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रामायण और महाभारत...

रामायण और महाभारत आज लॉकडाउन के समय पर जब टीवी पर रामायण, महाभारत का प्रसारण हो रहा है तो हमारे वरिष्ठ नागरिक उसका बहुत ही आनंद ले रहे हैं और उनका समय भी अच्छा व्यतीत हो रहा है।

01:14 AM May 27, 2020 IST | Kiran Chopra

रामायण और महाभारत आज लॉकडाउन के समय पर जब टीवी पर रामायण, महाभारत का प्रसारण हो रहा है तो हमारे वरिष्ठ नागरिक उसका बहुत ही आनंद ले रहे हैं और उनका समय भी अच्छा व्यतीत हो रहा है।

रामायण और महाभारत
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रामायण और महाभारत आज लॉकडाउन के समय पर जब टीवी पर रामायण, महाभारत का प्रसारण हो रहा है तो हमारे वरिष्ठ नागरिक उसका बहुत ही आनंद ले रहे हैं और उनका समय भी अच्छा व्यतीत हो रहा है। जब मैं अपने सदस्यों के साथ वीडियो कॉल करती हूं तो बहुत से लोग अपने विचार मेरे साथ सांझा करते हैं और हमेशा मुझे भी कहते हैं कि आप मैडम जी समय निकाल कर अवश्य देखें। एक मेरी सदस्या जो 73 वर्षीय हैं ने कहा मैडम जी इतने सालों बाद भी कुछ नहीं बदला। घर-घर में रामायण और महाभारत है। रामायण कम महाभारत अधिक, बस स्टाइल बदल गए हैं। वाक्य कुछ नहीं बदला। आज आए दिन अखबार, टीवी भरे पड़े हैं। बहुत मुश्किल से राम जैसे बेटे, लक्ष्मण जैसे भाई मिलते हैं और महाभारत जो राज्य के लिए हुई, भाइयों में यानी चचेरे भाईयों में हुई, घर-घर की कहानी है। हमारे सामने बहुत बड़े परिवारों की कहानियां हैैं जो जमीन से उठकर बड़े बनते हैं परन्तु जब बड़े हो जाते हैं तो एक-दूसरे को मारने मरने पर आ जाते हैं। यही नहीं पीछे मेरी सदस्या महिला ने बताया कि जिसके पति को गुजरे अभी 6 दिन भी नहीं हुए थे उसके सगे देवर और चचेरे देवरों ने मिलकर षड्यंत्र रचा और जायदाद हथियाने, व्यापार हथियाने के षड्यंत्र कर डाले। कोर्ट में झूठे मुकदमे कर दिए, मिलीभगत कर बहुत नुक्सान पहुंचाया। उस महिला ने कहा कि मेरे लिए पति के जाने का शोक इतना था और मैं अभी सम्भल भी नहीं पाई कि मेरे और मेरे बच्चों को सडक़ पर लाने की तैयारी करने लगे। इतना पूर्वजों की मेहनत और नाम को खराब कर दिया। जगहंसाई हो रही है कि लोगों को लैक्चर देते हैं और घर की विधवा के साथ क्या कर रहे हैं, परन्तु मैंने उसे समझाया कि देर है अंधेर नहीं। सब्र कर भगवान की अदालत में वकालत नहीं होती और यदि सजा हो जाए तो जमानत नहीं होती। तुम आजकल जो रामायण और महाभारत चल रही है उसे देखो, उससे जिन्दगी के कई संदेश मिलेंगे और तुम्हें सब्र भी। तब उसने कहा ठीक कह रही हो मैडम जी परन्तु मेरा पति तो राम था। मां-बाप के लिए, भाई के लिए राम जैसा भाई बना, परन्तु उनका भाई क्यों नहीं लक्ष्मण बना। उसने अपने जीते बीमार भाई को मार दिया, उसे धोखा दिया। मैंने उसे बहुत समझाया कि बुरे का अंत बुरा होता है। सो इंतजार करो। तब हमने अपने वरिष्ठï नागरिक केसरी क्लब के सदस्यों को न्यौता सबको  बोला कि अपने-अपने विचार भेजो तो इस कलियुग समय में अगर रामायण, महाभारत दिखाई जा रही है तो उसका कितना अच्छा असर हो सकता है। कुछ इस तरह विचार आए।
