प्रशांत किशोर के जनसुराज पार्टी में RCP सिंह की एंट्री, 'आसा' का भी हुआ विलय
बिहार चुनाव से पहले RCP सिंह का जनसुराज में शामिल होना अहम
RCP सिंह ने अपनी पार्टी ‘आसा’ का जनसुराज में विलय कर बिहार चुनाव से पहले सियासी तापमान बढ़ा दिया है। कुर्मी समुदाय के बड़े नेता माने जाने वाले सिंह की जनसुराज में एंट्री से पार्टी को नई बढ़त मिल सकती है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा अब सोमवार को होने की संभावना है।
बिहार की राजनीति में हलचल मचाने वाली प्रशांत किशोर की अगुवाई वाली जनसुराज पार्टी और RCP सिंह की पार्टी ‘आसा’ को लेकर रविवार को बड़ी खबर सामने आई। कभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेहद करीबी माने जाने वाले और पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे RCP सिंह अब जनसुराज पार्टी में शामिल हो गए हैं। इसके साथ ही उन्होंने अपनी बनाई नई नवेली पार्टी ‘आसा’ का भी जनसुराज में विलय कर दिया।
जनसुराज में विलय से पहले बनाई थी नई पार्टी
बता दें RCP सिंह ने पिछले साल 31 अक्टूबर 2024 को अपनी नई पार्टी ‘आसा’ की घोषणा की थी। राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो पार्टी निर्माण के बाद वह राजनीतिक रूप से खास सक्रिय नहीं दिखे। लेकिन अब उन्होंने प्रशांत किशोर की अगुवाई वाली जनसुराज पार्टी के साथ एक नई राजनीतिक पारी की शुरुआत कर दी है।
बिहार चुनाव से पहले सियासी तापमान चढ़ा
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए RCP सिंह की एंट्री को राजनीतिक रूप से अहम माना जा रहा है। वे कुर्मी समुदाय के बड़े नेता के रूप में माने जाते हैं और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बाद कुर्मी समुदाय में उनकी भी अच्छी पकड़ है। ऐसे में उनके जनसुराज से जुड़ने से पार्टी को जमीनी सतर पर राजनीतिक मजबूती मिल सकती है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम की घोषणा सोमवार को
जनसुराज पार्टी की रविवार को हुई बैठक में उम्मीद की जा रही थी कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम की घोषणा की जाएगी, लेकिन घोषणा नहीं हुई। मीडिया रिपोर्ट्स से मिली जानकारी के अनुसार अब यह ऐलान सोमवार को किया जा सकता है। माना जा रहा है कि पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व सांसद उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह को बनाया जा सकता है।
क्या बदलेगी बिहार की सियासी तस्वीर?
RCP सिंह की एंट्री और ‘आसा’ का विलय जनसुराज के लिए बिहार की राजनीति में एक बड़ी राजनीतिक बढ़त मानी जा रही है। अब देखना होगा कि इसका असर बिहार की राजनीति पर आने वाले चुनाव पर कितना पड़ता है और यह पार्टी विलय नीतीश कुमार और अन्य दलों के समीकरणों को कैसे प्रभावित कर पाएगा।
पटना में NMCH के मेडिसिन वार्ड का हुआ विस्तार, 100 बेड जोड़े गए