सोशल मीडिया की जवाबदेही तय करनी होगी
पूरी दुनिया में सूचना और संचार क्रांति की अंधी दौड़ मची है। इसमें बहुत बड़ी भूमिका इंटरनेट निभा रहा है। आज जिनके पास भी इंटरनेट है उनका एक अहम समय इस पर ही व्यतीत होता है, खासकर सोशल मीडिया पर। वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता लोकतंत्र का एक अहम पहलू है। इस अधिकार के उपयोग के लिये सोशल मीडिया ने जो अवसर नागरिकों को दिये हैं, डेढ़ दशक पूर्व उनकी कल्पना भी किसी ने नहीं की होगी। दरअसल, इस मंच के ज़रिये समाज में बदलाव की बयार लाई जा सकती है लेकिन चिंता का विषय है कि मौजूदा वक्त में सोशल मीडिया अपनी आलोचनाओं के लिये चर्चा में रहता है। दरअसल, सोशल मीडिया की भूमिका सामाजिक समरसता को बिगाड़ने और सकारात्मक सोच की जगह समाज को बांटने वाली सोच को बढ़ावा देने वाली हो गई है।
हाल ही में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सेना के खिलाफ इंटरनेट (सोशल) मीडिया पर आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट करने के आरोपी को जमानत देने से इन्कार कर दिया। न्यायमूर्ति देशवाल ने कहा, उच्च प्रतिष्ठित व्यक्तियों के खिलाफ निराधार आरोप लगाकर, ऐसी सामग्री पोस्ट करना जो लोगों के बीच वैमनस्य और घृणा पैदा करती है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में सोशल मीडिया का दुरुपयोग करना “कुछ लोगों के समूहों के बीच फैशन’’ बन गया है। एक अन्य मामले में बीते दिनों इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अन्य आरोपी की जमानत खारिज करते हुए डिजिटल मीडिया के अपराधीकरण पर चिंता जाहिर की है। न्यायमूर्ति अजय भनोट ने यह टिप्पणी उस समय की जब उन्होंने व्हाट्सएप पर एक महिला की अश्लील तस्वीरें प्रसारित करने के आरोपी रामदेव की जमानत अर्जी खारिज की। आज सोशल मीडिया का इस्तेमाल राजनीतिक पार्टियों द्वारा भी जमकर किया जा रहा है मगर इसका इस्तेमाल जिस तरह से हो रहा है वह वाकई चिंता का विषय है।
राजनीतिक पार्टियों के साथ-साथ उनके समर्थक भी अक्सर शालीनता की सारी हदें पार कर लेते हैं। लोकसभा चुनाव 2024 के समय चुनाव आयोग ने भी राजनीतिक दलों को सोशल मीडिया के दुरुपयोग पर स्पष्ट रूप से निर्देश दिया था कि वे ऐसी सामग्री प्रकाशित न करें जो झूठी, भ्रामक या अपमानजनक हो, खासकर महिलाओं के प्रति। अभियान सामग्री में बच्चों का उपयोग और हिंसा या जानवरों को नुक्सान पहुंचाने का चित्रण भी निषिद्ध है। सुप्रीम कोर्ट भी कई मामलों में सोशल मीडिया के दुरुपयोग के बारे में सख्त टिप्पणियां कर चुका है। साल 2020 में संयुक्त राज्य अमेरिका में एक अफ्रीकी-अमेरिकी युवक की मृत्यु के बाद बड़े पैमाने पर हिंसक विरोध-प्रदर्शन का दौर प्रारंभ हो गया था। यह हिंसक विरोध- प्रदर्शन स्वतः परंतु सोशल मीडिया द्वारा विनियोजित था। इससे पूर्व अरब की सड़कों पर शुरू हुए प्रदर्शनों (जिसने कई तानाशाहों की सत्ता को चुनौती दी) में भी सोशल मीडिया के व्यापक प्रभाव का अनुभव किया गया था। सोशल मीडिया के माध्यम से लोग अपने विचारों को एक-दूसरे के साथ साझा कर एक नई बौद्धिक दुनिया का निर्माण कर रहे हैं।
भारत में इंटरनेट यूजर्स की तादाद लगातार तेजी से बढ़ रही है। इसमें खासकर ग्रामीण इलाकों से आने वाले यूजर्स शामिल हैं। आई.ए.एम. ए.आई. और कंतार की रिपोर्ट ‘इंटरनेट इन इंडिया’ के मुताबिक, भारत में 2025 के दौरान इंटरनेट यूजर्स की संख्या 90 करोड़ के पार हो’ सकती है। यह रिपोर्ट बताती है कि 2024 में इंटरनेट यूजर्स की संख्या 88.6 करोड़ तक पहुंच गई थी। ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट यूजर शहरी क्षेत्रों की तुलना में तेजी से बढ़ रहे हैं। 2024 में भारत में 88.6 करोड़ एक्टिव इंटरनेट यूजर थे। इनमें से 48.8 करोड़ ग्रामीण इलाकों से थे। यह देश के कुल इंटरनेट यूजर्स का 55 प्रतिशत हिस्सा है। देश में इंटरनेट यूजर्स में से 47 प्रतिशत महिलाएं हैं। इस ट्रेंड से जाहिर होता है कि डिजिटल क्रांति अब सिर्फ शहरों तक सीमित नहीं है, बल्कि गांवों तक भी अपनी पहुंच बना रही है और वह भी हर वर्ग में।