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– रामायण महाकाव्य माता-पिता, ऋषि मुनियों के लिए आज्ञाकारिता और सम्मान का प्रतीक है। सभी परिवार के सदस्यों के लिए उनकी उम्र चाहे जो भी हो। भगवान राम, लक्ष्मण, भरत- शत्रुघ्न के चरित्र भारतीय परिवारों द्वारा अनुकरण करने योग्य हैं। रावण पर विजय के बाद और फिर बाल्मीकि ऋषि के दावे के बाद भी अयोध्या में खुले दरबार में सीता-माता से सीता-माता के पूछने पर भगवान राम की जिद साबित होती है कि राम राज के दौरान भी महिलाओं को उनके पुरुष समकक्षों के बराबर नहीं माना जाता था। आम तौर पर जनता की राय प्रबल थी और इस महाकाव्य ने पुरानी पीढ़ी पर वास्तविक प्रभाव डाला।
मेरी और डी. एन. कथूरिया की सलाह है कि हमें रामायण देखना चाहिए न कि महाभारत। इन महाकाव्यों का जनता पर बहुत कम प्रभाव पड़ता है क्योंकि इस कठिन समय के दौरान लोगों के रवैये और वर्तमान व्यवहार से स्पष्ट होता है।
टी. डी. जाटवानी सदस्य फरीदबाद शाखा
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– वर्तमान परिदृश्य के तहत जहां मानव गंभीर समस्याओं और अवांछनीय स्थितियों से घिरा हुआ है, भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को भगवान कृष्ण के साथ मिलकर गीता ज्ञान मनुष्य को शांति, सफलता, संतुष्टि प्राप्त करने के लिए उनके जीवन का अनुसरण करने और उन्हें बनाने के लिए उपयोगी है।
 अधिक से अधिक, अहंकार,  ईर्षया, क्रोध, वासना ऐसे व्यक्ति हैं। मानवता के लिए सत्य और धर्म के मार्ग पर चलना है। इसके लिए  ‘A Way of Life’ होना आवश्यक है।
वीणा शर्मा
सदस्या नोएडा शाखा
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– मैंने पहले भी इन सीरियल्स रामायण और महाभारत को देखा था। लेकिन अब परिपक्व उम्र के रूप में मेरा निष्कर्ष मेरे जीवन की घटनाओं के कारण अलग है। पहले मैंने अच्छे और बुरे के बीच के अंतर को देखा।
इसका प्रभाव यह था कि यदि कोई शांतिपूर्ण जीवन जीना चाहता है तो उसे इन निश्चित नियमों का पालन करना चाहिए।  मेरे मन में जो पहले खिलाया गया था, वह बिल्कुल अलग था। मैं इन सेरिअल्स और अन्य घटनाओं के प्रभाव के बिना इस संसार में लाया गया था और मेरे दिमाग में न तो यह ख्याल आया कि मैं न तो राम जैसा हूं और न ही कृष्ण। मैं साधारण इंसान हूं और कभी भी। अतीत में, अब हो रहा है, भविष्य में क्या होगा, इसे होने दो क्योंकि भविष्य में होने वाली घटनाएं हमारे हाथ में नहीं हैं। आध्यात्मिक शक्ति हमारे नियंत्रण में नहीं है।
