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रायगढ़ किले में मिला दुर्लभ ऐस्ट्रोलैब, शिवाजी युग की वैज्ञानिक प्रगति उजागर

रायगढ़ किले में मिला दुर्लभ ऐस्ट्रोलैब, 17वीं शताब्दी का यंत्र

04:07 AM Jun 02, 2025 IST | IANS

रायगढ़ किले में मिला दुर्लभ ऐस्ट्रोलैब, 17वीं शताब्दी का यंत्र

रायगढ़ किले की खुदाई में पुरातत्व विभाग को छत्रपति शिवाजी महाराज की राजधानी से एक दुर्लभ ऐस्ट्रोलैब मिला है। यह यंत्र 17वीं शताब्दी में खगोलशास्त्र के अध्ययन में उपयोग होता था। इस खोज से रायगढ़ के ऐतिहासिक और वैज्ञानिक महत्व को उजागर किया जा रहा है।

छत्रपति शिवाजी महाराज की स्वराज्य की राजधानी रहे रायगढ़ किले पर पुरातत्व विभाग की खुदाई में एक अनमोल ऐतिहासिक खजाना मिला है। इस खोज में एक प्राचीन खगोलशास्त्रीय यंत्र ‘ऐस्ट्रोलैब’ प्राप्त हुआ है, जिसकी जानकारी भाजपा के पूर्व राज्यसभा सांसद और छत्रपति शिवाजी के वंशज संभाजी राजे ने दी है।

रायगढ़ विकास प्राधिकरण और पुरातत्व विभाग के संयुक्त प्रयासों से पिछले कुछ वर्षों से किले में खुदाई का कार्य चल रहा है और इसी दौरान यह दुर्लभ यंत्र मिला।

यह ऐस्ट्रोलैब रायगढ़ किले के कुशावर्त तालाब के ऊपरी हिस्से में खुदाई के दौरान प्राप्त हुआ। विशेषज्ञों के अनुसार, इस प्राचीन यंत्र का उपयोग ग्रहों की स्थिति का अध्ययन, दिशा निर्धारण और समय मापने जैसे कार्यों के लिए किया जाता था।

माना जा रहा है कि 17वीं शताब्दी में खगोलशास्त्र के अध्ययन में इस यंत्र का महत्वपूर्ण योगदान रहा होगा। यह खोज न केवल रायगढ़ के ऐतिहासिक महत्व को उजागर करती है, बल्कि उस समय की वैज्ञानिक प्रगति को भी दर्शाती है।

रायगढ़ किला, जो छत्रपति शिवाजी महाराज का मुख्य गढ़ था, हमेशा से इतिहासकारों और पुरातत्वविदों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। इस किले पर समय-समय पर कई खोजें हुई हैं, लेकिन ऐस्ट्रोलैब जैसी दुर्लभ वस्तु का मिलना एक बड़ी उपलब्धि है।

पुरातत्व विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस यंत्र का अध्ययन कर इसे संरक्षित किया जाएगा, ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इस ऐतिहासिक धरोहर को देख सकें।

भाजपा के पूर्व राज्यसभा सांसद और छत्रपति शिवाजी के वंशज संभाजी राजे ने अपनी पोस्ट में इस खोज को स्वराज्य की गौरवशाली परंपरा का हिस्सा बताया और कहा कि यह खोज रायगढ़ के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को और बढ़ाती है।

उन्होंने रायगढ़ विकास प्राधिकरण और पुरातत्व विभाग की इस पहल की सराहना की।

पुरातत्वविदों का मानना है कि इस तरह की खोजें इतिहास को समझने में मदद करती हैं और छत्रपति शिवाजी महाराज के समय की तकनीकी उन्नति को सामने लाती हैं। रायगढ़ विकास प्राधिकरण ने भविष्य में भी ऐसी खोजों के लिए उत्खनन कार्य जारी रखने की योजना बनाई है। यह ऐस्ट्रोलैब जल्द ही संग्रहालय में प्रदर्शित किया जा सकता है, ताकि लोग इस ऐतिहासिक यंत्र को करीब से देख सकें।

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