भारत में ज्यादातर यूजर ओटीटी वीडियो और म्यूजिक कंटेंट के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। चैटिंग, मेल और कॉल्स के साथ सोशल मीडिया का भी खूब इस्तेमाल होता है। ये एक्टिविटीज शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में समान रूप से लोकप्रिय हैं। साथ ही डिजिटल पेमेंट्स और नेट कॉमर्स (कॉमर्स) जैसी गतिविधियां भी तेजी से बढ़ रही हैं जिससे डिजिटल अर्थव्यवस्था को बल मिल रहा है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक, व्हाट्सऐप और इंस्टाग्राम का इस्तेमाल अब सिर्फ पर्सनल चैट तक सीमित नहीं है, बल्कि इनका कमर्शियल कामकाज के लिए भी उपयोग किया जा रहा है। रील्स बनाने का ट्रेंड शहरी और ग्रामीण, दोनों क्षेत्रों के लोगों में समान रूप से पॉपुलर है। दैनिक औसतन इंटरनेट यूजर हर दिन 90 मिनट इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। इसमें शहरी यूजर थोड़ा ज्यादा समय (94 मिनट) तक इंटरनेट चलाते हैं। ग्रामीण यूजर्स (89 मिनट) इस मामले में उनसे थोड़ा पीछे हैं लेकिन यह आंकड़ा दिखाता है कि इंटरनेट अब दैनिक जीवन का जरूरी हिस्सा बन गया है, चाहे वह शहरी हो या ग्रामीण क्षेत्र।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि सोशल मीडिया ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को नया आयाम दिया है, आज प्रत्येक व्यक्ति बिना किसी डर के सोशल मीडिया के माध्यम से अपने विचार रख सकता है और उसे हज़ारों लोगों तक पहुंचा सकता है।
वह सोशल मीडिया पर फेक न्यूज के माध्यम से समाजकंटक समाज में वैमनस्यता, नफरत फैलाने और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का काम करते हैं। बिना किसी जांच-पड़ताल के अधिकांश मुल्कों को जाति, धर्म, संप्रदाय में बांट कर वास्तविकता और संविधान की मूल भावना को दरकिनार करके असभ्य और अमर्यादित भाषा में टिप्पणी करने लगते हैं। लोग तो सोशल मीडिया का दुरुपयोग भी धड़ल्ले से कर रहे हैं। फर्जी फेसबुक, इंस्टाग्राम व अन्य अकाउंट बनाकर लोगों को ठगा जा रहा है। इसमें आपत्तिजनक चीजों की भरमार है जिससे सोशल मीडिया की प्राइवेसी को खतरा है। वर्तमान में सोशल मीडिया सबसे ताकतवर माध्यम है लेकिन इसकी जिम्मेदारी भी उतनी ही बड़ी होनी चाहिए। सोशल मीडिया को अधिक जिम्मेदार बनाने के लिए सख्त नियमों का पालन करवाना चाहिए। फेक न्यूज और हेट स्पीच पर तुरंत कार्रवाई हो, प्लेटफॉर्म को कंटेंट मॉडरेशन तकनीक बेहतर करनी चाहिए। यूजर्स की पहचान सत्यापित होनी चाहिए।
डिजिटल साक्षरता बढ़ाने के लिए स्कूलों और समाज में जागरूकता अभियान चलाए जाएं। शिकायतों के त्वरित निवारण हेतु नियामक तंत्र मजबूत हो। विशेषज्ञों के अनुसार सोशल मीडिया को अधिक जिम्मेदार बनाने के लिए उपयोगकर्ताओं, प्लेटफार्मों और सरकारों को मिलकर काम करना होगा। आम नागरिकों में इस बात की समझ भी नहीं है कि किस बात को कैसे लोगों के समक्ष रखना है। साथ ही राजनीतिक दल भी इसका भरपूर उपयोग अपने फायदे के लिए कर रहे हैं। अब किससे यह उम्मीद की जाये? सोशल मीडिया भारत में अभी अपने उत्कर्ष पर है, इसलिए उसकी आक्रमकता स्वाभाविक है परंतु यहां उसे अपनी मर्यादाओं और जिम्मेदारियों को समझना होगा। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का महत्व समझते हुए उसका दुरुपयोग करने से बचने की जरूरत है। ऐसा न हो कि सोशल मीडिया के यूजरों की ये नादानियां सरकार को इस माध्यम पर अंकुश लगाने का अवसर दे बैठे। सोशल मीडिया की स्वतंत्रता के साथ जवाबदेही भी जरूरी है तभी यह समाज को जोड़ने का माध्यम बन सकता है, तोड़ने का नहीं।