राजनाथ और ऑपरेशन सिन्दूर
विपक्ष की भारी ना-नुकर के बाद आज लोकसभा में ऑपरेशन सिन्दूर पर चर्चा की शुरुआत रक्षामन्त्री श्री राजनाथ सिंह ने करते हुए स्पष्ट किया कि इस सैनिक अभियान में भारत ने अपना सैन्य लक्ष्य प्राप्त कर लिया था जिसकी वजह से इस पर चार दिन बाद विराम लगा दिया गया। मगर यह अभियान बन्द नहीं हुआ है, बल्कि यह चेतावनी है कि अगर पाकिस्तान ने फिर से किसी प्रकार का दुस्साहस आतंकवादी गतिविध को लेकर किया तो उसे मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। रक्षामन्त्री को भारत के उन राजनीतिज्ञों में गिना जाता है जो अवसर पड़ने पर सटीक तरीके से भारत की बात कहते हैं और दो टूक तरीके से राजनैतिक भ्रम को छांटने में माहिर माने जाते हैं। हालांकि चर्चा शुरू होने से पहले आज सदन तीन बार स्थगित हुआ और चर्चा 12 बजे के स्थान पर दोपहर बाद 2 बजे शुरू हो सकी। विपक्षी सांसद यह मांग कर रहे थे कि चर्चा इस शर्त के साथ शुरू होनी चाहिए कि बाद में सरकार बिहार में हो रहे सघन मतदाता पुनरीक्षण पर भी बहस करायेगी। सरकार ने विपक्ष की यह मांग नहीं मानी। ऑपरेशन सिन्दूर को भारत का सफल अभियान बताते हुए श्री राजनाथ सिंह ने खुलासा किया कि विगत 6 व 7 मई की अर्धरात्रि को शुरू हुए इस सैनिक ऑपरेशन में भारत ने पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों को नेस्तानाबूद कर डाला और 11 सैनिक अड्डों को भारी नुक्सान पहुंचाया।
पाकिस्तान की तरफ से भी इसके विरोध में सैनिक जवाब देने की कोशिश की गई मगर भारत की तीनों सेनाओं की संयुक्त कार्रवाई ने उसके इरादों को तहस- नहस कर डाला। रक्षामन्त्री ने साफ किया कि यह ऑपरेशन भारत की सामर्थ्य और शक्ति का शानदार प्रदर्शन था जो केवल चार दिन ही चला था और उससे घबराकर पाकिस्तान युद्ध बन्दी की याचना करने लगा। राजनाथ सिंह के अनुसार वास्तव में ऑपरेशन सिन्दूर भारत का राजनैतिक-सैनिक अभियान था जिसने अपना लक्ष्य प्राप्त किया। भारत का उद्देश्य इसे पूर्ण युद्ध में तब्दील करने का बिल्कुल नहीं था। इसी वजह से इस पर चार दिन बाद विराम लगा दिया गया। उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच कहीं कोई तुलना नहीं है क्योंकि भारत शान्ति का प्रणेता है मगर कोई इसे यदि उसकी कमजोरी समझता है तो भारत सैन्य मुकाबला करके अपनी शक्ति का परिचय देना भी जानता है।
रक्षा मन्त्री के बयान से अब यह साफ हो गया है कि भारत ने ऑपरेशन सिन्दूर पर विराम किसी दबाव के चलते नहीं लगाया था, बल्कि पाकिस्तान के गिड़गिड़ाने और अपना लक्ष्य साध लिये जाने के बाद ही लगाया था। उन्होंने कहा कि भारत बुद्ध का उपासक रहा है युद्ध का नहीं मगर उसकी अखंडता और संप्रभुता को यदि कोई चुनौती देने की हिमाकत करता है तो उसे माकूल जवाब देना भी आता है। रक्षामन्त्री ने भारत-पाकिस्तान सम्बन्धों के ताजा इतिहास की पर्तों को खोलते हुए कहा कि पूर्व की सरकार ने पाक प्रायोजित आतंकवाद के मोर्चे