शारदा जी नोएडा
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– रावण पर मां की जीत हमें विश्वास के बारे में सिखाती है न कि किसी की सलाह सुनने की। महाभारत धर्म और अधर्म के बीच की लड़ाई है।
एस.के.मल्होत्रा
गुडग़ांव शाखा।
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– मैं वास्तव में सराहना करता हूं कि यदि आप रामायण और महाभारत पर लेख लिखना शुरू करते हैं। इसे टीवी पर देखने के बाद (दोनों महाकाव्य), मुझे लगता है कि आज की पीढ़ी के लिए यह जानना आवश्यक है कि बलिदान (रामायण) का अर्थ क्या है और अधिकारों और कर्तव्यों (महाभारत) के बारे में कैसे जानें। हमारा समाज प्राचीन संस्कारों से दूर होता जा रहा है, इसलिए उन्हें इन महाकाव्यों को फिर से दिखाना आवश्यक है और उन्हें सही इंसान बनाना है।
 किरण सैनी
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– मुझे लगता है कि रामायण और महाभारत देवता आजतक मेरे लिए सुखद हैं। दोनों महान ग्रन्थ हमें सर्वशक्तिमान ईश्वर पर हमारी सामाजिक जिम्मेदारी, मर्यादा और विश्वास सिखाते हैं क्योंकि होई हो सो जो राम रचि राखा।
मधु शर्मा, 
गुडग़ांव शाखा
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– रामायण हमें और हमारी अगली पीढ़ी को हमारे परिवार को समाज और मानव जाति के लिए कर्तव्यों के बारे में बताता है। साथ ही हमें धैर्य और मर्यादा के बारे में सिखाता है।
जहां महाभारत हमें आपके जीवन में आपके परिवार और समाज के प्रति हमारे कर्तव्यों और अधिकारों के बारे में बताता है। हर समय भगवान भारत में केवल भारत की धरती पर जन्म लेते हैं। भगवान की मौजूदगी रामायण में राम के रूप में और महाभारत में कृष्ण इसके उदाहरण हैं-
जय श्री राम
जय श्री कृष्णा
एस.सी.गुलाटी
सदस्या, गुडग़ांव शाखा
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– हम सभी ने रामायण में देखा कि राम भगवान, श्री भोले शंकर जी की पूजा करते हैं  और श्री भोले शंकर भगवान श्री राम की आराधना करते हैं। श्री रामचन्द्र जी, विष्णु भगवान के अवतार थे।
कृष्ण लीला में विष्णु भगवान जी कहते है , ना तो मैं बड़ा हूं ना ही भोले शंकर, हमारे में कोई मुकाबला नहीं। हमने रामायण और महाभारत से बहुत कुछ सीखा है, हमें बच्चों को भी शिक्षा देनी चाहिए।
यदवंश कुमार चुघ
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भारतीय संस्कृति के संवाहक
– रामायण एवं महाभारत, मात्र धार्मिक ग्रन्थ ही  नहीं, जीवन की परिभाषा हैं, जीवन का सार हैं, जीवन जीने की शैली हैं!
जहां रामायण जीवन में सत्य,धर्म,आदर्श-आचरण की विवेचना है। वहीं महाभारत  पुरुषार्थ,शौय -पराक्रम, कर्मण्यता की व्याख्या है।
एक ओर मर्यादा-पुरुषोत्तम श्रीराम हैं, तो दूसरी ओर योगीराज  श्रीकृष्ण!
