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राव पर लग सकता है अध्यक्षीय भगवा दांव

यह बात किंचित चौंकाने वाली लग सकती है पर महाराष्ट्र की अभूतपूर्व जीत के बाद भाजपा अब एक के बाद एक कई चौंकाने वाले फैसले ले सकती है…

10:22 AM Nov 30, 2024 IST | त्रिदीब रमण

यह बात किंचित चौंकाने वाली लग सकती है पर महाराष्ट्र की अभूतपूर्व जीत के बाद भाजपा अब एक के बाद एक कई चौंकाने वाले फैसले ले सकती है…

मेरे परवाज़ पर ख्वामखाह पत्थरों

का बोझ न डालो

मेरी उड़ान को तुम रोक न पाओगे

चाहो तो मेरे सिर से उठा कर देख लो आसमां का शामियाना

बादलों के घर भी मेरे मुरीद पाओगे

यह बात किंचित चौंकाने वाली लग सकती है पर महाराष्ट्र की अभूतपूर्व जीत के बाद भाजपा अब एक के बाद एक कई चौंकाने वाले फैसले ले सकती है। इस कड़ी में अगले भाजपाध्यक्ष के रूप में अपेक्षाकृत जूनियर मुरलीधर राव का नाम सबको चौंका सकता है।

वैसे भी पहले हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनावों में कमल के प्रस्फुटन ने यह साफ कर दिया है कि ‘पार्टी का अगला प्रमुख भाजपा के बड़े नेताओं की पसंद वाला व्यक्ति ही होगा।’ वैसे भी साउथ अब भाजपा के एजेंडे में सबसे ऊपर है कोर कमेटी की कई बैठकों में यह इशारा ​मिल चुका है कि अगर पार्टी का सिरमौर दक्षिण के राज्य से आता है तो फिर वहां के राज्यों में भाजपा का जनाधार बढ़ाने में मदद मिलेगी। सो, इस कड़ी में कई नाम चले भी मसलन भाजपा के संगठन प्रभारी बीएल संतोष इसके साथ राम माधव का नाम भी सुनने को मिला। पर संघ व भाजपा से जुड़े विश्वस्त सूत्रों की मानें तो हालिया दिनों में भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव मुरलीधर राव भाजपा के उक्त बड़े नेताओं की पहली पसंद बन कर उभरे हैं।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से अपने राजनैतिक जीवन की शुरूआत करने वाले मुरलीधर राव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी लंबे समय से जुड़े रहे हैं। पर पिछले दो-तीन वर्षों में उनके बारे में काफी कम कहा सुना जा रहा था, क्योंकि वे इन दिनों भाजपा के बड़े नेताओं की टीम के एक अहम सदस्य में शुमार थे, वे उनके दिशा-निर्देश पर ही पिछले दो-तीन सालों से काम कर रहे थे। इस बीच उनके बारे में एक अफवाह और उड़ी कि उन्होंने बड़े नेताओं से नजदीकियां बढ़ाने के चक्कर में संघ से भी दूरी बना ली है पर हैरानी की बात देखिए कि संघ की हालिया मथुरा बैठक से ही उनका नाम निकल कर सामने आया है, जो कहीं न कहीं इस बात को भी दर्शाता है कि वे अब भी संघ को उतने ही पसंद हैं।

केरल के दो कांग्रेसी नेताओं की जंग

केरल से ताल्लुक रखने वाले दो दिग्गज कांग्रेसी नेताओं यानी रमेश चेन्निथला व राहुल गांधी के बेहद दुलारे माने जाने वाले पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल की आपसी खींचतान ने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की पेशानियों पर बल ला दिया है। महाराष्ट्र चुनाव में कांग्रेस की हार अपने सिर लेते चेन्निथला ने आनन-फानन में अपना इस्तीफा सौंप दिया है, क्योंकि वे महाराष्ट्र के चुनाव प्रभारी भी थे।

