भाषा विवाद पर योगी सरकार के पक्ष में सपा के बागी विधायकों ने संभाला मोर्चा
योगी के बयान पर सपा के बागी विधायकों ने संभाला मोर्चा
उत्तर प्रदेश की विधानसभा में चल रहे बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा भाषा से जुड़े बयान के बाद गहराए विवाद पर सपा के बागी विधायकों ने मोर्चा संभाल लिया है।समाजवादी पार्टी के बागी विधायक अभय सिंह ने कहा, “अंग्रेजी इसलिए जरूरी है क्योंकि उत्तर प्रदेश पर पूरे देश और दुनिया की नजरें रहती हैं। सदन में क्या चर्चा हुई और लोग अपने लक्ष्यों को कैसे प्राप्त कर रहे हैं, यह जानना महत्वपूर्ण है। अगर यह अंग्रेजी में अनुवाद हो जाए, तो दक्षिण भारत के लोग और विदेश में रहने वाले सभी भारतीयों को इसे सुनने और समझने का मौका मिलेगा। इसलिए अंग्रेजी की आवश्यकता है। हमारे महाभारत और रामायण में भाषा की सभ्यता और मर्यादा के बारे में बताया गया है। उसे लोगों को पढ़ना चाहिए। इससे उन लोगों को ज्ञान मिलेगा।”
इसके बाद उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा महाकुंभ को मृत कुंभ कहे जाने पर उन्हें मानसिक रूप से विक्षिप्त बता दिया। उन्होंने कहा कि ऐसे बयान मानसिक रूप से विक्षिप्त लोग देते हैं। यह पूरी तरह गलत है। हम इसकी निंदा करते हैं और पूरा समाज भी इसे निंदनीय मानता है। उदाहरण के लिए, जब आप घर में छोटा सा कार्यक्रम जैसे बर्थडे या शादी करते हैं, तो आपकी पत्नी कहती हैं कि पूरे घर को कम से कम 15 दिन पहले व्यवस्थित करना पड़ता है। अगर यह महाकुंभ है, जहां देश-दुनिया से लोग आ रहे हैं, तो इसमें कोई ऐसी बात नहीं होनी चाहिए जो अनुचित हो।”
सपा के ही एक अन्य बागी विधायक मनोज पांडेय ने भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान को एकदम संतुलित बताते हुए कहा, “मुख्यमंत्री का बयान बहुत ही संतुलित, स्पष्ट और सही है। भारत की संस्कृति और सभ्यता को बचाने वाला यह बयान था। विपक्ष इसका विरोध कर रहा है। यह उनकी खराब सोच है।”
इसके बाद उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा महाकुंभ को मृत कुंभ कहे जाने पर कहा कि उनकी सोच गलत है। महाकुंभ विश्व स्तरीय आयोजन है। उस पर हमला करना भारतीय संस्कृति पर हमला करना है।
बता दें कि मंगलवार सुबह सदन की कार्यवाही का विरोध करने के बाद दोपहर 12:30 बजे सदन की बैठक शुरू हुई। इस दौरान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने कहा कि फ्लोर लैंग्वेज के रूप में अंग्रेजी की जगह उर्दू को अपनाया जाए, क्योंकि अंग्रेजी की जरूरत नहीं है और उर्दू हमारी दूसरी भाषा है। इस पर सीएम योगी ने हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं का मुद्दा उठाते हुए विपक्ष को कटघरे में खड़ा किया। सीएम ने कहा कि विपक्ष हर अच्छे काम का विरोध करता है। ये वही लोग हैं जो उर्दू की वकालत करते हैं, लेकिन भोजपुरी और अवधी जैसी भाषाओं का विरोध करते हैं।