Raksha Bandhan 2025: कब है Bhadra Kaal, क्यों नहीं बांधनी चाहिए इस समय राखी? जानें शुभ मुहूर्त
Bhadra Kaal Kab Hai?: रक्षा-बंधन भाई-बहन के प्रेम और विश्वास के प्रतीक का पर्व है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं, जबकि भाई अपनी बहन को रक्षा का वचन देता है। हालांकि, इस शुभ अवसर पर एक विशेष ज्योतिषीय समय को अशुभ माना गया है, जिसे भद्रा काल कहा जाता है। परंपरा और मान्यता है कि इस समय में राखी बांधने से बचना चाहिए। आइए जानते हैं राखी बांधने का शुभ शुभ मुहूर्त क्या है?, Bhadra Kaal क्या है और इसे अशुभ क्यों माना जाता है।
इस रक्षाबंधन भद्रा काल कब है? (Bhadra Kaal Kab Hai?)
हिन्दू पंचांग के अनुसार, इस साल रक्षाबंधन से पहले ही भद्रा काल समाप्त हो जाएगा। भद्रा काल 8 अगस्त को दोपहर 2 बजकर 12 मिनट से शुरू होगा और 9 अगस्त को सूर्योदय से पहले सुबह 5:30 बजे के करीब समाप्त हो जाएगा।
भद्रा काल क्या है?
भद्रा काल हिंदू पंचांग के अनुसार, पंचांग की पंचमी और पूर्णिमा तिथियों के पहले हिस्से में आता है। यह समय कालपुरुष की पीठ पर स्थित “भद्रा” नामक योग के कारण बनता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भद्रा देवी सूर्य देव की संतान और शनि देव की बहन थीं। उनका स्वभाव बेहद क्रूर और विनाशकारी माना जाता है। ब्रह्मा जी ने भद्रा के प्रभाव से शुभ कार्यों को बचाने के लिए एक विशेष समय निर्धारित किया, जिसे भद्रा काल कहा गया। इसलिए उनके समय में शुभ कार्य नहीं करने चाहिए।
भद्रा काल में राखी क्यों नहीं बांधनी चाहिए?
1. पौराणिक कथा– एक कथा के अनुसार, रावण की बहन सूपर्णखा ने भद्रा काल में ही उसे राखी बांधी थी। इसके बाद रावण का विनाश हुआ। इस कारण से यह समय अशुभ माना जाने लगा और शुभ कार्यों में भद्रा काल से बचने की परंपरा बन गई।
2. क्रूर ग्रह प्रभाव– ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, भद्रा काल में ग्रहों का असर अधिक तीव्र और प्रतिकूल होता है। इस समय में किया गया कार्य नकारात्मक फल दे सकता है। रक्षा-बंधन जैसे प्रेम और सुरक्षा के प्रतीक पर्व में यह प्रभाव अशुभ माना जाता है।
3. शुभता में कमी – भद्रा काल को विनाशकारी समय कहा जाता है। माना जाता है कि इस दौरान किया गया कोई भी शुभ कार्य अपने पूर्ण फल नहीं देता और कभी-कभी विपरीत परिणाम भी ला सकता है।
क्या करें यदि भद्रा काल में ही राखी बांधनी पड़े?
यदि किसी कारणवश Bhadra Kaal में ही राखी बांधनी पड़े, तो पहले भगवान गणेश, विष्णु और अपने कुलदेवता का पूजन करें। फिर भाई की लंबी उम्र और सुरक्षा की प्रार्थना के साथ राखी बांधें। साथ ही, भद्रा काल में “भद्रा मुख” के बजाय “भद्रा पृष्ठ” (पीठ) समय को अपेक्षाकृत कम अशुभ माना जाता है, इसलिए उस समय का चयन किया जा सकता है।
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, 9 अगस्त को रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त 05 बजकर 47 मिनट से सर्वार्थ सिद्धि योग प्रारंभ होगा और दोपहर 2 बजकर 23 मिनट तक रहेगा। यह पूरा समय भाई को राखी बांधने के लिए शुभ है।
रक्षा-बंधन का पर्व प्रेम, विश्वास और सुरक्षा का संदेश देता है। Bhadra Kaal के संबंध में पौराणिक कथाएं और ज्योतिषीय मान्यताएं हमें इस समय को टालने का संकेत देती हैं। इसलिए, यदि आप अपने भाई को राखी बांधना चाहती हैं तो भद्रा काल समाप्त होने के बाद ही करें, ताकि आपका पर्व शुभता और सकारात्मक ऊर्जा से भरा हो।
Disclaimer: इस लेख में बताई गए तरीके और सुझाव सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित है, Punjabkesari.com इसकी पुष्टि नहीं करता है.
यह भी पढ़ें: Raksha Bandhan Gift for Sister: बहन को ये गिफ्ट्स देकर खास बनाएं रक्षा बंधन