अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर राजनाथ सिंह का संदेश, एकता ही योग का सार
भारतीय सेना और ऑपरेशन सिंदूर की सरहाना की
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उधमपुर में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर सेना के जवानों की बहादुरी की सराहना की और योग की एकता के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि योग का सार समाज के सभी वर्गों को जोड़ना है, जिससे भारत की सुरक्षा और एकता बनी रहे।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जम्मू और कश्मीर के उधमपुर में 11वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस समारोह का नेतृत्व किया । उधमपुर में सेना के जवानों से मुलाकात की और ऑपरेशन सिंदूर में उनके प्रयासों की सराहना की। राजनाथ सिंह ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि आपकी बहादुरी की पूरे देश में सराहना हो रही है। मैं भारतीय सेना के पराक्रम और साहस को सलाम करता हूं। उन्होंने स्पष्ट संदेश दिया कि ऑपरेशन सिंदूर महज प्रतिक्रिया मात्र नहीं है और यह अभी खत्म नहीं हुआ है।
योग का अर्थ है मिलन
जीवन में योग के महत्व को व्यक्त करते हुए बताया कि जैसे कि हमारा देश अतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाता है, योग के वास्तविक अर्थ पर विचार करना महत्वपूर्ण है। योग का अर्थ है मिलन। समाज के हर वर्ग को भारत की संस्कृति और भावना से जोड़ना ही योग का सार है। समाज का एक भी वर्ग इस प्रयास में पीछे रह गया, तो भारत की एकता और सुरक्षा का चक्र टूट जाएगा। इसलिए, आज, हम केवल शारीरिक योग का अभ्यास न करें, बल्कि विचार और समाज में भी एकता के लिए प्रयास करें। यह धैर्य और गहरे संकल्प के साथ किया जाना चाहिए।
दुनिया भर में लोग योग कर रहे हैं
आज पूरा देश उत्साह के साथ योग दिवस मना रहा है और सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पूरा -विश्व हमारी सांस्कृतिक विरासत को अपना रहा है। योग, एक हजार साल से भी अधिक पुरानी प्राचीन परंपरा है, जिसका अभ्यास कभी केवल ऋषि-मुनि ही करते थे। आज, दुनिया भर में लोग योग कर रहे हैं। यह भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव का प्रतिबिंब है। उन्होंने आगे कहा कि आज की दुनिया में, जहां तनाव, चिंता और अशांति व्यापक है, योग एक शक्तिशाली समाधान के रूप में उभरा है।
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ऑपरेशन सिंदूर की सरहाना
पहलगाम में हाल ही में हुआ आतंकवादी हमला सीमा पार से की गई एक अलग घटना मात्र नहीं थी, बल्कि भारत के सामाजिक और सांप्रदायिक सद्भाव को निशाना बनाने का एक सीधा प्रयास था। हमने न केवल उनकी नापाक साजिशों को विफल किया, बल्कि इतना शक्तिशाली जवाब भी दिया कि पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर होना पड़ा, जिसके कारण हमें ऑपरेशन सिंदूर को अस्थायी रूप से रोकने की घोषणा करनी पड़ी। जैसा कि हमने पहले कहा है, ऑपरेशन सिंदूर अभी खत्म नहीं हुआ है।”