आजीवन कारावास सजा काट रहा आसाराम ने पैरोल के लिए राजस्थान उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटया
यौन उत्पीड़न मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे बाबा आसाराम ने पैरोल हेतु राजस्थान उच्च न्यायालय का रुख किया। हालंकि आसाराम ने पहले भी दो दफा पैरोल की याचिका लगाई और दोनों बार याचिका ख़ारिज हुई। आसाराम के अधिवक्ता ने शनिवार को बताया की। कोर्ट ने आसाराम की याचिका स्वीकार करते हुए राज्य सरकार को एक नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब देने को कहा है।
25 अप्रेल 2018 को कोर्ट ने दोषी पाया
आसाराम को उसके ही आश्रम से एक किशोरी ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था जिसमे उसे 25 अप्रेल 2018 को कोर्ट ने दोषी पाया, जिसके बाद से वो आजीवन कारावास की सजा पूरी कर रहा है। आसाराम के अधिवक्ता कालू राम भाटी ने कहा किजिला पैरोल समिति ने उसकी याचिका को इस आधार पर दूसरी बार खारिज कर दिया कि पैरोल पर उसे रिहा किए जाने से कानून-व्यवस्था संबंधी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
11 वर्ष से सजा काट रहे आसाराम
भाटी ने कहा 'आसाराम ने 20 दिन की पैरोल का अनुरोध करते हुए एक याचिका दायर की थी, लेकिन समिति ने पुलिस की नकारात्मक रिपोर्ट का हवाला देते हुए इसे खारिज कर दिया। अदालत में भाटी ने दलील दी कि आसाराम 11 साल से जेल की सजा काट रहा है और यहां तक कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने भी उसके लिए पैरोल की सिफारिश की है।
वृद्धावस्था एवं स्वास्थ्य कारणों से पैरोल पर रिहाई
उन्होंने कहा, 'इसके अलावा, जेल में इस पूरी अवधि के दौरान उसका (आसाराम का) व्यवहार संतोषजनक रहा और वह अपनी वृद्धावस्था एवं स्वास्थ्य कारणों से पैरोल पर रिहाई का हकदार है।' अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल जोशी ने अपना जवाब दाखिल करने के लिए कुछ समय मांगा, जिसके बाद न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई और न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रकाश सोनी की खंडपीठ ने उन्हें दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।