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बढ़ती आबादी: राष्ट्रीय समस्या

भारत अगले 8 वर्षों में यानी 2027 तक दुनिया का सर्वाधिक आबादी वाला देश बन जाएगा। इस दौरान भारत की जनसंख्या चीन की आबादी पार कर जाएगी। अनुमान के मुता​बिक 2050 तक भारत की आबादी में 27.3 करोड़ लोग और जुड़ जाएंगे।

04:41 AM Oct 30, 2019 IST | Ashwini Chopra

भारत अगले 8 वर्षों में यानी 2027 तक दुनिया का सर्वाधिक आबादी वाला देश बन जाएगा। इस दौरान भारत की जनसंख्या चीन की आबादी पार कर जाएगी। अनुमान के मुता​बिक 2050 तक भारत की आबादी में 27.3 करोड़ लोग और जुड़ जाएंगे।

बढ़ती आबादी  राष्ट्रीय समस्या
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भारत अगले 8 वर्षों में यानी 2027 तक दुनिया का सर्वाधिक आबादी वाला देश बन जाएगा। इस दौरान भारत की जनसंख्या चीन की आबादी पार कर जाएगी। अनुमान के मुता​बिक 2050 तक भारत की आबादी में 27.3 करोड़ लोग और जुड़ जाएंगे। संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मामलों के जनसंख्या प्रभाग की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2050 तक वैश्विक आबादी में और दो अरब लोग जुड़ जाएंगे। दुनिया की आबादी अगले 30 वर्षों में 7.7 अरब से बढ़कर 9.7 अरब हो जाएगी। इस वर्ष से लेकर 2050 तक 55 देशों की आबादी में एक फीसदी कमी आने का अनुमान है। आबादी घटाने वाले इन 55 देशों में एक चीन की आबादी में 2050 तक 2.2 फीसदी यानी 3.14 करोड़ घटने का अनुमान है।
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इस अवधि में भारत की आबादी में 27.3 करोड़ लोग और जुड़ जाएंगे। जनसंख्या के विस्फोट से सरकार भी चिंतित है। साधन सीमित हैं लेकिन आबादी खतरनाक ढंग से बढ़ रही है। इंसान को जीने के लिए रोटी, कपड़ा और मकान की जरूरत होती है। क्या इतनी बड़ी आबादी को भारत रोटी, कपड़ा और मकान देने की क्षमता रखता है। जनसंख्या नियंत्रण करने में भारत को लाख प्रयास करने पर भी अपेक्षित सफलता नहीं मिली है। जब-जब जनसंख्या नियंत्रण की दिशा में सख्त कदम उठाए गए तब-तब लोगों का आक्रोश  फूटा। अब असम की सर्वानंद सोनोवाल सरकार ने राज्य में दो बच्चों की नीति लागू करने का फैसला किया है। यानी आप दो बच्चों से ज्यादा पैदा नहीं कर सकते। अगर आपके दो बच्चों से ज्यादा बच्चे हैं तो 2021 से आपको सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी और अन्य सु​िवधाओं से भी वंचित कर दियाजाएगा।
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी लालकिले की प्राचीर से लोगों से यह अपील कर चुके हैं कि वह जनसंख्या ​नियंत्रणपर ध्यान दें। उन्होंने तो इसे देशभक्ति से भी जोड़ दिया और कहा कि छोटा परिवार रखना भी एक तरह से देशभक्ति है। वैसे ‘हम दो हमारे दो’ बच्चों का कान्सेप्ट कोई नया नहीं। कई दशकों से लोगों को जागरुक किया जा रहा था परन्तु अब जनसंख्या विस्फोट पर ​नियंत्रण के लिए सख्ती की जरूरत है। असम की भाजपा सरकार ने सख्त कदम उठाए हैं तो राज्य की सियासत गर्माने लगी है। सोनोवोल सरकार के इस फैसले की हिन्दू-मुस्लिम के नजरिये से देखा जाने लगा है।