चेन्निथला के इस्तीफे ने नाना पटोले और विजय वडेट्टीवार जैसे कांग्रेसी नेताओं पर नैतिक दबाव बना दिया है कि वे भी हार की जिम्मेदारी स्वीकार कर अपने-अपने पदों से इस्तीफा दें। पर कहते हैं अपने इस्तीफे के बाद रमेश चेन्निथला ने पार्टी अध्यक्ष खड़गे से अपनी बातचीत में साफ कर दिया है कि ‘राज्य में कांग्रेस की इतनी बड़ी पराजय की सबसे बड़ी वजह पार्टी नेताओं की आपसी गुटबाजी और चुनाव प्रबंधन की असफलता है।’ सूत्रों की मानें तो चेन्निथला ने इलेक्शन मैनेजमेंट के फेल्योर को राहुल के ‘बैक रूम ब्यॉयज’ के मत्थे मढ़ दिया था, जाहिर तौर पर इस ‘बैक रूम ब्यॉयज’ की नुमांइदगी केसी वेणुगोपाल ही करते हैं, जो राहुल को सीधे रिपोर्ट भी करते हैं।

आने वाले 2026 में केरल में विधानसभा चुनाव होने हैं, जहां पिछले दो बार से लगातार कांग्रेस को पराजय का मुंह देखना पड़ रहा है। अगर रमेश व वेणुगोपाल में यूं ही तलवारें तनी रहीं तो फिर केरल चुनाव में कांग्रेस का भगवान ही मालिक है। वैसे भी चेन्निथला का दर्द है कि ‘उनके इतने अनुभव के बावजूद उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाने की जगह मात्र प्रभारी बनाया गया। जबकि वे वेणुगोपाल से हर मायने में सीनियर हैं, वे 5 बार विधायक और 4 बार सांसद रह चुके हैं।’ पार्टी जनों को इन दोनों नेताओं का झगड़ा एके एंटोनी बनाम के करुणाकरण की जंग की याद दिला रहा है, जब इन दोनों गुटों की आपसी लड़ाई की वज़ह से कांग्रेस को काफी नुकसान उठाना पड़ा था।

दत्त साहब अब क्या खाक हिंदू होंगे

देशभर में फैले व फैलाए जा रहे हिंदू नैरेटिव के तीर्थ में बॉलीवुड स्टार संजय दत्त भी गंगा नहा गए। बीते दिनों भारत ने उन्हें गौर से बागेश्वर धाम वाले बाबा के ‘हिंदू जोड़ो यात्रा’ में शामिल देखा। लोगों को बस इस बात के लिए कौतूहल ज्यादा हुआ कि संजय दत्त कब से इतने बड़े भगवाधारी हो गए? क्योंकि संजय दत्त का विवादित अतीत, डी कंपनी से उनके रिश्ते, उनकी जेल यात्रा, उनके परिवार की कांग्रेस व सपा से नजदीकियां हमेशा जगजाहिर रही हैं।

यूं अचानक राग हिंदू अलापने के पीछे की वज़हों को टटोलने पर पता चला कि इन दिनों वे किंचित आर्थिक संकटों के दौर से गुज़र रहे हैं। इंडस्ट्री उन्हें घास नहीं डाल रही, सो काम के सिलसिले में पिछले काफी समय से वे मारे-मारे फिर रहे हैं। उन्हें देश के एक शीर्षस्थ उद्योगपति के नामचीन प्रोडक्शन हाउस के भी काफी चक्कर काटते देखा गया, पर यह स्टूडियो भी देश में बदली बयार का रुख भांपते उन्हें कोई काम देने से हिचक रहा था। दोस्तों की सलाह पर वे भाजपा के कई बड़े नेताओं के करीबी माने जाने वाले अक्षय कुमार की भी परिक्रमा कर आए थे, पर फिर भी काम नहीं मिला तो संघ से जुड़े एक प्रभावशाली व्यक्ति ने उन्हें सलाह दी कि उन्हें देश के मानस के साथ चलना होगा, कहते हैं इसी व्यक्ति ने उन्हें बाबा की ‘हिंदू जोड़ो यात्रा’ से जोड़ दिया। बाबा को भी अपनी यात्रा को हाईप देने के लिए एक बॉलीवुड सेलिब्रेटी की दरकार थी, सो दोनों के काम बन गए।

