RBI Governor Sanjay Malhotra: विदेशी मुद्रा भंडार 695 अरब डॉलर, 11 महीनों के व्यापारिक आयात के लिए पर्याप्त
RBI Governor Sanjay Malhotra: भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने वार्षिक FIBAC सम्मेलन को संबोधित करते कहा कि अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना करने के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था की उपलब्धियां बहुत सराहनीय और व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त हैं। पिछले कुछ वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था कई गुना बढ़ी है जिससे यह लचीलेपन और आशा का प्रतीक बनी हुई है। आज भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषता इसकी मजबूत आर्थिक बुनियाद है।

RBI Governor Sanjay Malhotra
महामारी के बाद सुधार पर चर्चा करते हुए RBI गवर्नर ने कहा कि कोविड के बाद अर्थव्यवस्था में जोरदार उछाल आया है और पिछले चार वर्षों में लगभग 8 प्रतिशत प्रति वर्ष चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) दर्ज की गई है। वहीं अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भारत को विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक बताया है और कहा कि हम पूरी तरह तैयार हैं और आने वाले वर्षों में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का अनुमान है।
मुद्रास्फीति का लक्ष्य
RBI गवर्नर ने बताया कि पिछले दशक में, विशेषकर मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ढांचे को अपनाने के बाद, औसत मुद्रास्फीति दर काफी कम रही है, जो औसतन 4.9 प्रतिशत प्रति वर्ष रही है। वहीं चालू खाता घाटा (CAD) टिकाऊ सीमा के भीतर रहा है, जो पिछले साल GDP का सिर्फ़ 0.6 प्रतिशत था।
Fireside chat with Governor Shri Sanjay Malhotra at the Modern BFSI Summit hosted by Financial Express on July 25, 2025 at 10.25am https://t.co/l7NixAjmPV
— ReserveBankOfIndia (@RBI) July 25, 2025
Foreign Exchange Reserves
मज़बूत सेवा निर्यात और बहुत ही स्वस्थ आवक से बल मिला, जिससे भारत विश्व स्तर पर सबसे अधिक धन प्राप्तकर्ता बन गया। नए आँकड़ों के अनुसार, 695 अरब अमेरिकी डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार, 11 महीनों के व्यापारिक आयात को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। ये मजबूत बुनियादी विवेकपूर्ण राजकोषीय और मौद्रिक नीतियों, संरचनात्मक सुधारों, भौतिक और डिजिटल बुनियादी ढांचे के बड़े पैमाने पर बेहतर प्रशासन, बढ़ी हुई उत्पादकता और प्रतिस्पर्धात्मकता के कारण संभव हुई हैं।

धन की सुरक्षा के लिए जरूरी लचीलापन
RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि विनियमन वित्तीय स्थिरता को बढ़ावा देने और जमाकर्ताओं के धन की सुरक्षा के लिए जरूरी लचीलापन प्रदान करते हैं। लेकिन अत्यधिक विनियमन विकास में बाधा डाल सकता है। नियमन बनाने की कला सुरक्षा और विकास के बीच सही संतुलन ढूँढने में सक्षम है। इस संतुलन की खोज आरबीआई में हमारा निरंतर प्रयास रहा है।
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