिमंडल की बैठक में कर्मचारी कल्याण के साथ-साथ युवाओं के हित, प्रदेश में सुशासन और समग्र विकास सुनिश्चित करने के लिए प्रशासनिक दृष्टि से महत्वपूर्ण फैसले किए गए। संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने पत्रकार वार्ता में बताया कि कैबिनेट ने पिछली सरकार के समय में गठित जिलों और संभागों का पुनः निर्धारण किया है, जिसके बाद अब प्रदेश में कुल 7 संभाग और 41 जिले होंगे।

संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने अपने कार्यकाल के आखिरी वर्ष में प्रदेश में 17 नए जिले और 3 नए संभाग बनाने का निर्णय लिया था, जिसके क्रम में राजस्व विभाग द्वारा दिनांक 5 अगस्त 2023 को अधिसूचना जारी कर जिलों और संभागों का सृजन किया गया था। तीन नए जिलों की घोषणा विधानसभा चुनाव-2023 की आचार संहिता से एक दिन पहले की गई, जिनकी अधिसूचना भी जारी नहीं हो सकी थी। पूर्ववर्ती सरकार ने राजनीतिक लाभ के लिए नए जिलों और संभागों का गठन किया।

गहलोत सरकार में बने नौ नए जिलों और तीन संभागों को किया खत्म

पटेल ने बताया कि पूर्ववर्ती सरकार ने नए जिलों और संभागों का गठन राजनीतिक लाभ लेने के लिए किया। इसमें वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता, प्रशासनिक आवश्यकता, कानून व्यवस्था, सांस्कृतिक सामंजस्य आदि किसी भी महत्वपूर्ण ब‍िंदु को ध्यान में नहीं रखा गया। नए जिलों के लिए पिछली सरकार ने कार्यालयों में न तो आवश्यक पद सृजित किए और न ही कार्यालय भवन बनवाए। बजट एवं अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं कराई गईं।

उन्होंने कहा कि गत सरकार के इस अविवेकपूर्ण निर्णय की समीक्षा करने हेतु राज्य सरकार द्वारा एक मंत्रिमंंडलीय उप-समिति और इसके सहयोग के लिए सेवानिवृत्त आईएएस डॉ. ललित के. पंवार की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया। विशेषज्ञ समिति द्वारा नवगठित जिलों एवं संभागों के पुनर्निर्धारण के संबंध में तैयार की गई रिपोर्ट एवं सिफारिशें मंत्रिमंडलीय उप-समिति के समक्ष प्रस्तुत की गई। समिति द्वारा प्रस्तुत सिफारिशों पर विचार करते हुए नए सृजित जिलों में 9 जिलों अनूपगढ़, दूदू, गंगापुर सिटी, जयपुर ग्रामीण, जोधपुर ग्रामीण, केकड़ी, नीम का थाना, सांचौर और शाहपुरा तथा नए 3 संभागों बांसवाड़ा, पाली, सीकर को खत्‍म करने का निर्णय मंत्रिमंडल द्वारा लिया गया है। आचार संहिता से ठीक पहले घोषित 3 नए जिलों मालपुरा, सुजानगढ़ और कुचामन सिटी को भी निरस्त करने का निर्णय राज्य मंत्रिमंडल ने लिया है।

मंत्रिमंडल के इस निर्णय के बाद अब राजस्थान में हो जाएंगे कुल 7 संभाग एवं 41 जिले

संसदीय कार्य मंत्री ने बताया कि मंत्रिमंडल के इस निर्णय के बाद अब राजस्थान में कुल 7 संभाग एवं 41 जिले हो जाएंगे। यथावत रखे गए 8 नए जिलों फलोदी, बालोतरा, कोटपूतली-बहरोड़, खैरथल-तिजारा, ब्यावर, डीग, डीडवाना-कुचामन और सलूम्बर में प्रशासनिक ढांचा तैयार करने के लिए राज्य सरकार सभी जरूरी वित्तीय संसाधन एवं अन्य सुविधाएं मुहैया कराएगी। इससे इन नए जिलों में रहने वाले आमजन को इन जिलों के गठन का लाभ वास्तविक रूप में मिल सकेगा।

उन्होंने बताया कि अब जिला परिषदों, पंचायत समिति और ग्राम पंचायतों का भी पुनर्गठन किया जाएगा।

खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री सुमित गोदारा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि राजस्थान सिविल सेवा (पुनरीक्षित वेतन) नियम, 2017 के नियम 14 की अनुसूची-1 में संशोधन, राजस्थान अधीनस्थ एवं लिपिक वर्गीय सेवा (समान पात्रता परीक्षा) नियम, 2022 में सीईटी स्कोर की वैधता 3 वर्ष करने, पशुधन सहायक को पदोन्नति का तीसरा अवसर उपलब्ध करवाने एवं इस संवर्ग के पद नामों में परिवर्तन के लिए सेवा नियमों में संशोधन को मंजूरी दी गई है।

गोदारा ने कहा कि कार्मिकों के हित को ध्यान में रखते हुए मिनिमम एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन (एमएसीपी) के तहत देय वित्तीय उन्नयन में राजस्थान सिविल सेवा (सी.सी.ए.) नियम, 1958 के अंतर्गत अनुशासनिक कार्यवाहियों में अधिरोपित परनिंदा के दंड के प्रभाव को समाप्त करने का अनुमोदन किया है। वर्तमान में परनिंदा से दंडित कार्मिक को 9, 18 एवं 27 वर्ष की नियमित सेवा पर देय वित्तीय उन्नयन का लाभ एमएसीपी की निर्धारित तिथि के एक वर्ष बाद मिल पाता है।

2022 में सीईटी स्कोर की वैधता अब 1 वर्ष के बजाय 3 वर्ष के लिए रहेगी

उन्होंने बताया कि राज्य मंत्रिमंडल ने कार्मिकों को होने वाले आर्थिक नुकसान को ध्यान में रखते हुए परिनिंदा के दंड के एमएएसपी पर प्रभाव को समाप्त करने के लिए राजस्थान सिविल सेवा (पुनरीक्षित वेतन) नियम, 2017 के नियम 14 की अनुसूची-1 में संशोधन के प्रस्ताव का अनुमोदन किया है। इससे पहले राज्य सरकार द्वारा सीसीए नियमों के अंतर्गत अनुशासनिक कार्यवाहियों में अधिरोपित परिनिंदा के दंड का पदोन्नति पर प्रभाव भी समाप्त किया जा चुका है।

वहीं, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री ने कहा कि राजस्थान अधीनस्थ एवं लिपिक वर्गीय सेवा (समान पात्रता परीक्षा) नियम, 2022 में सीईटी स्कोर की वैधता अब 1 वर्ष के बजाय 3 वर्ष के लिए रहेगी। इसके लिए नियमों में संशोधन को मंजूरी दी गई है। सीईटी स्कोर की वैधता एक वर्ष होने के कारण हर साल होने वाली अगली सीईटी परीक्षा में अभ्यर्थियों की संख्या बढ़ती चली जा रही थी। अत्यधिक संख्या में आवेदन आने पर बोर्ड को वित्तीय भार और कठिनाई का सामना करना पड़ता है। इसलिए सीईटी स्कोर की वैधता अवधि 3 वर्ष करने का निर्णय लिया गया है, जिससे अभ्यर्थियों को भी बड़ी राहत मिलेगी।

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