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भारत में FDI का रिकॉर्ड : 10 वर्षों में 667 अरब डॉलर का विदेशी निवेश

03:05 PM Sep 27, 2024 IST | Saumya Singh

FDI का रिकॉर्ड :  भारत ने 2014 से 2024 के बीच कुल 667.4 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्राप्त किया है, जो पिछले दशक (2004-2014) की तुलना में 119 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। यह जानकारी सरकार ने हाल ही में जारी की है, जिसने बताया कि यह निवेश देश के सभी राज्यों और 57 विभिन्न सेक्टरों में फैला हुआ है।

जानें, एफडीआई में वृद्धि के कारण

भारतीय सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। वर्तमान में, रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सेक्टरों को छोड़कर, अधिकांश सेक्टरों में ऑटोमेटिक रूट से 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति है। यह नीति देश में निवेश के अनुकूल वातावरण बनाने के लिए महत्वपूर्ण है।

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मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की स्थिति

वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 2014 से 2024 के बीच 165 अरब डॉलर का एफडीआई आया है, जो 2004-2014 के मुकाबले 69 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। यह आंकड़ा दिखाता है कि भारत की औद्योगिक क्षमता में लगातार सुधार हो रहा है, जिससे अंतरराष्ट्रीय कंपनियों का ध्यान आकर्षित हो रहा है।

वित्तीय वर्ष 23 और 24 में निवेश

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 23 में भारत में 71 अरब डॉलर और वित्त वर्ष 24 में 70 अरब डॉलर का विदेशी निवेश आया। यह दिखाता है कि भारत लगातार एक प्रमुख विदेशी निवेशक गंतव्य के रूप में उभर रहा है। उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के सचिव अमरदीप भाटिया ने बताया कि सरकार उन उद्योगों को प्राथमिकता दे रही है, जो अधिक श्रम और कौशल की मांग करते हैं। इस दृष्टिकोण से, उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में एफडीआई 100 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर सकता है।

भाटिया ने यह भी कहा कि अनुपालन को कम करने के लिए संबंधित विभागों के साथ बातचीत चल रही है। उन्होंने बताया कि 100 ऐसे अनुपालन मुद्दों की पहचान की गई है, जिन्हें समाप्त करना आवश्यक है। इससे निवेश की प्रक्रिया पहले की तुलना में कहीं अधिक सरल हो जाएगी। सरकार व्यापार को आसान बनाने की दिशा में लगातार प्रयास कर रही है। अब तक 42,000 से अधिक अनुपालन आवश्यकताओं को समाप्त किया जा चुका है, जिससे उद्योग को काफी लाभ हुआ है। यह कदम न केवल विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करेगा, बल्कि देश की आर्थिक वृद्धि को भी मजबूत करेगा।

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