कब रखा जाएगा रोहिणी व्रत? जानें इसकी पूजा विधि और महत्व
Rohini Vrat Kab Hai: रोहिणी व्रत हर महीने तब किया जाता है, जब आसमान में रोहिणी नक्षत्र दिखाई देता है। यह व्रत जैन धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, इस दिन विशेष रूप से भगवान वासुपूज्य स्वामी जी की पूजा की जाती है। इस दिन चन्द्रमा पूजा का भी विशेष महत्व है, क्योंकि इस दिन चन्द्रमा रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है। इसलिए इसे 'चंद्र पूजा' भी कहते हैं। जैन धर्मावलंबियों के लिए ये व्रत बहुत ही पवित्र और फलदायी माना जाता है। ये व्रत खासतौर पर महिलाएं अपने परिवार की भलाई और पति की लम्बी उम्र के लिए करती हैं। आइए जानते हैं, कब रखा जाएगा रोहिणी व्रत, इसका महत्व और पूजा विधि।
Rohini Vrat 2025: कब है रोहिणी व्रत 2025?

द्रिक पंचांग के अनुसार, रोहिणी व्रत 7 नवंबर, गुरुवार को रखा जाएगा। इस दिन चन्द्रमा रोहिणी नक्षत्र में होगा। इस दिन भगवान वासुपूज्य के साथ चंद्रदेव की भी पूजा की जाती है।
Rohini Vrat Puja Vidhi: रोहिणी व्रत पूजा विधि

- इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें।
- फिर जल का एक घूंट लें और व्रत का संकल्प लें।
- इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें।
- पूजा स्थल की साफ-सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव करें।
- भगवान वासुपूज्य की मूर्ति को वेदी पर स्थापित करें।
- इसके बाद उन्हें फल, फूल, धूप, दूर्वा, नैवेद्य आदि अर्पित करें।
- सूर्यास्त से पहले पूजा समाप्त करें, फिर फलाहार ग्रहण करें।
- अगले दिन पूजा के बाद अपना व्रत खोलें।
- व्रत के बाद गरीबों को दान करना चाहिए।
Rohini Vrat Mahatva: रोहिणी व्रत महत्व

रोहिणी व्रत न सिर्फ जैन धर्म में बल्कि हिन्दू धर्म में भी इसका विशेष महत्व माना गया है। हिन्दू धर्म में इस व्रत का संबंध माता लक्ष्मी और जैन धर्म में भगवान वासुपूज्य की पूजा की जाती है। यह व्रत जैन समुदाय के लिए विशेष पर्वों में से एक है। मान्यता है कि इस दिन महिलाएं अपने परिवार और अपने पति की लम्बी आयु के लिए व्रत रखती हैं। रोहिणी व्रत से आत्मा के दोषों को समाप्त करने में सहायता मिलती है। इस व्रत को रखने से आत्मा शुद्ध होती है और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।

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