सोरेन ने कांग्रेस को कैसे मनाया

झारखंड में इंडिया गठबंधन की जीत के बाद अपने शपथ ग्रहण में शामिल होने का न्यौता देने हेमंत सोरेन दिल्ली आए, जहां वे राहुल गांधी व मल्लिकार्जुन खड़गे से मिले। जब हेमंत खड़गे से बंद कमरे में मीटिंग कर रहे थे तो एक मामले पर पेंच फंसा हुआ था। महाराष्ट्र में हार का दंश झेल रही कांग्रेस झारखंड में अपना उप मुख्यमंत्री चाहती थी और खड़गे हेमंत से अपनी बातचीत में इसी बात पर अड़े हुए थे। पर हेमंत कांग्रेस को डिप्टी सीएम का पद देने को राजी नहीं थे, हेमंत ने खड़गे को समझाया कि ‘आप हमें आशीर्वाद दीजिए कि हम अच्छे से समन्वय के साथ अपनी मिली-जुली सरकार चला सकें।

हम कांग्रेस को 4 मंत्री पद देने के लिए भी तैयार हैं। पर हम डिप्टी सीएम का पद सिर्फ इसीलिए नहीं देना चाहते कि डिप्टी हमेशा सीएम के लिए मुश्किलें खड़ी करता है।

अभी हमारे व आपके लिए सबसे बड़ी चुनौती अपने विधायकों को एकजुट रखने की है, वरना भाजपा कभी भी तोड़-फोड़ कर सकती है।’ पर कांग्रेस से विजयी सभी 16 विधायक अपने को मंत्री पद की रेस में बता रहे हैं, सो पार्टी नेतृत्व ने गेंद फिलवक्त राहुल गांधी के पाले में डाल दी है। अब राहुल को वहां के स्थानीय जातीय समीकरणों को साधते हुए, नामों का चयन करना है। पर फिलहाल जो नाम मंत्री पद की रेस में आगे बताए जा रहे हैं, वे हैं-नमन विक्सल कोंगाड़ी, भूषण बाड़ा, दीपिका पांडेय सिंह, इरफान अंसारी, रामेश्वर उरांव और प्रदीप यादव।

…और अंत में

महाराष्ट्र की अप्रत्याशित हार से कांग्रेस किस कदर तिलमिलाई हुई है इसका एक नज़ारा इस शुक्रवार को आहूत हुई कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में देखने को मिला, जब खड़गे ने भरी महफिल में पार्टी के जमे- जमाए नेताओं की भी खूब क्लास ली और उनसे कहा कि ‘संगठन में जो लोग लंबे समय से जमे हैं और परफॉर्म नहीं कर पा रहे उन्हें दूसरों के लिए जगह छोड़नी होगी।’

खड़गे ने महाराष्ट्र की हार के लिए एक ‘फैक्ट फाईंडिंग कमेटी’ बनाने की पहल की है, पर उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि ‘इस कमेटी का अध्यक्ष किसी राजनैतिक व्यक्ति को नहीं बल्कि एक प्रोफेशनल को बनाया जाएगा ताकि वह निष्पक्ष भाव से अपनी रिपोर्ट तैयार कर सके।’ खड़गे ने यह भी माना कि कांग्रेस की चुनाव की तैयारियां भी तब शुरू होती जब चुनाव आयोग हरकत में आ जाता है और अपना काम शुरू कर देता है। खड़गे ने माना कि अब जहां भी चुनाव होंगे हम एक साल पहले वहां एक्टिव हो जाएंगे।’

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