वरिष्ठ वकील के. पराशरण के ग्रेटर कैलाश दफ्तर से होगा राम मंदिर ट्रस्ट का संचालन
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि उत्तरप्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए नव गठित ट्रस्ट श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र का कार्यालय दिल्ली के ग्रेटर कैलाश में होगा ।
02:26 PM Feb 05, 2020 IST | Shera Rajput
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए बुधवार को मोदी सरकार ने ट्रस्ट गठन का ऐलान कर दिया। गृह मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में ‘श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ ट्रस्ट के कार्यालय का जो पता दिया गया है, वह मशहूर वकील केशव पराशरण का दफ्तर है। ये वही पराशरण हैं, जो 93 साल की उम्र में भी सुप्रीम कोर्ट में घंटों खड़े होकर राम मंदिर के लिए बहस करने के कारण सुर्खियों में रहे।
राम मंदिर के पक्ष में पिछले साल नवंबर में फैसला आने के तुरंत बाद दिल्ली के दौरे के दौरान संघ प्रमुख मोहन भागवत ने उनके घर जाकर उनसे भेंट की थी। संघ प्रमुख भागवत ने राम मंदिर केस में उनके अहम योगदान की सराहना भी की थी।
सूत्रों के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट में हिंदू पक्ष की पैरवी करने वाले पराशरण को भी 15 सदस्यीय ट्रस्ट में जगह दी गई है। केशव पराशरण के कार्यालय का पता है -आर-20, ग्रेटर कैलाश, पार्ट 1, नई दिल्ली। इसी पते का जिक्र गृह मंत्रालय की अधिसूचना में है और इसे ट्रस्ट का पंजीकृत कार्यालय बताया गया है।
93 साल की उम्र में भी पूरे जुनून के साथ राम मंदिर का केस लड़ने वाले केशव पराशरण मूलत: तमिलनाडु के रहने वाले हैं। तमिलनाडु के श्रीरंगम में नौ अक्टूबर, 1927 को जन्मे पराशरण को 2012 में राष्ट्रपति ने राज्यसभा के लिए मनोनीत किया था। वह इंदिरा गांधी और राजीव गांधी सरकार में 1983 से 1989 के बीच भारत के अटार्नी जनरल भी थे। वाजपेयी सरकार के दौरान उन्हें पद्मभूषण तो मनमोहन सरकार में 2011 में उन्हें पद्मविभूषण मिल चुका है।
वह अयोध्या मामले में रामलला विराजमान के वकील थे। सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने जब पिछले साल अगस्त में नियमित रूप से अयोध्या केस की सुनवाई शुरू की तो के. पराशरण 40 दिनों तक लगातार घंटों बहस में भाग लेते रहे। उनकी उम्र देखते हुए सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने बैठकर बहस करने की की पेशकश की तो भी पराशरण नहीं माने और उन्होंने कहा था कि वह वकीलों की परंपरा का पालन करते रहेंगे।
नौ नवंबर, 2019 को फैसला आने से कुछ समय पहले परारशरण ने कहा था कि उनकी आखिरी इच्छा है कि जीते जी रामलला कानूनी तौर पर विराजमान हो जाएं।
केशव पराशरण देवी-देवताओं और धर्म-कर्म से जुड़े मुकदमों की पैरवी में काफी रुचि और उत्साह से भाग लेते रहे हैं। राम मंदिर से पहले वह सबरीमाला मामले में वह भगवान अयप्पा के वकील रहे। वहीं संप्रग सरकार के दौरान उन्होंने रामसेतु का भी केस लड़ा था। इस तरह के केस लड़ने के कारण उन्हें ‘देवताओं का वकील’ भी कहा जाता है।
विश्व हिंदू परिषद(विहिप) के प्रवक्ता विनोद बंसल से कहा, ‘के. पराशरण सच्चे रामभक्त हैं, जिन्होंने 92 साल की उम्र में भी घंटों अदालत में खड़े होकर बहस कर फैसला मंदिर के पक्ष में करने में अहम भूमिका निभाई।’
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