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RBI गवर्नर शक्तिकांत दास बोले- सहकारी बैंकों समेत पूरी बैंक प्रणाली सुरक्षित

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि किसी एक सहकारी बैंक में किसी घटना को लेकर पूरी सहकारी बैंकिंग प्रणाली के स्वास्थ्य के बारे में कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता।

11:01 AM Oct 04, 2019 IST | Desk Team

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि किसी एक सहकारी बैंक में किसी घटना को लेकर पूरी सहकारी बैंकिंग प्रणाली के स्वास्थ्य के बारे में कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता।

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि देश की पूरी बैंकिंग प्रणाली मजबूत और स्थिर है। उन्होंने कहा कि किसी एक सहकारी बैंक में किसी घटना को लेकर पूरी सहकारी बैंकिंग प्रणाली के स्वास्थ्य के बारे में कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता। रिजर्व बैंक ने एक शहरी सहकारी बैंक में गड़बड़ी तथा उस पर केंद्रीय बैंक की पाबंदियों के बीच यह बात कही है। 
उन्होंने चालू वित्त वर्ष की चौथी द्वैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘जहां तक रिजर्व बैंक की बात है तो मैं यह बिल्कुल साफ साफ कहना चाहता हूं कि हमारी बैंकिंग प्रणाली मजबूत और सुव्यवस्थित है तथा किसी प्रकार की घबराने वाली कोई बात नहीं है।’ 
गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ने मुंबई के पंजाब एंड महाराष्ट्र को-आपरेटिव बैंक (पीएमसी) प्रकरण खुलने के बाद उसके खिलाफ पाबंदी लगा दी है। इसके तहत इस बैंक के ग्राहक को अगले छह माह किसी ग्राहक को 25,000 रुपये से ज्यादा की निकासी की अनुमति नहीं है। पहले यह राशि केवल 1000 रुपये प्रति खाता रखी गयी थी बाद में उसे बढ़ा कर 10000 रुपये किया गया। 

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पत्रकारों ने गवर्नर से सवाल किया था कि रिवर्ज बैंक की निगरानी के बावजूद पीएमसी में पिछले आठ साल से यह घोटाला चल रहा था। बैंक के कुल रिण का 73 प्रतिशत से अधिक एचडीआईएल को दिया गया था और यह खाता लंबे समय से एनपीए बन गया था। गवर्नर ने लोगों को सलाह दी है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें क्यों कि घबराने की कोई बात नहीं है। 
उन्होंने कहा कि पीएमसी बैंक के मामले में रिजर्व बैंक को जैसे ही जानकारी दी गयी, उसने तत्काल बहुत तेजी से कार्रवाई की। उन्होंने कहा कि ‘ऐसी किसी एक घटना के आधार पर सभी सहकारी बैंकों के स्वास्थ्य के बारे में धारणा नहीं बनायी जा सकती है।’ उन्होंने यह भी कहा कि रिजर्व बैंक सहकारी बैंकों के विनियमन व्यवस्था की पूरी समीक्षा करेगा और जरूरत हुई तो इस बारे में सरकार के साथ भी विचार विमर्श करेगा। 
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