कोटा में आत्महत्या के मामलों को कम करने में मदद करेंगे ये पंखे
राजस्थान का कोटा शहर तो आप जानते ही होंगे ये वही कोटा है जिसें आजकल आत्महत्या के लिए जाना जाता है। बीते लंबे समय से दूसरे शहरों से आकर कोटा में बसने वाले छात्र लगातार सुसाईड कर रहे है।
पंखो में लगेगी नई तकनीक
इसलिए लगातार बढ रहे मामलों को देखते हुए कोटा के पीजी में पंखो में नई तकनीक लगाई जा रही है इसकी वजह से जिस पंखे में लटककर छात्र जान देता है वो ही पंखा अब छात्रों की जान बचाएगा ।आपको बता दे राजस्थान काे कोटा में इंजीनियर और मेडिकल परीक्षा की तैयारी के लिए देश के कई शहरों से यहां आते है।
पंखा बनाने वाले कुछ एक्सपर्ट ने बनाई तकनीक
लेकिन पढाई के स्ट्रेैस से परेशान होकर छात्र यहां सुसाईड कर लेते है। सुसाईड के मामलों ने अभिभावक, प्रशासन और कोचिंग सेंटर के मालिकों की चिंताएं बढ़ा दी है। इसे रोकने के लिए कई कदम भी उठाए गए लेकिन फिर भी सुसाईड के मामले कम नहीं हुए लेकिन पंखा बनाने वाले कुछ एक्सपर्ट ने मिलकर नई तकनीक बनाई है जिसकी वजह से सुसाईड के मामलों को कम करने में मदद मिलेगी।
हॉस्टल और पीजी में सुरक्षा डिवाइस वाले पंखे अनिवार्य
कोटा के जिला प्रशासन ने हर हॉस्टल और पीजी में सुरक्षा डिवाइस वाले पंखे लगाने अनिवार्य कर दिए गए हैं। प्रशासन की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि हॉस्टल और पीजी में लगने वाले पंखों में खास स्प्रिंग होनी चाहिए। जिससे अगर पंखे का वजन बढ़े तो वो सीधे नीचे आजाए और अलार्म बजने लगे। जिससे छात्र अपने कमरे में पंखे से झूलकर आत्महत्या और इसकी कोशिश भी न कर सकें।
स्प्रिंग-लोडेड पंखे लगाए जा रहे
इस जानकारी को लेकर कोटा हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष नवीन मित्तल का कहना है कि छात्रों में बढ़ते खुदकुशी के मामले और इसे रोकने के लिए प्रशासनिक स्तर पर कई कदम उठाए गए हैं इसी कड़ी में कोटा के सभी हॉस्टल और पीजी में स्प्रिंग-लोडेड पंखे लगाए जा रहे हैं। ताकि छात्र आत्महत्या जैसी घटनाओं को अंजाम न दे सकें।
प्रशासन ने कोचिंग सेंटर्स को दिए कई निर्देश
इसके साथ ही जिला प्रशासन ने कोचिंग सेंटर्स को निर्देश दिया है कि वो रविवार को कोई टेस्ट या परीक्षा नहीं लेंगे। उस दिन छात्र पूरी तरह से फ्री रहेंगे। साथ ही प्रशासन ने कोचिंग सेंटर को हफ्ते में एक दिन बच्चों के लिए स्पेशल मोटिवेशनल क्लास रखने के की बात कही है। ताकि छात्रों को मानसिक रूप से मजबूत किया जा सके।प्रशासन ने इस तरह के फैसले इसलिए लिए है ताकि कोटा में हो रहे सुसाईड के मामलों को रोका जा सके । कोटा में इस साल करीब 21 छात्रों ने आत्महत्या की है। जिसके बाद प्राशासन ने ये फैसला लिया है।