दशहरे पर महाराष्ट्र के एक गांव में की जाती है रावण की आरती
विजयादशमी पर जब देश भर में रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले जलाए जाते हैं तो वहीं महाराष्ट्र का एक गांव ऐसा भी है जहां दशहरा थोड़ा अलग अंदाज में होता है और यहां राक्षस राज की आरती की जाती है।
10:54 PM Oct 05, 2022 IST | Shera Rajput
विजयादशमी पर जब देश भर में रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले जलाए जाते हैं तो वहीं महाराष्ट्र का एक गांव ऐसा भी है जहां दशहरा थोड़ा अलग अंदाज में होता है और यहां राक्षस राज की आरती की जाती है।
Advertisement
अकोला जिले के संगोला गांव के कई निवासियों का मानना है कि वे रावण के आशीर्वाद के कारण नौकरी करते हैं और अपनी आजीविका चलाने में सक्षम हैं और उनके गांव में शांति व खुशी राक्षस राज की वजह से है।
स्थानीय लोगों का दावा है कि रावण को उसकी “बुद्धि और तपस्वी गुणों” के लिए पूजे जाने की परंपरा पिछले 300 वर्षों से गांव में चल रही है। गांव के केंद्र में 10 सिरों वाले रावण की एक लंबी काले पत्थर की मूर्ति है।
स्थानीय निवासी भिवाजी ढाकरे ने बुधवार को दशहरा के अवसर पर ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि ग्रामीण भगवान राम में विश्वास करते हैं, लेकिन उनका रावण में भी विश्वास है और उसका पुतला नहीं जलाया जाता है।
Advertisement
स्थानीय लोगों ने कहा कि देश भर से लोग हर साल दशहरे पर लंका नरेश की प्रतिमा देखने इस छोटे से गांव में आते हैं और कुछ तो पूजा भी करते हैं।
संगोला के रहने वाले सुबोध हटोले ने कहा, “महात्मा रावण के आशीर्वाद से आज गांव में कई लोग कार्यरत हैं। दशहरे के दिन हम महा-आरती के साथ रावण की मूर्ति की पूजा करते हैं।”
ढाकरे ने कहा कि कुछ ग्रामीण रावण को “विद्वान” मानते हैं और उन्हें लगता है कि उसने “राजनीतिक कारणों से सीता का अपहरण किया और उनकी पवित्रता को बनाए रखा”।
स्थानीय मंदिर के पुजारी हरिभाऊ लखड़े ने कहा कि जहां देश के बाकी हिस्सों में दशहरे पर रावण के पुतले जलाए जाते हैं, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, संगोला के निवासी “बुद्धि और तपस्वी गुणों” के लिए लंका के राजा की पूजा करते हैं।
लखड़े ने कहा कि उनका परिवार लंबे समय से रावण की पूजा कर रहा है और दावा किया कि गांव में सुख, शांति और संतोष लंका के राजा की वजह से है।
Advertisement