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पंजाब विश्वविद्यालय के चरित्र में बदलाव की किसी भी कोशिश के विरुद्ध प्रस्ताव पारित

पंजाब विधानसभा ने बृहस्पतिवार को पंजाब विश्वविद्यालय की ‘‘स्थिति’’ को बदलने के केंद्र के कथित कदम के खिलाफ ध्वनि मत से एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें कहा गया कि विश्वविद्यालय के ‘‘चरित्र’’ को बदलने का कोई भी निर्णय राज्य के लोगों को स्वीकार्य नहीं होगा।

04:03 AM Jul 01, 2022 IST | Shera Rajput

पंजाब विधानसभा ने बृहस्पतिवार को पंजाब विश्वविद्यालय की ‘‘स्थिति’’ को बदलने के केंद्र के कथित कदम के खिलाफ ध्वनि मत से एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें कहा गया कि विश्वविद्यालय के ‘‘चरित्र’’ को बदलने का कोई भी निर्णय राज्य के लोगों को स्वीकार्य नहीं होगा।

पंजाब विधानसभा ने बृहस्पतिवार को पंजाब विश्वविद्यालय की ‘‘स्थिति’’ को बदलने के केंद्र के कथित कदम के खिलाफ ध्वनि मत से एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें कहा गया कि विश्वविद्यालय के ‘‘चरित्र’’ को बदलने का कोई भी निर्णय राज्य के लोगों को स्वीकार्य नहीं होगा।
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हालांकि, 117 सदस्यीय राज्य विधानसभा में अपने दो विधायकों अश्विनी शर्मा और जंगी लाल महाजन के साथ भाजपा ने इसका विरोध करते हुए पूछा कि क्या वास्तव में संस्थान की स्थिति को केंद्रीय विश्वविद्यालय में बदलने का प्रस्ताव है।
पंजाब के शिक्षा मंत्री गुरमीत सिंह मीत हायेर ने यह प्रस्ताव पेश किया और कहा कि पंजाब का पंजाब विश्वविद्यालय पर हक है तथा राज्य सरकार केंद्र को उसकी प्रकृति एवं उसके चरित्र में फेरबदल नहीं करने देगी।
मंत्री ने कहा, ‘‘पंजाब विश्वविद्यालय हमारी विरासत है और यह हमारे लिए पहचान का विषय है।’’
प्रस्ताव में कहा गया है, ‘‘यह सदन पंजाब विश्वविद्यालय को किसी न किसी बहाने से केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाकर उसके दर्जे में परिवर्तन करने के विषय पर जोर देने की निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा की जा रही कोशिश से चिंतित है।’’
इसमें कहा गया है, ‘‘यह सदन सर्वसम्मति से महसूस करता है कि पंजाब विश्वविद्यालय के चरित्र को बदलने का कोई भी फैसला पंजाब के लोगों के लिए अस्वीकार्य होगा, इसलिए वह सिफारिश करता है कि इस विश्वविद्यालय की प्रकृति एवं उसके चरित्र में किसी भी तरह के बदलाव पर भारत सरकार द्वारा विचार नहीं किया जाए।’’
प्रस्ताव में यह भी कहा गया, ‘‘सदन स्वीकार करता है कि पंजाब विश्वविद्यालय को पंजाब राज्य के एक अधिनियम के साथ फिर से शुरू किया गया था स्वतंत्रता के बाद पंजाब विश्वविद्यालय अधिनियम 1947 के साथ। इसके बाद 1966 में पंजाब राज्य के पुनर्गठन के साथ संसद द्वारा अधिनियमित पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 की धारा 72(1) के तहत इसे एक अंतर-राज्य के रूप में घोषित किया गया था।’’
संकल्प में कहा गया है कि अपनी स्थापना के बाद से पंजाब विश्वविद्यालय पंजाब राज्य में लगातार और निर्बाध रूप से कार्य कर रहा है।
मीत ने कहा कि इस तथ्य के बावजूद कि हरियाणा और हिमाचल राज्यों ने विश्वविद्यालय को रखरखाव घाटे के अनुदान में अपना हिस्सा देना बंद कर दिया, पंजाब ने अपना हिस्सा 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर दिया है और 1976 से लगातार इसका भुगतान कर रहा है।
प्रस्ताव के अनुसार ऐसा कोई भी प्रस्ताव यदि विचाराधीन है तो उसे तत्काल छोड़ दिया जाए। इसमें कहा गया है, ‘‘यह सदन राज्य सरकार से इस विषय को केंद्र के सामने उठाने की कड़ी संस्तुति करता है ताकि पंजाब विश्वविद्यालय की प्रकृति एवं उसका चरित्र न बदला जाए।’’
भाजपा विधायक महाजन ने कहा, ‘‘जब ऐसा कोई प्रस्ताव है ही नहीं, तो फिर इस प्रस्ताव की जरूरत ही क्या है?’’
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एक सप्ताह पहले यहां पंजाब विश्वविद्यालय की प्रकृति एवं उसके चरित्र में किसी भी तरह के बदलाव को रोकने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह एवं शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के हस्तक्षेप की मांग की थी।
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