राहुल का सही वक्त पर सही वार
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भारतीय राजनीति में जब वोटतंत्र अपनी ताकत दिखाता है तो कुछ भी हो सकता है। वोटर कुछ भी कर सकता है। किसी का ताज छीन सकता है तो किसी को सत्ता का तख्त प्रदान कर सकता है। पिछले दिनों पांच राज्यों के चुनाव परिणाम जब सामने आए तो यह भारतीय जनता पार्टी जो केंद्र में सरकार चला रही है, के लिए एक सबक है। राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे हिन्दी भाषी राज्यों में कांग्रेस ने अपनी वापसी कर ली। हालांकि कांग्रेस ने मिजोरम गंवा दिया और तेलंगाना में वह विपक्ष की भूमिका निभाने में फिर से जुट गई है। भाजपा के हाथ से तीन राज्यों से पावर चले जाना और कांग्रेस की सत्ता में वापसी को लेकर दो बातें कही जा रही हैं।
पहली बात तो यह है कि अगर भाजपा राम मंदिर बनवाने की कोई पहल पर मोहर लगा देती तो भाजपा के हाथ से सरकार न जाती और दूसरी बात कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अब एक ऐसे बड़े नेता बन गए हैं, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बराबरी में आ गए हैं (भाजपा के बड़े नेता अक्सर उन्हें पप्पू-पप्पू कहते रहे हैं)। ये चुनाव जब शुरू हुए थे और जब इनका परिणाम आया तो प्रधानमंत्री मोदी बनाम राहुल गांधी बनकर रह गए थे। आज की तारीख में भाजपा के लिए सचमुच मंथन का समय आ गया है कि भविष्य में उसे क्या करना है और दूसरी तरफ कांग्रेस की ओर से सत्ता वापसी के तीन बड़े टॉनिक लेेने के बाद अब यही कहा जा रहा है कि पीएम मोदी और उनकी पार्टी अपराजित नहीं रही। यह संदेश वोटतंत्र के बीच जा रहा है।
कांग्रेस अपनी नई रणनीति से अब महागठबंधन की नई रचना की राह पर तेजी से चल सकती है। हम विशेष रूप से मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की बात करें तो एक बात पक्की है कि राहुल गांधी ने इन तीनों राज्यों में एक के बाद एक अपनी सफल जनसभाओं से वोटरों से सीधा संपर्क किया। उन्होंने सरकार पर हमलों की झड़ी लगा दी। चाहे वो राफेल सौदे हो या मंदिर-मस्जिद मामला या फिर नोटबंदी को आर्थिक मुद्दा बनाकर कांग्रेस ने भाजपा और मोदी पर हमले करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इतना ही नहीं भ्रष्टाचार को लेकर राहुल गांधी ने साफ कहा कि हमें भ्रष्टाचारी कहने वाले, हमारे साठ साल के शासन में कांग्रेस को कोसने वाले आज खुद विकास नहीं कर पा रहे तो सचमुच लोगों ने उनकी बात पर भरोसा किया।
किसानों के मुद्दों को राहुल गांधी ने बढ़िया तरीके से कैश किया और भारतीय जनता पार्टी इस मामले पर कोई योजना नहीं ला पाई। काला धन और भ्रष्टाचार के अलावा विजय माल्या, मेहुल चौकसी और नीरव मोदी का विदेश भाग जाना एक बड़ा मुद्दा बना, जिसे राहुल गांधी ने जमकर प्रचारित किया। प्रधानमंंत्री नरेंद्र मोदी कांग्रेस के शासन को भ्रष्टाचारी कहते हुए मां-बेटे की पार्टी का राग अलापते रहे, जिसे लोगों ने स्वीकार नहीं किया। इस तरह की बातें लोगों ने सोशल साइट्स पर एक-दूसरे से शेयर करते हुए यही कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को भाजपा या सरकार की ओर से कोई अपना मजबूत एजेंडा भी प्रस्तुत करना चाहिए था, जो वोटरों के दिलों को छू पाता। लोग अपनी भावनाएं एक-दूसरे से शेयर करते हुए कह रहे हैं कि हिन्दू और मुसलमान के चक्कर में कांग्रेस में राहुल और सोनिया गांधी को टारगेट करते हुए भाजपा के कद्दावर नेता आर्थिक मोर्चे पर खुद भटकते रहे।
महंगाई और नोटबंदी के प्रभावों को लेकर कांग्रेस को कोसने की बजाए भाजपा अपना खुद का एजेंडा पेश नहीं कर सकी। अब जबकि 2019 का चुनाव बामुश्किल तीन महीने दूर है भाजपा को नई रणनीति बनानी होगी। यह इसलिए जरूरी है, क्योंकि समय कम है और अनेक उपचुनावों का जिक्र करें तो पार्लियामेंट में ही कांग्रेस अपने सहयोगियों के साथ मिलकर 40 सीटों से आगे बढ़ते हुए लगभग 50 तक पहुंच चुकी है। इतना ही नहीं भाजपा की ओर से कांग्रेस मुक्त भारत का नारा भी जमीन पर खरा नहीं उतरा और वोटरों ने इसे झुठलाते हुए कांग्रेस को पंजाब, कर्नाटक के बाद मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ सौंप दिया है। साफ जाहिर है कि कांग्रेस लौट रही है। सोशल साइट्स पर अनेक लोग कह रहे हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में कांग्रेस मजबूत हो रही है।
शहरों में सवर्ण भाजपा के खिलाफ एक हो रहे हैं। व्यापारी भाजपा से दूर हो रहे हैं, तभी उसका परिणाम तीन राज्यों में नजर आया है। अब राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय जनता पार्टी को कुछ सोच-समझकर ही कदम बढ़ाना होगा। राम मंदिर एक भावनात्मक और आस्था का मुद्दा है लेकिन इसमें देरी से लोग भाजपा से नाराज हैं। अगर साधु-संत लोग धर्म संसदों में मंदिर निर्माण की बात करते हैं तो सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट का हवाला देने वाले मंत्रियों की कमी नहीं। वहीं कुछ बड़बोले नेता तो ऐसे हैं जो ये कहते हैं कि मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश की बजाए पहले सुप्रीम कोर्ट का फैसला देखना होगा।
आरएसएस ने स्पष्ट कह दिया है कि मंदिर निर्माण करना है तो कानून जल्दी लाओ और सुप्रीम कोर्ट लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए फैसला सुनाए। हमारा मानना है कि जब केंद्र में भाजपा की खुद की सरकार है, यूपी में प्रचंड बहुमत है तो फिर कानून के जरिए आगे बढ़ने में दिक्कत कहां है? अब समय आ गया है कि भाजपा को यह भी ध्यान रखना होगा कि हिन्दू ध्रुवीकरण के चलते मुस्लिम ध्रुवीकरण भी हो रहा है। यह कदम सोच-समझकर उठाना होगा, क्योंकि इन्हीं हिन्दुओं में एक वर्ग भावनाओं के भड़कने से बचने की बात कहता है। भाजपा को अपने अंदर मंथन करके सोच-समझकर राम मंदिर मामले का ठोस समाधान जितनी जल्दी हो सके ढूंढना होगा वरना बहुत देर हो जाएगी, क्योंकि 2018 का सेमीफाइनल वह गंवा चुकी है और अब फाइनल लोकसभा को लेकर खेला जाना है। राहुल उभर रहे हैं और उनके सामने हमेशा की तरह पीएम मोदी होंगे।