रविचंद्रन अश्विन के संन्यास से भारतीय क्रिकेट में बदलाव का दौर शुरू
अश्विन के संन्यास से भारतीय क्रिकेट में नए युग की शुरुआत
भारतीय क्रिकेट में एक नए युग की शुरुआत हो चुकी है। दिग्गज ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन के संन्यास ने न केवल टीम में खालीपन छोड़ा है, बल्कि बदलाव के संकेत भी दिए हैं। हालांकि अश्विन ने यह फैसला खुद लिया, लेकिन क्रिकेट फैंस का मानना है कि वाशिंगटन सुंदर को प्राथमिकता मिलने के बाद अश्विन ने यह कदम उठाया।
अश्विन की जगह वाशिंगटन सुंदर को मौका
पहले टेस्ट में कप्तान रोहित शर्मा की गैरमौजूदगी में मुख्य कोच गौतम गंभीर ने वाशिंगटन सुंदर को प्लेइंग इलेवन में शामिल किया, जबकि रविंद्र जडेजा और अश्विन बेंच पर थे। यह निर्णय चर्चा का विषय बन गया और कयास लगाए जा रहे हैं कि इसी फैसले ने अश्विन को संन्यास लेने पर मजबूर कर दिया।
वरिष्ठ खिलाड़ियों पर दबाव
अश्विन के जाने के बाद टीम में अब केवल कुछ अनुभवी नाम बचे हैं, जैसे विराट कोहली, रोहित शर्मा, रविंद्र जडेजा, और मोहम्मद शमी। हालांकि शमी फिलहाल चोट के कारण टीम से बाहर हैं और उनकी वापसी भी चुनौतीपूर्ण लग रही है। वहीं, विराट और रोहित के फॉर्म को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि दोनों खिलाड़ी हाल ही में रन बनाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
गंभीर की कोचिंग पर सवाल
गौतम गंभीर के मुख्य कोच बनने के बाद भारत ने आठ टेस्ट मैच खेले हैं, जिनमें चार में हार का सामना करना पड़ा, तीन में जीत मिली, और एक मैच ड्रॉ रहा। गंभीर के लिए यह शुरुआत उम्मीद के मुताबिक नहीं रही। अगर टीम आने वाले महीनों में बेहतर प्रदर्शन नहीं करती, तो उनकी कोचिंग पर भी सवाल खड़े हो सकते हैं।
बदलाव के संकेत
भारतीय टीम के बदलाव का दौर राहुल द्रविड़ के कोचिंग कार्यकाल में ही शुरू हो गया था, जब इशांत शर्मा और ऋद्धिमान साहा जैसे खिलाड़ियों को बाहर कर दिया गया। अब गंभीर के कार्यकाल में जसप्रीत बुमराह जैसे खिलाड़ियों को कप्तानी के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है।
भविष्य की चुनौतियां
टीम इंडिया के लिए सबसे बड़ी चुनौती विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल और 2025 चैंपियंस ट्रॉफी में अच्छा प्रदर्शन करना होगा। सवाल यह है कि क्या भारतीय क्रिकेट बोर्ड गंभीर को अपनी टीम तैयार करने का पूरा समय और समर्थन देगा।
यह बदलाव का दौर भारतीय क्रिकेट के लिए नई दिशा तय करेगा। अब देखना होगा कि टीम इन चुनौतियों से कैसे निपटती है।