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पड़ोसी देशों से शरणार्थियों का आना शुरू हो गया है : सुशील कुमार मोदी

अल्पसंख्यकों को हताश विरोधी दलों की बंदूकों के लिए कंधा बनने के बजाय सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास की नीति पर चलने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर यकीन करना चाहिए।

01:17 PM Dec 16, 2019 IST | Desk Team

अल्पसंख्यकों को हताश विरोधी दलों की बंदूकों के लिए कंधा बनने के बजाय सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास की नीति पर चलने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर यकीन करना चाहिए।

पटना : उपमुख्यमंत्री सुशील  कुमार मोदी  ने कहा कि नये नागरिकता कानून को लेकर पंजाब, पश्चिम बंगाल, असम और पूर्वोत्तर के उन राज्यों में लोगों को कुछ समस्या हो सकती है, जहां पड़ोसी देशों से शरणार्थियों का आना हुआ है। गृह मंत्री ने उनकी आपत्तियों को ध्यान में रख कर कानून में बदलाव के संकेत भी दिये हैं, लेकिन बिहार-झारखंड में कोई शरणार्थी समस्या नहीं है। राजद और कांग्रेस के लोग बतायें कि जब नागरिकता कानून से बिहार पर कोई सीधा असर ही नहीं पड़ता, तब इसके विरोध में उकसा कर राज्य का अमन-चैन छीनने की कोशिश क्यों की जा रही है? क्या नागरिकता बिल के बहाने संसदीय चुनाव में सूपड़ा साफ होने का बदला शांतिप्रिय जनता से लिया जाएगा?
श्री मोदी ने बताया कि संशोधित नागरिकता कानून पाकिस्तान सहित तीन मुसलिम पड़ोसी देशों में वर्षों तक अत्याचार सहने के बाद भारत में शरण लेने वाले हिंदू-ईसाई, पारसी सहित वहां के छह अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को मानवता के नाते नागरिकता देने के लिए हैं, किसी भारतीय की नागरिकता को छीनने या उसके अधिकारों में कोई कटौती करने के लिए नहीं।  गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में सभी शंकाओं का बिंदुवार निराकरण किया। इसके बावजूद कांग्रेस और राजद जैसे दल इस मुद्दे पर एक समुदाय को भडक़ा कर अशांति फैलाना चाहते हैं। नागरिकता कानून का संबंध भारत के अल्पसंख्यकों से बिल्कुल नहीं, लेकिन राजद और कांग्रेस इस समुदाय को बेवजह डराकर केवल वोटबैंक की राजनीति कर रहे हैं। 
उन्होंने कहा कि इन दलों को बताना चाहिए कि लालू-राबड़ी के 15 साल के शासन में कितने अल्पसंख्यकों को नौकरी मिली और इनकी तालीम के लिए क्या किया गया?  एनडीए सरकार ने एएमयू का किशनगंज कैम्पस शुरू कियाए कब्रिस्तान की घेराबंदी करायी और पटना सिटी में इस्लामिक सेंटर का विकास किया। अल्पसंख्यकों को हताश विरोधी दलों की बंदूकों के लिए कंधा बनने के बजाय सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास की नीति पर चलने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर यकीन करना चाहिए।
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