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पटना से पाक को राजनाथ की चेतावनी, कहा-1965 और 1971 की गलतियों को न दोहराए

उन्होंने कहा, यदि वे (पाक) इसे दोहराते हैं, तो उन्हें सोचना चाहिए कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर का क्या बनेगा। वहां मानवाधिकार उल्लंघन बलूच और पश्तूनों के खिलाफ किए जाते हैं।

10:49 AM Sep 22, 2019 IST | Desk Team

उन्होंने कहा, यदि वे (पाक) इसे दोहराते हैं, तो उन्हें सोचना चाहिए कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर का क्या बनेगा। वहां मानवाधिकार उल्लंघन बलूच और पश्तूनों के खिलाफ किए जाते हैं।

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज पटना में बीजेपी की तरफ से अनुच्छेद 370 को लेकर आयोजित किए गए  कार्यक्रम “जन-जागरण सभा” में शिरकत की। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, अनुच्छेद 370 ऐसा कैंसर था जिसने कश्मीर का बहुत खून बहाया है। साथ ही रक्षा मंत्री राजनाथ ने पाकिस्तान को ” 1965 और 1971 की गलतियों को न दोहराने ” की चेतावनी भी दी है। 
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राजनाथ सिंह ने कहा कि अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के सपने को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सच कर दिखाया। उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर के तीन चौथाई से अधिक लोग इस अनुच्छेद को खत्म करने के पक्ष में थे। जहां तक अनुच्छेद 370 की बात है, संविधान में यह एक ऐसा अनुच्छेद था जो कैंसर की तरह था, जिसने हमारे दिल के टुकड़े और धरती पर स्वर्ग, कश्मीर का खून बहाया।
उन्होंने कहा, कश्मीर में आतंकवाद को जन्म देने वाले सबसे बड़े कारण धारा 370 और अनुच्छेद 35ए थे। इस आतंकवाद ने कश्मीर को खून कर दिया। आइए देखें कि पाकिस्तान में कितनी हिम्मत है। यह कितने आतंकवादी पैदा करेगा?।  राजनाथ सिंह ने कहा की आप देख सकते हैं कि वे पहले ही हतोत्साहित हो रहे हैं। उन्हें 1965 और 1971 की दोहराने की गलती नहीं करनी चाहिए। 
उन्होंने कहा, यदि वे (पाक) इसे दोहराते हैं, तो उन्हें सोचना चाहिए कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर का क्या बनेगा। वहां मानवाधिकार उल्लंघन बलूच और पश्तूनों के खिलाफ किए जाते हैं। यदि यह जारी रहा, तो कोई भी शक्ति पाक को टुकड़ों में विभाजित होने से बचाने में सक्षम नहीं होगी। 
उन्होंने पड़ोसी देश को जम्मू-कश्मीर के घटनाक्रम के मद्देनजर सीमा पार से आतंकवाद को बढ़ावा देने के खिलाफ आगाह किया और कहा कि पाकिस्तान के साथ बातचीत तभी शुरू होगी जब वह आतंकवाद को बढ़ावा देना बंद कर देगा। मंत्री ने कहा कि उसे यह भी ध्यान रखना चाहिए कि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और बातचीत केवल पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर पर हो सकती है। 
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