हिन्दी भाषा ने देश को बांधे रखा है एकता के सूत्र में : देवनानी
राजस्थान के शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा है कि हिन्दी राष्ट्रीयता की आत्मा है जिसने देश को एकता के सूत्र में बांधे रखा है। वासुदेव देवनानी ने आज यहां भाषा एवं पुस्त्कालय विभाग की ओर से आयोजित राज्य स्तरीय हिन्दी दिवस समारोह में भाषा को व्यक्ति की पहचान बताते हुए हिन्दी में विज्ञान, तकनीकी, कृषि पर अधिकाधिक लेखन पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि हिन्दी भारत का गौरव है और जरूरत इस बात की भी है कि इसे बोलचाल की सीमाओं तक नहीं बांधकर विश्व भाषा बनाने का प्रयास किया जाए। उन्होंने हिन्दी भाषा के 11 स्वर और 33 व्यंजनों की चर्चा करते हुए कहा कि यह ऐसी भाषा है जो जैसी बोली जाती है, वैसी ही लिखी जाती है। उन्होंने विश्व पटल पर हिन्दी को आगे बढ़ाने, जन-जन के मन में हिन्दी का प्रसार करने पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि विश्व के 176 विश्वविद्यालयों में हिन्दी पढ़ाई जाती है। विश्वभर की कंपनियां अपने उत्पादों का विज्ञापन हिन्दी में करती हैं और इसकी संपन्नता इसी से है कि जातीयता की संकीर्णता से परे इसने देश में अनेकता में एकता को बनाए रखा है। उन्होनें कहा कि राज्य सरकार ने हिन्दी की 16 लाख राष्ट्रीयता के भावों की पुस्तकें पुस्तकालयों में पाठकों तक पहुंचाई है। सरकार का प्रयास है कि हिन्दी भाषा जन-जन के आचरण का अंग बने।
इस अवसर पर राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राकेश कोठारी ने हिन्दी के विकास की चर्चा करते हुए कहा कि हिन्दी व्याकरिणक दृष्टि से ही नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति और परम्पराओं के पोषण की वृहद भाषा है। उन्होंने कहा कि हिन्दी का शब्द संसार विपुल और समृद्ध है। कोटा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पी.के. दशोरा ने हिन्दी को भारत की संस्कृति बताते हुए कहा कि इसी से देश की नई पीढ़ी को संस्कारित किया जा सकता है।
समारोह में देवनानी ने भाषा एवं पुस्तकालय विभाग की डॉ.ममता शर्मा के संपादन में प्रकाशित पत्रिका’भाषा परिचय’ के विशेष अंक का लोकार्पण किया तथा माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक परीक्षा में हिन्दी में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले 105 विद्यार्थियों को सम्मानित किया।