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यह कैसा रील कल्चर है जो नै​तिकता तोड़ रहा है

05:00 AM Nov 09, 2025 IST | Kiran Chopra

यह सच है कि आज जमाना उस टैक्नोलॉजी का है जो सोशल मीडिया के रूप में देश और दुनिया पर हावी हो रहा है। कल तक लोग अखबारों में खबर छपने के बाद किसी घटना या इवेंट को लेकर जब चर्चा किया करते थे तो वह बड़ी सजीव और सकारात्मक हुआ करती थी, लेकिन जिस तरह से आज सोशल मीडिया चीजों को विशेष रूप से घटनाओं और इवेंट को प्रस्तुत कर रहा है उसका इम्पेक्ट एक होड़ को जन्म देता है। जो लोग सोशल मीडिया जैसे प्रोफेशन से जुड़े हैं वे आजकल रील बनाने का काम कर रहे हैं। रील बनाना हर किसी के जीवन में एक खास जगह बना रहा है। हालांकि रील बनाते समय आजकल नैतिकता की हदें भी पार की जा रही हैं, जो कि हमारे उस संस्कारों के खिलाफ है जिसे हम मान-मर्यादा और इज्जत के साथ जोड़ते हैं। केवल प्रसिद्धि पाने के लिए, केवल अपना लाभ कमाने के लिए और जहां कोई न पहुंचे वहां आप अपने आपको प्रदर्शित करने के लिए जब रील बनाते हैं तो आप लोग नैतिकता को दरकिनार कर रहे हैं। विशेषज्ञों ने कहा है कि रील बनाने का कल्चर विशेष रूप से यूथ में सारी नैतिकताओं की हदें तोड़ चुका है और समाज पर इसके बहुत बुरे प्रभाव पड़ रहे हैं।

मैं जब कभी सोशल मीडिया के तहत फेसबुक, इंस्टाग्राम देखती हूं तो साधारण घरों की लड़कियां अनेक गानों की धुन पर डांस करती दिखाई देती हैं। डांस करने में कोई बुराई नहीं लेकिन जब आप अश्लीलता भरे डांस करेंगे तो यह मर्यादा का हनन है। किसी भी पुल के ऊपर से नदी में लड़के और लड़की का छलांग लगाना और अश्लील गानों पर थिरकते हुए रील बनाना यह सब मर्यादा का हनन है। दिल्ली की चलती मैट्रो में एक लड़की अश्लीलता भरा डांस कर रही है। इस रील के ​लिए लड़की अपनी शर्ट के बटन खोलकर लाइक्स किए जाने की अपील कर रही है।

इन्हीं रीलों में कमेंट करने की गुजारिश की जाती है जिनसे रील बनाने वालों के व्यूज बढ़ते हैं। इन्हें देख-देख कर कई और लड़कियां ऐसी ही रीलें सोशल मीडिया पर डाल रही हैं। टीवी पर जब ऐसे डिबेट देखती हूं तो कितने ही दृश्यों को देखकर आंखें शर्म से झुक जाती हैं कि ये हमारे समाज को क्या हो गया है। मेरा यह मानना है कि जब विज्ञान ने हमें टैक्नोलॉजी दी है और अनेक लोग रील बनाने के प्रोफेशन से जुड़े भी हैं लेकिन सामाजिक जीवन में रील बनाने को एक कल्चर के रूप में जिस तरह से यूथ ने स्थापित किया है वह एक सामाजिक बुराई के रूप में उभर रहा है और नैतिक सिद्धांतों का सम्मान भी किया जाना जरूरी है। रीलों की दुनिया में तेजी से वायरल होने की होड़ और किसी भी ट्रेंड को फॉलो करने के लिए किसी भी हद तक चले जाना हमारे समाज के लिए घातक है। केवल व्यूज और लाइक के लिए अगर कोई लड़की अस्पताल में ग्लैमरस ढंग से नाचती है या मंदिर में लोगों की लाइनों के बीच में या किसी भी मॉल में या किसी भी सिनेमा के सामने अश्लील नृत्य करती है और उसे बदले में व्यूज और लाइक ही चाहिए तो ऐसी रील बनाने का क्या फायदा जो नैतिकता को अपने पांव तले रौंदती हो। इस संबंध में कड़े नियम लागू करने व सजा का प्रावधान सुनिश्चित करना होगा।

यही नहीं कई रीलें स्वास्थ्य को लेकर बनाई जाती हैं, उनको फॉलो करके भी कई लोग बीमार हुए, कई घर के वास्तु ठीक करने के लिए बनाई जाती हैं। वो बहुत लोगों काे परेशान कर रही हैं। कई रीलें ज्यो​तिष के चक्र में बनती हैं, कई रीलें घर में पैसे की बरकत या घर में सुख-समृद्धि बढ़े, उसके लिए बनती हैं। सब रीलों ने आम व्यक्तियों को कई चक्करों में डाल रखा है। मेरे हिसाब से रीलें बनाने या सोशल मीडिया पर कुछ भी डालने के लिए नियम कानून बनने चाहिएं ताकि आम आदमी परेशान होने से बच सके। इस मामले में मेरा माता-पिता से भी अनुरोध है कि बच्चों को मोबाइल के सद्उपयोग के लिए समझाएं और उन्हें बताएं कि कोई भी वीडियो बनाने से पहले उसमें कोई ऐसी रील न प्रस्तुत करें जिसमें गलत प्रभाव पड़ता हो। दूसरों का सम्मान करें, कानून का पालन करें और किसी के बारे में गलत कमेंट न करें।

छात्रों के एक ग्रुप ने सहपाठी छात्राओं के फोटो खींच लिए और उनकी फिगर को लेकर कमेंट करने शुरू कर दिए और इसके लिए लाइक्स और व्यूज मांगे गए तो यह लाखों में थे, कुछ लड़कियों के माता-पिता ने पुलिस में शिकायत की तो यह एक्शन हुआ और यह ग्रुप बंद कर दिया गया। यह कोई कल्पना नहीं बल्कि राजधानी दिल्ली से जुड़ी एक घटना है। हमें एक-दूसरे पर विश्वास बनाने के लिए रील बनानी चाहिए। आज की तारीख में जिस तरह से अनेक छोटे-बड़े चैनल चाहे वह यूट्यूब से जुड़े हैं या खुद के व्हाट्सऐप हैं सनसनीखेज सामग्री डालने से बचना चाहिए। यह देश ऋषि-मुनियों, देवताओं और भगवान का देश है जहां से अच्छे संस्कारों की गंगोत्री बहती है। दुनिया भारत को एक संस्कारवान राष्ट्र मानती है लेकिन जागरूकता की कमी में रील बनाना वह गलत प्रभाव डाल सकता है और समाज पर नकारात्मक असर पड़ता है। इसलिए इस गंभीर और संवेदनशील मुद्दे पर मेरी यही विनती है कि नैतिकता का सम्मान किया जाए और भारत की शान जो संस्कारों पर टिकी है उसका पालन किया जाना चाहिए। महज व्यूज और लाइक के लिए सार्वजनिक स्थलों पर अपने आपको गलत तरीके से प्रस्तुत करते हुए रील मेकिंग कल्चर पर पूर्ण विराम लग जाना चाहिए।

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