Return Ticket Confirm... घबराना कैसा
आज सारा विश्व भय के वातावरण में जी रहा है। एक तो यह आशंका कि न जाने कब किसको क्या हो जाए। हम में से किसी को भी कभी भी कुछ हो सकता है।
12:07 AM Jun 14, 2020 IST | Kiran Chopra
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आज सारा विश्व भय के वातावरण में जी रहा है। एक तो यह आशंका कि न जाने कब किसको क्या हो जाए। हम में से किसी को भी कभी भी कुछ हो सकता है। दूसरा आर्थिक स्थिति, जो किसी की भी ठीक नहीं। अभी भी बहुत कदम उठाए जा रहे हैं इससे उभरने के लिए, परन्तु चाहे कोई मजदूर हो या व्यवसायी या कोई प्रोफैशनल, सभी आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। आज हमारा भारत भी पहले 5 देशों में आ चुका है जहां कोरोना बहुत तेजी से फैल रहा है। दिल्ली, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, बंगाल और गुजरात में अधिक केस हो रहे हैं। सरकार, सामाजिक संस्थाएं और बहुत से भले पुरुष समाजसेवी भी इसका डटकर मुकाबला कर रहे हैं। भय की स्थिति बनी हुई है। सब स्वयं भी अपना ध्यान रख रहे हैं। मास्क पहन रहे हैं, 2 गज की दूरी भी बना रहे हैं, हाथ भी सैनिटाइजर से धो रहे हैं। सब कुछ होने के बाद भी भय कम नहीं। कोरोना के झटके ने समस्त मानव जाति को घुटनों पर ला दिया। मुझे लगता है सभी उड़े जा रहे थे, व्यस्त थे,यह शब्द आम था कि मरने की भी फुर्सत नहीं है। कोई चांद पर कब्जा करने की तैयारी में था, कोई मंगल पर। चीन पड़ोसी देशों की जमीन हड़पने की तैयारी में था तो रूस, अमेरिका न्यूक्लीयर पावर के नशे में चूर थे। कहीं धर्म के नाम पर नरसंहार चल रहा था तो कहीं जाति के नाम पर अत्याचार, छोटे-छोटे बच्चों से बलात्कार किए जा रहे थे।
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मुझे तो यही लगता है ईश्वर ने सबको एक संदेश दिया है। मैंने तो तुम लोगों को रहने के लिए इतनी खूबसूरत स्वर्ग जैसी जगह दी थी, रहने के लिए, आगे बढ़ने के लिए, प्यार से सहयोग से समर्पण से, वसुधैव कुटुम्बकम की तरह रहने को कहा था परन्तु आप सब देशों में बंट कर कहीं धर्म-जाति के नाम पर बंट कर, कहीं पार्टी राजनीति में बंट कर लड़ रहे हो। एक-दूसरे को मार रहे हो, यह तो मैंने एक झटका सारी दुनिया को दिया है कि मेरे लिए सब बराबर हो। मुझे कोई देश की सीमा नहीं मालूम, कोई जाति-धर्म नहीं मालूम, कोई पार्टी नहीं मालूम, कोई अमीर-गरीब नहीं। मैंने सबको धरती पर भेजा था आैर रिटर्न टिकट के साथ, जाओ अच्छे कर्म करो। एक-दूसरे की सहायता करो, जियो और जीने दो के सिद्धांत पर चलो, तरक्की करो, स्वर्ग जैसी धरती बनाओ, परन्तु तुम सब भूल गए कि तुम्हें रिटर्न टिकट के साथ भेजा था, क्योंकि आना तो सबको मेरे पास वापस ही है और वह तय है कि उसने किस समय और कैसे आना है। अगर तुम सबके मन में यह बैठ जाए कि रिटर्न टिकट आपका कन्फर्म है, यानी मृत्यु भी तय है तो झगड़ा काहे का।
मैंने भीड़ में खोये हर व्यक्ति को घर वापस पहुंचा दिया है। आलिंगन, चुम्बन का स्थान मर्यादित आचरण, यानी नमस्कार, राम-राम, सतश्री अकाल ने ले लिया है। इसलिए अब यह कहना भी बंद कर दो कि इस आइसोलेशन और घर बंद से आप तंग आ गए हो, क्योंकि उन लोगों को देखो जो अस्पतालों में हैं और घर जाने को तरस रहे हैं या लाशों के साथ अस्पतालों में हैं। इसलिए घर को स्वर्ग बनाओ, प्यार से रहो, घर की दाल-रोटी खाओ, प्रभु के गुण गाओ और समझो कि आपकी जरूरत बहुत थोड़ी है, दिखावे की दुनिया से बाहर आ जाओ क्योंकि सबका रिटर्न टिकट कन्फर्म है, जो समय मिला है उसे हंस कर गुजार लो। मुझे तो पुराना गीत भी याद आ रहा है।
‘‘सजन रे झूठ मत बोलो खुदा के पास जाना है,
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न हाथी है, न घोड़ा है, वहां पैदल ही जाना है।’’
यानि हमें पैदल बिल्कुल खाली हाथ ही जाना है, क्यों मार-धाड़ कर रहे हो। कुछ लोग समझते हैं कि उन्होंने शायद यहीं रहना है, वो दूसरों का हक मारते हैं, तंग करते हैं, उन्हें तो विशेषकर याद रखना चाहिए, भैय्या तुम्हारा रिटर्न टिकट भी है, वहां क्या जवाब दोगे। आपको वहां जरूर जवाब देना होगा, क्या करके आए हो यानि कैसे कर्म करके आए हो और यहां इस दुनिया में भी आपको आपके अच्छे कर्मों से ही जाना जाएगा। आखिर में मैं यही कहूंगी भगवत गीता में भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेश का उल्लेख करना चाहूंगी जिसमें उन्होंने यही कहा था कि तुम क्यों व्यर्थ की चिंता करते हो,किससे तुम डरते हो, कौन तुम्हें मार सकता है। आत्मा कभी नहीं मरती, केवल शरीर मरता है। इस उपदेश को जीवन में उतार लें तो फिर सब कुछ सहज है।
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