Ram Navami 2025: कब है श्री रामनवमी, क्या कहती है भगवान श्री राम की जन्म कुंडली?
श्री रामनवमी 2025: भगवान राम की जन्म कुंडली का रहस्य
राम नवमी 2025 में 6 अप्रैल को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान श्रीराम का जन्म चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था। यह दिन सर्वसिद्ध मुहूर्त माना जाता है, जिसमें विवाह, नौकरी, बिजनेस की शुरुआत और वाहन खरीदना शुभ होता है। भगवान श्रीराम की जन्म कुंडली के अनुसार, उनका जन्म कर्क लग्न में हुआ था और गजकेसरी योग ने उन्हें अमर लोकप्रियता दिलाई।
जैसा कि विदित है गत 30 मार्च 2025 से हिन्दू नववर्ष विक्रम संवत् 2082 का आरम्भ हो चुका है। भारतीय वैदिक पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रथमा तिथि को नया वर्ष आरम्भ होता है। इसके बाद आने वाली नवमी तिथि को भगवान श्री राम का जन्म माना जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्री राम ने अवतार लिया था। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रथमा तिथि को सर्वसिद्ध मुहूर्त माना जाता है उसी प्रकार से श्री रामनवमी को भी स्वयंसिद्ध मुहूर्त की मान्यता प्राप्त है। पंचांग के अनुसार इस दिन आप किसी भी प्रकार के कार्य का श्रीगणेश कर सकते हैं। जैसे विवाह, नौकरी या बिजनेस की शुरुआत, वाहन खरीदना जैसा कोई भी नया काम इस दिन विशेष शुभ माना गया है।
रामनवमी से होती थी नए फाइनेंशियल ईयर की शुरुआत
कुछ वर्षों पहले तक आम व्यापारी अपने व्यापार के खातों की शुरुआत श्री रामनवमी से करते थे। आज भी बहुत से लोग शगुन के तौर पर रामनवमी को नई खाता-बही को लिखने की शुरुआत करते हैं। मुझे ज्यादा जानकारी नहीं है लेकिन शायद कुछ जगहों पर कच्चे या पक्के का खाता बही का काम राम नवमी से ही शुरू किया जाता होगा। लेकिन यह सच है कि बहुत वर्ष नहीं हुए है कि रामनवमी को नये खातों का श्रीगणेश होता था। व्यापारी नई बुक्स अर्थात् बही-खातों का आरम्भ करते थे। हालांकि वर्तमान में यह चलन 1 अप्रैल से आरम्भ हो चुका है। लेकिन इसके बावजूद प्रत्येक व्यापारी को नवमी के दिन एक रोकड़ की शुरूआत जरूर करनी चाहिए। नई बही पर श्रीं और स्वस्तिक का कुंकुम से अंकन करें। बही के पहले पृष्ठ पर तिथि के तौर पर श्री चैत्र शुक्ल पक्ष नवमी, संवत् 2082 वार रविवार, अंकित करें। इस प्रकार से रामनवमी के शुभ फलों से व्यापार में लगातार उन्नति के मार्ग प्रशस्त होते हैं।
क्या है भगवान श्री राम की जन्म कुंडली का रहस्य
श्रीराम का जन्म चैत्र मास में शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को गुरुवार के दिन माना जाता है। इस दिन पुष्य नक्षत्र था और भगवान श्रीराम का जन्म प्रसिद्ध कर्क लग्न में हुआ था। भगवान श्रीराम के जन्मांग चक्र में उच्चस्थ बृहस्पति और स्वराशिस्थ चन्द्रमा पड़े हैं। चन्द्रमा पक्षबली भी है। और चन्द्र-बृहस्पति से शक्तिशाली गजकेसरी योग का निर्माण हो रहा है। इस योग के कारण ही श्री राम को अमर लोकप्रियता, स्नेहीजनों का वात्सल्य और प्रजा का असीम प्रेम मिला। मंगल-शनि की संयुक्त पाप दृष्टि के कारण भगवान श्री राम की देह श्याम वर्ण थी। लेकिन बृहस्पति-चन्द्रमा और लग्नेश की जलीय राशि कर्क ने उनको अनुपम सौंदर्य, तेज और रूप लावण्य से भरपूर काया प्रदान की।
क्या है भगवान श्री राम की जन्म दिनांक
आधुनिक संदर्भ में बात करें तो दक्षिण भारतीय ज्योतिषी श्री एन. नरसिंह राव के अनुसार भगवान श्री राम का जन्म 11 फरवरी 4433 ईसा पूर्व हुआ था। इनका जन्म अयोध्या में प्रातः 10 बजकर 50 मिनट पर माना गया है। वैसे ज्यादातर मान्यताओं में श्रीराम का जन्म अभिजीत में माना जाता है। उपरोक्त जन्मपत्रिका के अनुसार श्रीराम को मांगलिक दिखाया गया है। जो कि उनके कष्टपूर्ण वैवाहिक जीवन का प्रतीक है। देवी सीता से उनका एक वर्ष का अलगाव भी इसी सप्तमस्थ मंगल के कारण ही हुआ होगा। एक दूसरी गणना के अनुसार प्रो. श्रीनिवास राघवन के अनुसार भगवान श्रीराम का जन्म 10 जनवरी 4439 ईसा पूर्व हुआ। दोनों मतों में करीब पांच वर्ष का अंतर दिखाई देता है। काल की पेचीदगियों के परिप्रेक्ष्य में यह क्षम्य है।
एक तीसरे मत से श्रीराम का जन्म 10 जनवरी 5114 ईसा पूर्व को हुआ माना जाता है। श्रीराम का यह जन्म काल श्री हनुमान के जन्म से कुछ सामंजस्य रखता है। आधुनिक मतों के अनुसार श्री हनुमान का जन्म 5139 ईसा पूर्व हुआ था।
6 अप्रैल 2025 को है श्री रामनवमी
चैत्र शुक्ल पक्ष, नवमी, रविवार विक्रम संवत् 2082 को है। अंग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार यह दिनांक 06 अप्रैल 2025 को है। नवमी तिथि पहले दिन 5 अप्रैल 2025 को सायं 7 बजकर 25 मिनट से आरम्भ होगी, जो कि 6 अप्रैल 2025 को सायं 7 बजकर 24 मिनट तक रहेगी। इसलिए भगवान श्री राम की पूजा के लिए पूरा दिन ही शुभ और फलदायी है।
कब है पूजा का मुहूर्त
श्री चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भगवान श्रीराम ने अयोध्या नगरी के महाराजा दशरथ के पुत्र के रूप में अवतार लिया था। भगवान श्रीराम का अवतरण अभिजीत मुहूर्त में होना प्रसिद्ध है। इसलिए अभिजीत में ही भगवान की पूजा करने का विधान है। वैसे रामनवमी स्वयं में स्वयंसिद्ध मुहूर्त है और इस दिन रवि-पुष्य नामक प्रसिद्ध योग भी है, फिर भी दिल्ली के अक्षांश और रेखांश के अनुसार प्रातः 09 बजकर 15 मिनट से प्रातः 10 बजकर 40 मिनट तक का समय विशेष शुभ है। इस समय पर भगवान श्रीराम की पूजा की जानी चाहिए।