पर बहुत ढुल-मुल रवैया अख्तियार किया था जबकि मोदी सरकार की नीति घर में घुसकर मारने की रही है। उन्होंने कहा कि आज का विपक्ष यह पूछ रहा है कि ऑपरेशन सिन्दूर के दौरान भारत का कितना नुक्सान हुआ जबकि उसे पूछना चाहिए था कि इस संक्षिप्त सैनिक कार्रवाई में पाकिस्तान के कितने विमान गिरे? रक्षामन्त्री ने इस मुद्दे पर विपक्ष को बहुत चतुराई से घेरते हुए कहा कि पाकिस्तान एक असफल राष्ट्र है जिसने आतंकवाद को अपनी विदेश नीति का हिस्सा बना लिया है। यह देश आतंकवाद की जरखेज जमीन बन चुका है।
ऐसे देश का मुकाबला भारत से कोई किस प्रकार कर सकता है क्योंकि वहां तो आतंकवादियों के जनाजों में सैनिक अफसर व राजनीतिज्ञ तक शामिल होते हैं। इसलिए मोदी सरकार की यह नीति पूरी तरह उचित है कि वार्ता और आतंकवाद एक साथ नहीं चल सकते हैं। श्री राजनाथ सिंह का यह कथन पूरी तरह उचित कहा जाएगा क्योंकि मोदी सरकार की पाकिस्तान को लेकर सोच यही है जो कि पिछली मनमोहन सरकार की नीति के एकदम उलट है। रक्षामन्त्री ने पाकिस्तान द्वारा भारत में की गई कुछ पुरानी आतंकवादी घटनाओं का जिक्र भी किया और सप्रमाण सिद्ध किया कि नवम्बर 2008 में मुम्बई में हुए हमले के बाद मनमोहन सरकार ने किस प्रकार केवल आठ महीने बाद ही मिस्र के शहर शर्म-अल-शेख में यह स्वीकार कर लिया था कि पाकिस्तान भी आतंकवाद से ग्रसित देश है। जुलाई 2009 में भारत के तत्कालीन प्रधानमन्त्री स्व. डा.मनोहन सिंह ने पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमन्त्री यूसुफ रजा गिलानी के साथ हुई बातचीत के बाद यह स्वीकार किया था कि उनके देश में भी आतंकवाद की समस्या है और भारत-पाक वार्ता के बीच अब आतंकवाद नहीं आयेगा। वास्तव में शर्म-अल-शेख में एक संयुक्त वक्तव्य जारी हुआ था जिसमें ऐसा कहा गया था और भारत ने पाक के बलूचिस्तान राज्य में हो रही आतंकवादी घटनाओं की जांच करने पर भी सहमति व्यक्त कर दी थी।
राजनाथ सिंह ने बहुत करीने से भारत-पाक सम्बन्धों का खुलासा करने का प्रयास किया और यह जाहिर करने की कोशिश भी कि ऑपरेशन सिन्दूर में पाकिस्तानी नागरिकों को कोई नुक्सान नहीं पहुंचाया गया जबकि पाकिस्तान की तरफ से जो जवाब आया उसमें निरीह भारतीय नागरिकों को भी निशाना बनाया गया था, खासकर सीमा पर बसे लोगों को। भारत ने तो इस ऑपरेशन का पूरा ब्यौरा संसद के पटल पर रख दिया और कहा कि केवल 22 मिनट के दौरान ही 7 मई की अर्धरात्रि को भारतीय सेनाओं ने अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफलता प्राप्त कर ली थी। विगत 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पाक आतंकवादियों ने जिस तरह धर्म पूछकर 26 लोगों की हत्या की थी उसका उद्देश्य भारत में साम्प्रदायिक दंगे भड़काना रहा होगा मगर भारत की महान जनता ने इस दुष्टता को पूरी तरह पहचान कर ही अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। भारत के समावेशी सामर्थ्य का भी यह परिचायक है।