इस मुद्दे को लेकर आल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट प्रमुख और सांसद बदरुद्दीन अजमल का कहना है कि इस्लाम सिर्फ दो बच्चों की नीति में विश्वास नहीं करता। जिन्हें इस दुनिया में आना है, उन्हें आने से कोई रोक नहीं सकता। अन्य मुस्लिम नेताओं ने भी ऐसी ही प्रतिक्रिया दी है। हालांकि शिक्षित मुस्लिमों का नजरिया कुछ और है। इंदिरा गांधी शासनकाल में ही ‘हम दो हमारे दो’ का प्रचार शुरू हो चुका था। ये किसी धर्म विशेष के लिए नहीं था बल्कि सभी देशवासियों के लिए था। आपातकाल के दौरान कांग्रेस ने जनसंख्या नियंत्रण के लिए कदम उठाए थे लेकिन तब लोगों की जबरन नसबंदी की गई। लोगों के साथ ज्यादतियां हुईं।
जनसंख्या नियंत्रण का मुद्दा कहीं पीछे छूट गया। इससे फैले जनाक्रोश के चलते कांग्रेस को सत्ता गंवानी पड़ी थी। बढ़ती आबादी एक राष्ट्रीय समस्या बन चुकी है और  हम आज भी इस समस्या को धर्म की दृष्टि से देखते हैं। जनसंख्या नियंत्रण के लिए हमें चीन की तरफ देखना होगा। 1979 में चीन ने आबादी पर नियंत्रण पाने के लिए ‘वन चाइल्ड’ पॉलिसी लागू की थी। इससे पहले चीन ने 1970 में टू-चाइल्ड पॉलिसी लागू की थी, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ। चीन में भी नसबंदी और गर्भपात जैसे तरीके भी अपनाए। अगर चीन ने एक बच्चे वाली नीति न अपनाई होती तो चीन की संख्या काफी बढ़ चुकी होती।
चीन ने लगभग 40 करोड़ बच्चों को पैदा होने से रोका है। क्षेत्रफल के हिसाब से चीन भारत से तीन गुणा बड़ा है। जितनी जगह में चीन का एक नागरिक रहता है, उतनी जगह में भारत के तीन लोग रहते हैं। यद्यपि भारत की आबादी अभी चीन से कम है, लेकिन इसका घनत्व बहुत ज्यादा है।असम की टू चाइल्ड पॉलिसी पर बवाल बेवजह है क्योंकि ऐसी नीति कई राज्यों में लागू है। आंध्र और तेलंगाना में दो बच्चों से ज्यादा बच्चे पैदा करने वाले लोग पंचायत का चुनाव नहीं लड़ सकते। महाराष्ट्र में पंचायत और नगरपालिका के चुनाव लड़ने पर रोक तो है ही बल्कि उन्हें सार्वजनिक वितरण प्रणाली के फायदों से वंचित कर दिया जाता है।
राजस्थान में भी दो बच्चों से अधिक बच्चों वालों को सरकारी नौकरी के अयोग्य माना जाता है। गुजरात, मध्य प्रदेश, ​बिहार में भी ऐसी नीति लागू है। भारत में टू चाइल्ड नी​ित को धर्म के चश्मे से देखा जाता है। राजनीतिज्ञ भी कई बार दो से ज्यादा बच्चे पैदा करने का आह्वान कर देते हैं लेकिन जरा सोचिये कि क्या हम ज्यादा बच्चे पैदा करेंगे तो उन्हें क्या भूख से लड़ना नहीं पड़ेगा। रोजगार और आवास का संकट कितना विकराल हो जाएगा। बेहतर यही होगा कि लोग खुद जागरुक होकर इस राष्ट्रीय समस्या से निपटने के उपाय करें। भावी पीढ़ी को केवल नसीब के सहारे नहीं छोड़ा जा सकता।
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Ashwini Chopra

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