For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

राजनाथ सिंह के रक्षा तेवर !

भारत की रक्षा पर राजनाथ सिंह का कड़ा संदेश…

01:00 AM Apr 29, 2025 IST | Aditya Chopra

भारत की रक्षा पर राजनाथ सिंह का कड़ा संदेश…

राजनाथ सिंह के रक्षा तेवर

रक्षामंत्री श्री राजनाथ सिंह की गिनती उन वरिष्ठ राजनीतिज्ञों में होती है जो बहुत सधे हुए शब्दों में गंभीर और सारगर्भित टिप्पणी करने में माहिर माने जाते हैं। अतः उनका यह कथन कि किसी भी संकट के समय भारत के लोग अपना धर्म आदि भूल कर एक सुर में आवाज लगाते हैं और सामाजिक एकता का परिचय देते हैं, पूरी तरह उपयुक्त व सामयिक है। स्वतन्त्र भारत का इतिहास गवाह है कि जब भी भारत पर कोई बाहरी संकट गहराता है तो देश के सभी हिन्दू-मुसलमान एक स्वर से राष्ट्र रक्षा में खड़े हो जाते हैं और दुश्मन को माकूल सबक सिखाने का आह्वान करने लगते हैं। रक्षा मन्त्री पर मूल जिम्मेदारी देश की सीमाओं की रक्षा की होती है और श्री सिंह इस कार्य में जिस निष्ठा का परिचय देते हैं वह हर भारतीय के सामने खुली किताब है।

पिछले दिनों पहलगाम घटना के बाद उपजी समस्या पर विचार-विमर्श करने के लिए जो सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी, उसकी अध्यक्षता भी श्री राजनाथ सिंह ने की थी। इस बैठक में समूचा विपक्ष सरकार के साथ हो गया था और उसने सत्तारूढ़ दल के साथ अपने वैचारिक मतभेदों को भुलाकर कहा था कि ऐसे समय में वे सभी दल प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के साथ हैं और उसे अधिकृत करते हैं कि पाकिस्तान के बारे में जो भी निर्णय किया जायेगा वे उसमें शामिल समझे जायेंगे। यह इस बात का प्रमाण है कि जब भी कोई बाहरी संकट भारत पर आता है तो देश के राजनैतिक दल भी अपने मतभेद भुला देते हैं।

ऐसा 1965 व 1971 के पाकिस्तान के साथ हुए युद्धों के समय में भी हुआ और 1962 के चीन युद्ध के समय भी हुआ। यहां तक कि 1999 के कारगिल युद्ध के समय भी ऐसा हुआ था हालांकि यह पूर्ण युद्ध नहीं था क्योंकि भारत के जांबाज लड़ाकों ने पाकिस्तान से अपनी ही धरती खाली कराई थी। कारगिल की पहाडि़यों से उस समय पाकिस्तानी सैनिक भारत की सीमा में घुस आये थे। उस समय देश के रक्षामन्त्री समाजवादी नेता स्व. जार्ज फर्नांडीज थे। मगर वर्तमान में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा पर्यटन स्थल पर पाकिस्तान के आतंकवादियों ने जिस तरह पर्यटकों का धर्म पूछ-पूछकर 26 लोगों की हत्या की उससे भारतवासी स्तब्ध रह गये और पूरा जम्मू-कश्मीर भी उनके शोक में शामिल हो गया लेकिन मासूम पर्यटकों को बचाने के लिए एक घोड़े वाले कश्मीरी मुसलमान नागरिक ने अपनी जान की बाजी लगा कर जिस तरह शहादत प्राप्त की उससे आतंकवादियों की मंशा घराशायी हो गई। राजनाथ सिंह का फलसफा रहा है कि जम्मू-कश्मीर के साथ इसके लोग भी हमारे हैं।

