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चरित्र और नैतिक बल विहीन राजद किसी गठबंधन का नेतृत्व नहीं कर सकता : सुशील मोदी

तेजस्वी प्रसाद यादव पर हमला बोलते हुये कहा कि दूसरों को भ्रष्ट बताने वाले बतायें कि श्री लालू प्रसाद यादव किस मामले में सजायाफ्ता हैं।

02:22 PM Oct 19, 2019 IST | Desk Team

तेजस्वी प्रसाद यादव पर हमला बोलते हुये कहा कि दूसरों को भ्रष्ट बताने वाले बतायें कि श्री लालू प्रसाद यादव किस मामले में सजायाफ्ता हैं।

बिहार के उप मुख्यमंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) एवं उसके अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव पर निशाना साधते हुये आज कहा कि जिस पार्टी का न कोई स्वच्छ चरित्र हो, न अच्छी नीयत और न कोई नैतिक बल हो, वह किसी गठबंधन का नेतृत्व नहीं कर सकता। 
श्री मोदी ने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट टि््वटर पर ट््वीट कर कहा, ‘‘राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने वर्ष 2016 में नाबालिग छात्रा से बलात्कार के मामले में जिस राजबल्लभ यादव को बचाने की कोशिश की थी, उसे सजायाफ्ता होने के बाद विधानसभा की सदस्यता से हाथ धोना पड़। वहीं, राजद विधानमंडल दल की नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ देवी ने जिस विधायक अरुण यादव से एक दिन में आठ फ्लैट खरीदे थे, उन पर भी छात्रा से बलात्कार का मामला चल रहा है और वे किसी भी वक्त गिरफ्तार हो सकते हैं। भाजपा नेता ने कहा कि जिस पार्टी का न कोई स्वच्छ चरित्र हो, न अच्छी नीयत हो और न कोई नैतिक बल हो, वह किसी गठबंधन का नेतृत्व नहीं कर सकता।
मोदी ने राजद के वरिष्ठ नेता एवं नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव पर हमला बोलते हुये कहा कि दूसरों को भ्रष्ट बताने वाले बतायें कि श्री लालू प्रसाद यादव किस मामले में सजायाफ्ता हैं। उन्होंने कहा कि अलकतरा घोटाले में सजायाफ्ता इलियास हुसैन किस पार्टी के थे। उन्हें विधानसभा की सदस्यता क्यों गंवानी पड़। 

भाजपा नेता ने सवालिया लहजे में कहा कि क्या लालू प्रसाद गरीबों के लिए आंदोलन करने के कारण जेल में हैं। राजद ने जिस शहाबुद्दीन को सांसद बनाया और अभियुक्त होने के बावजूद कई साल तक राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य बनाये रखा, वह क्या अल्पसंख्यक समुदाय की तालीम और तरक्की के लिए काम करते थे। 

श्री मोदी ने हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतनराम मांझी का नाम लिये बगैर कहा, ‘‘महागठबंधन के एक बुजुर्ग नेता पांच विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में न मन मुताबिक हिस्सेदारी पा सके, न महागठबंधन से हटने का साहस कर सके। अब वह एक-दूसरे के खिलाफ लड़ते हुए इसे ‘दोस्तान संघर्ष’ बताकर लोगों को धोखा देना चाहते हैं। वह जानते हैं कि युद्ध और चुनाव दोस्ताना नहीं होते। इनमें हारने वाले को जान या सीट गंवानी ही पड़गी।’
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