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'दिल्ली दंगे एक 'रिजीम चेंज ऑपरेशन' थे...', पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया हलफनामा, आरोपियों की जमानत पर दिया ये तर्क

03:11 PM Oct 30, 2025 IST | Amit Kumar
Regime Change Operation, credit (S-M)

Regime Change Operation: दिल्ली पुलिस ने 2020 दिल्ली दंगे को सिर्फ कानून-व्यवस्था का मामला न मानते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल किया है। दाखिल हलफनामे में इस दंगे को एक संगठित राजनीतिक ऑपरेशन बताया गया है। पुलिस के अनुसार, ये दंगे अचानक नहीं हुए बल्कि देश की आंतरिक शांति और अंतरराष्ट्रीय स्थिति को अस्थिर करने की सोची-समझी योजना का हिस्सा थे।

Regime Change Operation: पुलिस ने क्या दावा किया ?

पुलिस ने दंगों के पीछे सिर्फ प्रदर्शन या विरोध-आंदोलन का तर्क खारिज करते हुए कहा है कि यह एक समन्वित “शासन-परिवर्तन ऑपरेशन” था, जिसमें आरोपी-याचिकाकर्ता जैसे उमर खालिद, शरजील इमाम, मीरान हैदर, गुलफिशा फातिमा सहित अन्य शामिल थे। उन्होंने यह भी कहा कि ये दंगे लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बाधित करने, देश की संप्रभुता पर चोट पहुंचाने एवं नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) के खिलाफ असहमति का हिन्दू-मुस्लिम स्वरूप देकर अंतरराष्ट्रीय छीछालेदर करने की तैयारी का हिस्सा थे।

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Regime Change Operation, credit (S-M)

Delhi Police Statement: पुलिस की जांच में क्या मिला?

पुलिस के अनुसार, जांच-एजेंसियों ने आरोपियों के खिलाफ प्रत्यक्ष, दस्तावेजी तथा तकनीकी सबूत जमा किए हैं जो ये दर्शाते हैं कि इस हिंसा का उद्देश्य सिर्फ विरोध के स्वरूप में नहीं था बल्कि देश की आंतरिक शांति एवं अंतरराष्ट्रीय छवि को प्रभावित करना था। उन्हें दावा है कि CAA को मुस्लिम-विरोधी कानून के रूप में पेश करने का मकसद विरोध को हिंसा में बदलना था, उसमें विदेशी दृष्टिकोण भी शामिल था।

SC Hearing on Delhi Riots: ट्रायल और जमानत के संबंध में क्या कहा गया?

हलफनामे में पुलिस ने यह भी कहा है कि आरोपी-याचिकाकर्ताओं ने जमानत अर्जियों के माध्यम से और ट्रायल की प्रक्रिया में जानबूझकर विलंब करके कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग किया है। उनका दावा है कि ट्रायल में देरी एजेंसियों की वजह से नहीं बल्कि आरोपियों की सहकारी रवैये की कमी के कारण हुई। इसके साथ ही पुलिस ने बताया है कि गवाहों की संख्या पर विवाद के बावजूद वास्तव में करीब 100-150 गवाह पर्याप्त हैं — और अगर आरोपी सहयोग करें तो ट्रायल जल्दी पूरा हो सकता है।

Regime Change Operation, credit (S-M)

“जेल, बेल नहीं” का तर्क

पुलिस ने UAPA (गैरकानूनी गतिविधियों-रोकथाम अधिनियम) का हवाला देते हुए कहा है कि इस तरह के गंभीर अपराधों के लिए “जेल, बेल नहीं” ही नियम होना चाहिए। उनका तर्क है कि प्रारंभिक सबूतों को खारिज करने में आरोपियों की असमर्थता और अपराध की गंभीरता इस बात का आधार है कि जमानत देना उचित नहीं।

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