गणतंत्र दिवस 2025: तीनों सेनाओं की संयुक्त झांकी में पहली बार दिखेगा जल-थल-आकाश का तालमेल
गणतंत्र दिवस 2025 के अवसर पर इस वर्ष एक ऐतिहासिक पहल की जा रही है…
गणतंत्र दिवस 2025 के अवसर पर इस वर्ष एक ऐतिहासिक पहल की जा रही है। सेना के तीनों अंगों—थल सेना, नौसेना और वायु सेना—की संयुक्त झांकी पहली बार प्रस्तुत की जाएगी, जो जल, थल और आकाश में सशस्त्र बलों के बेहतर समन्वय, संयुक्तता और एकीकरण का प्रतीक होगी।
गुरुवार को फुल ड्रेस रिहर्सल के साथ इस झांकी का पूर्वाभ्यास किया जाएगा। झांकी में युद्धक्षेत्र का एक परिदृश्य दिखाया जाएगा, जहां थल सेना का स्वदेशी अर्जुन मुख्य युद्धक टैंक, वायुसेना का तेजस एमकेII लड़ाकू विमान, उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर, नौसेना का विध्वंसक आईएनएस विशाखापत्तनम और दूर से संचालित विमान एक साथ संचालन करते नजर आएंगे। यह प्रदर्शन भारतीय सेनाओं के बीच युद्ध क्षेत्र में सामंजस्य और एकीकृत प्रयास को रेखांकित करेगा।
‘सशक्त और सुरक्षित भारत’ पर आधारित थीम
झांकी का विषय ‘सशक्त और सुरक्षित भारत’ होगा। यह न केवल सशस्त्र बलों के संयुक्तता और एकीकरण के दृष्टिकोण को दर्शाएगी, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और परिचालन उत्कृष्टता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को भी प्रदर्शित करेगी। इसमें एक संयुक्त संचालन कक्ष को दिखाया जाएगा, जो तीनों सेनाओं के बीच नेटवर्किंग और संचार का प्रतीक है।
आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम
झांकी भारत की ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल का भी प्रतीक है, जिसमें रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के प्रयासों को उजागर किया जाएगा। रक्षा मंत्रालय ने 2025 को ‘सुधार का वर्ष’ घोषित किया है, और इस झांकी में दिखाए गए सभी उपकरण इसी दृष्टिकोण का हिस्सा हैं।
संयुक्तता के फायदे
मुख्यालय, इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ ने तीनों सेनाओं के बीच तालमेल बढ़ाने के लिए व्यापक प्रयास किए हैं। यह कदम न केवल समकालीन और भविष्य के संघर्षों में सेनाओं की युद्ध क्षमता को बढ़ाएगा, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए साझा जिम्मेदारी और एकीकृत कार्रवाई की संस्कृति को भी मजबूत करेगा।
त्रि-सेवा की यह झांकी 26 जनवरी को कर्तव्य पथ पर परेड के दौरान भारत की सैन्य शक्ति, एकजुटता और भविष्य के प्रति उसकी तैयारी का प्रतीक बनेगी।