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महाकुंभ के आयोजन को लेकर धनखड़ बोले - उन्होंने कभी कल्पना नहीं की थी कि भारतवर्ष में ऐसा आयोजन होगा

उपराष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने कभी कल्पना नहीं की थी कि भारतवर्ष में ऐसा आयोजन होगा.

07:34 AM Feb 01, 2025 IST | Shera Rajput

उपराष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने कभी कल्पना नहीं की थी कि भारतवर्ष में ऐसा आयोजन होगा.

महाकुंभ के आयोजन को लेकर धनखड़ बोले   उन्होंने कभी कल्पना नहीं की थी कि भारतवर्ष में ऐसा आयोजन होगा
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महाकुंभ के आयोजन को लेकर शनिवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि उन्होंने कभी कल्पना नहीं की थी कि भारतवर्ष में ऐसा आयोजन होगा।

सीएम योगी आदित्यनाथ ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का अंगवस्त्र ओढ़ाकर गर्मजोशी से किया स्वागत

आपको बता दे कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ अपने परिवार के साथ हेलिकॉप्टर से तीर्थराज प्रयागराज पहुंचे। हेलिपैड पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने उन्हें अंगवस्त्र ओढ़ाकर गर्मजोशी से स्वागत किया। इसके बाद उपराष्ट्रपति अरैल संगम घाट पहुंचे, जहां उन्होंने क्रूज पर सवार होकर नौकायन का आनंद लिया।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संगम में लगाई आस्था की डुबकी

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ अपने पत्नी और परिवार के लोगों के संग संगम में आस्था की डुबकी लगाई और सूर्य देवता को अर्घ्य दिया।

त्रिवेणी संगम में चिह्नित स्थान पर स्नान के दौरान वृंदावन के मुख्य पुजारी पुंडरीक गोस्वामी ने विधिवत पूजा-अर्चना कराई। उपराष्ट्रपति की इस यात्रा ने संगम की धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता को एक बार फिर से उजागर किया।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने पक्षियों को अपने हाथों से डाला दाना

नौकायन के दौरान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ साइबेरियन पक्षियों को देखकर बेहद उत्साहित नजर आए। उन्होंने कलरव करते इन पक्षियों को अपने हाथों से दाना डाला और परिजनों के साथ इस अनोखे क्षण का आनंद लिया। उनकी यह सादगीभरी पहल एक खूबसूरत दृश्य प्रस्तुत कर रही थी।

त्रिवेणी संगम पर पवित्र स्नान के बाद उपराष्ट्रपति ने अपनी पत्नी और परिवार के साथ सरस्वती कूप, अक्षय वट और बड़े हनुमान मंदिर का दौरा किया। यहां उन्होंने विधि-विधान से पूजा-अर्चना की। बड़े हनुमान मंदिर में उन्होंने महाबली हनुमान को रोली, वस्त्र, जनेऊ, सिंदूर, लाल चंदन, माला, धूप-दीप और नैवेद्य अर्पित किया। पूजा के बाद उन्होंने हनुमान जी की परिक्रमा भी की, जिससे उनकी धार्मिक श्रद्धा और पारंपरिक आस्था झलकती है।

यह ऐतिहासिक है आज तक पृथ्वी पर इतने करोड़ों लोगों का संगम नहीं हुआ – धनखड़

बड़े हनुमान मंदिर में लेटे हुए हनुमान जी के दर्शन के बाद उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा, “यह ऐतिहासिक है। आज तक पृथ्वी पर इतने करोड़ों लोगों का संगम नहीं हुआ है। यहां की उत्कृष्ट व्यवस्था को देखकर मैं अभिभूत हूं।”

उन्होंने संगम क्षेत्र में प्रशासनिक व्यवस्था की प्रशंसा करते हुए कहा, “मौनी अमावस्या पर हुए हादसे के बावजूद जिस त्वरित गति से हर स्थिति को संभाला गया, वह सराहनीय है। दुनिया यह जानकर अचंभित हो जाएगी कि अमेरिका की पूरी आबादी के बराबर लोग यहां आ चुके हैं।”

उनके इन शब्दों ने प्रयागराज में हुए कुंभ और संगम की विशालता और कुशल प्रबंधन को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण संदेश दिया।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सीएम योगी आदित्यनाथ की तारीफ की

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने तीर्थराज प्रयागराज की यात्रा को अपने जीवन का सबसे सुखद पल बताते हुए कहा, “मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी साधुवाद के पात्र हैं। उन्होंने जो आयोजन किया है, वह दुनिया के इतिहास में दर्ज हो गया है। डुबकी लगाने पर मुझे एहसास हुआ कि भारत जैसा देश दुनिया में और कोई नहीं है।”

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यों की प्रशंसा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, “योगी जी का योगदान यह परिभाषित करता है कि जब लगन, योग्यता, संस्कृति का ज्ञान और देश सेवा की भावना हो, तो ऐसे करिश्माई कार्य संभव होते हैं।”

उपराष्ट्रपति के इन शब्दों ने न केवल योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व की सराहना की, बल्कि भारत की संस्कृति और आध्यात्मिक परंपरा की भी गौरवमयी झलक प्रस्तुत की।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोशल मीडिया पोस्ट किया साझा

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि पावन त्रिवेणी संगम पर आयोजित इतिहास के सबसे महान मानव समागम महाकुंभ 2025 में स्नान कर आत्मिक आनंद की अनुभूति हो रही है। अनंत श्री विभूषित श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी महाराज जी के पावन मंत्रोच्चारों से संपन्न यह संगम स्नान सनातन संस्कृति, सामाजिक समरसता और आस्था की दिव्य अनुभूति से परिपूर्ण रहा।’

उपराष्ट्रपति ने आगे एक ओर पोस्ट कहा कि महाकुंभ केवल एक पर्व नहीं, बल्कि आस्था का महासागर है जो भारत की सनातन संस्कृति और आध्यात्मिक चेतना का जीवंत प्रतीक है। कुंभ हमारी सभ्यता के लोकाचार, आध्यात्मिक और सनातन की सहजता से प्रेरित अद्वितीय आयाम का मानव समागम है।

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Shera Rajput

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