श्रीराम आदर्श पुत्र, आदर्श पति, आदर्श भाई, आदर्श मित्र एवं आदर्श शासक की प्रतिमूर्ति हैं तो श्रीकृष्ण जीवन में न्याय, धर्म,पुरुषार्थ एवं कर्मण्यता का जीवन्त उद्घोष  करते हैं। आज के परिवेश में जहां जीवन के आदर्शों की लगातार अवहेलना हो रही है, पारिवारिक रिश्तों में दूरियां-दरारें बढ़ रहीं हैं, चारों ओर  भ्रष्टाचार, भेद-भाव, जातिवाद, हिंसा-आतंक, भय का बोलबाला है। शासक अन्याय और शोषण का प्रतीक बन चुका है, प्राकृतिक आपदाएं जीवन को अस्त-व्यस्त कर रहीं हैं। वहां ऐसे धर्म-ग्रन्थ एवं  आदर्श-अनुकरणीय चरित्र  जीवन को नई दिशा, नई आशा, नई उमंग, नया उत्साह, नया विश्वास और नया साहस प्रदान कर हमारा  मार्ग-दर्शन कर सकते हैं
वीरेन्द्र मेहता
सदस्य, ग्रेटर कैलाश शाखा
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– दु:ख में सुमिरन सब करें, सुख में करें न कोई
जो सुख में सुमिरन करें तो दु:ख काहे को होये।  श्री रामायण और महाभारत पढ़ सुनकर सभी भक्तों ने बहुत कुछ ग्रहन करते हैं। सर्र्वप्रथम बुजुर्गों के द्वारा दिए गए वचनों का पालन करना श्री राम जी के द्वारा अपनी मर्यादा का व पिता का धर्र्म का पालन करना व उनके आदेश को मानना हमें ये सब देेखकर अच्छे समाज की अस्थापना करने की शक्ति मिलती है।  यह संदेश भी जाता है कि सभी भाई अपने बड़े भाई को आदर्श मानकर उनकी आज्ञा को धारण करें। पुत्रवधू भी अपनी माता-पिता की आज्ञा का पालन करते हुए पति धर्म भी निभाती हैं। छोटे-भाई अपनी बड़े भाई की हर सेवा स्वीकार करता है। इससे समाज में भाई चारा बढ़ता हैं।
धर्म सागर
शाखाध्यक्ष गुडग़ांव शाखा
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– हमें रामायण और महाभारत सीरियल देख कर दुबारा याद ताजा हो गई और राय के आदर्शों को मानव कल्याण के लिए अति उत्तम है। आज की युवा पीढ़ी ने इन में इतना रूचि नहीं दिखाई और महाभारत में भी शिक्षाप्रद  था।
 हमारी युवा पीढ़ी नहीं समझती केवल उन्होंने महाभारत सीरियल  में कुछ रूचि दिखाई  बाकी दोनों सीरियल हमने देखे हमें अच्छा लगा। हम दोनों ग्रन्थों के  की बातें भूल गए थे अब दुबारा सीरियल सरकार द्वारा दिखाने पर हमें सब याद हो गया और सारी इन अध्यात्मक ग्रन्थो की भावपूर्ण यादें ताजा हो गईं।
पूनम भटनागर
सदस्या, गुडग़ांव शाखा
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– नहीं दरिद्र हम दु:ख जंग माहीं। संत मिलन सुख जंग माहीं। पर उपकार बचने मन कामा  संत सहज  सहज सुभाय खगरामा इसमें बताया गया है कि  गरीबी  से बढक़र को दु:ख दुनिया में नहीं और संत के मिलने के समान कोई सुख नहीं।
अन्त में लंका विजय करने के पश्चात राम भगवान अपने छोटे भाई जिससे काफी अधिक प्यार दर्शाया गया और  इसमें कि भाईयों प्यार का संसार को उदाहरण प्रस्तुत किया गया।
मैं यह कहना चाहूंगा  रामायण सीरियल से मर्यादा पुरुषोत्तम राम भगवान ने जो  लीलाएं दीखाई है। इस धरती पर अवतरित हो कर  सभी मानव कल्याण के लिए  मां-बाप की आज्ञा का पालन करना और भाई-भाई का   प्यार भरत का राम के प्रति स्नेह और त्याग धर्मपत्नी सीता का पतिव्रता धर्म  और सारा रामायण आदर्शों और शिक्षाओं से  भरा हुआ महाकाव्य है। 
डी.एन.कवातरा
– सदस्या गुडग़ांव शाखा 
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Kiran Chopra

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