जम्मू-कश्मीर में जितने भी तीर्थस्थल हैं उन सभी की रखवाली करने में कश्मीरी मुसलमान नागरिकों का बहुत बड़ा योगदान रहता है। आगामी जून महीने से शुरू होने वाली श्री अमरनाथ यात्रा में हिन्दू तीर्थ यात्रियों के साथ ही मेहनत मजदूरी या खच्चर पर सवारी बैठाने का काम करने वाले भी चलते हैं जो सभी मुसलमान होते हैं। भारत का सांस्कृतिक राष्ट्रवाद यही है जिसमें सभी हिन्दू-मुसलमान हिल-मिल कर एक-दूसरे के काम आते हैं। पुलवामा में पर्यटकों को आतंकवादियों की गोली का निशाना बनने से बचाने में इन्हीं मुस्लिम कश्मीर नागरिकों ने अपनी जान की बाजी लगा दी। जिनके किस्से हम आजकल अखबारों में पढ़ रहे हैं। राजनाथ सिंह भारत की जमीन की मिट्टी की तासीर को समझने वाले नेता माने जाते हैं और जानते हैं कि इस समय भारत के लोगों पर क्या बीत रही है।

जबकि आतंकवादियों की नीयत पुलवामा कांड करके भारत के भीतर हिन्दू-मुसलमान के बीच गहरी खाई खोदने की थी। मगर कितना नादान है पाकिस्तान जो यह नहीं समझता कि भारत में उससे ज्यादा मुसलमान रहते हैं। ये समय के अनुसार पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए ब्रिगेडियर उस्मान भी पैदा करते हैं और हवलदार अब्दुल हमीद भी। पाकिस्तान यदि यह सोचता है कि इस्लाम के नाम पर वह भारतीय मुसलमानों को बरगला सकता है तो उसे पुलवामा की घटना से ही निकले सन्देश को पढ़ना होगा जिससे हिन्दू-मुसलमान उठ कर एक हो गये। भारत की भावना यही है कि पूरा जम्मू-कश्मीर अक्तूबर 1947 में ही इसका अंग बन गया था। राजनाथ सिंह का कथन इसी की पुष्टि करता है और भारतवासियों को सन्देश देता है कि उनका धर्म अलग-अलग हो सकता है मगर वे सबसे पहले भारतीय हैं और उनकी साझी धरती भारत है।

हमारे संविधान निर्माता पुरखे इस कार्य को बहुत ही करीने से करके गये हैं जिसकी वजह से भारत को एक भौगोलिक सीमा (टेरीटोरियल स्टेट) का देश घोषित किया गया जबकि पाकिस्तान का निर्माण मजहबी फलसफे के तहत हुआ। इसलिए आतंकवादियों ने अगर पर्यटकों का धर्म पूछ कर हत्या की तो उससे उनकी नीयत का अन्दाजा लगाया जा सकता है। पाकिस्तान जैसे बिगड़ैल पड़ोसी को राजनाथ सिंह की यह चेतावनी भी समझी जानी चाहिए कि भारत जब भी पाकिस्तान को सबक सिखायेगा उसमें इसके 30 करोड़ से भी ज्यादा मुस्लिम नागरिकों की भी रजामन्दी होगी। इसलिए पाकिस्तान अपने बुजदिलाना कारनामों से बाज आये क्योंकि किसी भी संकट के समय भारत के सभी हिन्दू-मुसलमान केवल भारतीय हो जाते हैं। उनकी पहचान तब एक भारतीय नागरिक की पहचान होती है। श्री राजनाथ सिंह से कल ही भारतीय सेनाओं के रक्षा प्रमुख जनरल अनिल चौहान ने भेंट की और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर विचार-विमर्श किया। निश्चित रूप से इस बैठक के ब्यौरे को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है क्योंकि यह देश की सुरक्षा के बारे में है मगर इतना तो कहा ही जा सकता है कि पाकिस्तान को जब चाहे तब सबक सिखाया जा सकता है।

Advertisement
Advertisement
Author Image

Aditya Chopra

View all posts

Aditya Chopra is well known for his phenomenal viral articles.

Advertisement
×