एजबेस्टन टेस्ट में Ravindra Jadeja ने तोड़ा टीम रूल, लेकिन वजह सुनकर BCCI भी रह गई नरम
एजबेस्टन टेस्ट में रवींद्र जडेजा ने BCCI के नियम को तोड़ा, लेकिन उनकी वजह सुनकर बोर्ड नरम पड़ गया। Ravindra Jadeja ने अपनी गाड़ी से स्टेडियम पहुंचकर SOP का उल्लंघन किया। उन्होंने बताया कि यह फैसला उनकी बल्लेबाजी तैयारी को बेहतर करने के लिए था, जिससे टीम को फायदा हुआ। बोर्ड ने उनकी मंशा को समझते हुए कोई सख्त कार्रवाई नहीं की।
भारत और इंग्लैंड के बीच एजबेस्टन में खेले जा रहे दूसरे टेस्ट में एक दिलचस्प मामला सामने आया। भारतीय टीम के स्टार ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा ने BCCI के एक अहम नियम को तोड़ दिया। दरअसल, भारतीय क्रिकेट बोर्ड की नई गाइडलाइंस के हिसाब से सभी खिलाड़ियों को एक साथ टीम बस में ही स्टेडियम जाना होता है। इससे टीम का अनुशासन और एकजुटता बनी रहती है। लेकिन जडेजा ने इस SOP को फॉलो नहीं किया और टीम बस की बजाय खुद अपनी गाड़ी से स्टेडियम पहुंचे।
अब सवाल ये था कि क्या BCCI इस पर कोई सख्त एक्शन लेगी? लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसकी वजह भी काफी प्रोफेशनल थी। जडेजा ने खुद बताया कि उन्होंने यह फैसला अपनी तैयारियों को और बेहतर करने के लिए लिया।
Ravindra Jadeja का बयान
Ravindra Jadeja बोले, “मुझे लगा कि गेंद नई है और मुझे ज्यादा बैटिंग करनी चाहिए। इसलिए मैं जल्दी स्टेडियम चला गया। मैं लंच तक बैटिंग कर पाया, और उसके बाद वॉशिंगटन सुंदर और शुभमन गिल ने भी अच्छी साझेदारी की।”
दरअसल, BCCI की नई स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर के मुताबिक खिलाड़ी अपने पर्सनल स्टाफ जैसे शेफ, स्टाइलिस्ट आदि को भी टूर पर नहीं ला सकते। इन सभी नियमों का मकसद सिर्फ टीम का अनुशासन बनाए रखना है। लेकिन जडेजा ने जो किया वो पूरी तरह खेल से जुड़ी वजहों से किया। ऐसे में बोर्ड भी सख्ती नहीं दिखा रहा।
इस मामले में बोर्ड के एक अधिकारी ने कहा, “देखिए, नियमों का पालन होना बहुत जरूरी है। लेकिन यहां खिलाड़ी की मंशा गलत नहीं थी। उसने टीम के लिए अपनी तैयारी को मजबूत करने के लिए ऐसा किया। ऐसे में सख्ती दिखाना जरूरी नहीं समझा गया।”
जडेजा की ये खास तैयारी मैदान पर भी नजर आई। उन्होंने भारत की पहली पारी में 89 रनों की अहम पारी खेली। उनकी इस पारी की बदौलत भारत ने पहली इनिंग में 587 रनों का पहाड़ जैसा स्कोर खड़ा किया। यही नहीं, उनके आउट होने के बाद वॉशिंगटन सुंदर और शुभमन गिल ने भी अच्छी साझेदारी की, जिससे भारत की पकड़ मैच में और मजबूत हो गई।
इससे साफ है कि जडेजा ने नियम जरूर तोड़ा, लेकिन उनका मकसद सिर्फ अपनी तैयारी को और पक्का करना था। उन्होंने अपने अनुभव और समझ से तय किया कि ज्यादा प्रैक्टिस करने की जरूरत है। शायद यही वजह रही कि बोर्ड ने भी इस मामले को हल्के में लिया और कोई पेनल्टी नहीं लगाई।
ये पूरा मामला बताता है कि क्रिकेट में अनुशासन जितना अहम है, उतनी ही जरूरी है खिलाड़ियों की प्रोफेशनल सोच और मैच को लेकर उनकी गंभीरता। जडेजा ने यहां अपने फैसले से साबित किया कि वो टीम के लिए कितने जिम्मेदार हैं। ऐसे में उम्मीद है कि बाकी खिलाड़ी भी इससे प्रेरणा लेंगे और खेल को और बेहतर बनाने की कोशिश करेंगे।