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RSS Chief Mohan Bhagwat ने दिल्ली में मुस्लिम धर्मगुरुओं से की मुलाकात

02:14 PM Jul 24, 2025 IST | Aishwarya Raj
RSS Chief Mohan Bhagwat ने दिल्ली में मुस्लिम धर्मगुरुओं से की मुलाकात

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने गुरुवार को दिल्ली स्थित हरियाणा भवन में देशभर के 50 से अधिक मुस्लिम धर्मगुरुओं और स्कॉलर्स से मुलाकात की। इस ऐतिहासिक बैठक का मुख्य उद्देश्य Communal Harmony यानी सांप्रदायिक सौहार्द को मजबूत करना और हिंदू-मुस्लिम समाज के बीच भरोसे की दीवार को और सुदृढ़ करना रहा।

पहले भी हो चुकी हैं ऐसी पहलें

RSS प्रमुख की यह मुस्लिम धर्मगुरुओं के साथ पहली मुलाकात नहीं है। इससे पहले भी डॉ. भागवत ने मुस्लिम समाज के बुद्धिजीवियों और नेताओं से संवाद किया है। संघ का मानना है कि सीधा संवाद ही समाज में व्याप्त गलतफहमियों को दूर कर सकता है। एक वरिष्ठ संघ पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि, “हमारा उद्देश्य किसी राजनीतिक लाभ का नहीं बल्कि समाज में स्थायी शांति और सहयोग का माहौल बनाना है।”

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बैठक में मौजूद रहे ये प्रमुख चेहरे

इस बैठक में संघ के कई वरिष्ठ पदाधिकारी भी मौजूद रहे, जिनमें संघ के सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (MRM) के प्रमुख इंद्रेश कुमार शामिल हैं। मुस्लिम पक्ष से ऑल इंडिया इमाम ऑर्गनाइजेशन के प्रमुख उमर अहमद इलियासी और कई अन्य धर्मगुरु, स्कॉलर एवं सामाजिक प्रतिनिधि बैठक में सम्मिलित हुए।

यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब विपक्ष और नागरिक समाज द्वारा संघ पर बार-बार धार्मिक ध्रुवीकरण फैलाने और समाज में विभाजन बढ़ाने के आरोप लगाए जा रहे हैं। लेकिन RSS इस प्रकार की बैठकों के माध्यम से यह स्पष्ट संदेश देना चाहता है कि संघ की सोच सर्वसमावेशी और राष्ट्रहित में है।

2022 में भी की थी पहल, जब बढ़े थे टेंशन के मुद्दे

2022 में ज्ञानवापी मस्जिद विवाद, हिजाब विवाद और जनसंख्या नियंत्रण जैसे मुद्दों पर देशभर में बहस तेज थी। उस समय भी डॉ. भागवत ने कई मुस्लिम प्रतिनिधियों से मुलाकात कर संवाद की राह चुनी थी। उन बैठकों में दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त डॉ. एस.वाई. कुरैशी जैसे वरिष्ठ मुस्लिम बुद्धिजीवी शामिल हुए थे।

इससे पहले दिसंबर 2023 में एक कार्यक्रम में डॉ. भागवत ने मंदिर-मस्जिद विवाद पर बोलते हुए कहा था, “सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काकर कोई हिंदुओं का नेता नहीं बन सकता।” यह बयान तब हिंदू-मुस्लिम एकता को लेकर उनकी प्रतिबद्धता का उदाहरण बना था।

Communal Harmony के लिए RSS की सोच

RSS के विचारक मानते हैं कि भारत की विविधता में ही इसकी शक्ति है। Communal Harmony यानी सांप्रदायिक सौहार्द के बिना भारत की अखंडता संभव नहीं। संघ इस विचार को व्यवहार में लाने की लगातार कोशिश कर रहा है।

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच जैसे प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से संघ मुस्लिम समुदाय से संवाद का सेतु बना रहा है। इस मंच के जरिए समाज के जमीनी स्तर तक बातचीत पहुंचाई जा रही है और सामान्य मुस्लिम नागरिकों से संघ की सीधी बात हो रही है।

राजनीति से परे, समाज निर्माण की सोच

संघ की यह पहल कई मायनों में अहम है। आज जब देश में धार्मिक मुद्दों पर राजनीति गर्म रहती है, RSS का इस प्रकार सीधा संवाद और सौहार्द का प्रयास समाज में सकारात्मक बदलाव की दिशा दिखाता है। यह मुलाकात केवल एक बैठक नहीं बल्कि समाज को जोड़ने का प्रयास है।

संघ मानता है कि अगर सभी समुदायों के लोग एक साथ आगे बढ़ें, तो भारत वास्तव में “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” बन सकता है। ऐसे प्रयासों से न केवल गलतफहमियों को दूर किया जा सकता है, बल्कि मिलजुलकर रहने की भारतीय परंपरा को और मजबूत किया जा सकता है।

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मंगलवार को संसद को सूचित किया गया कि थोक दवाओं के लिए उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन योजना (PLI Scheme) के तहत 25 चिन्हित वस्तुओं के लिए घरेलू विनिर्माण क्षमता के निर्माण के कारण मार्च 2025 तक ₹1,362 करोड़ मूल्य के फार्मा कच्चे माल के आयात को टाला गया है। राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में, रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि मार्च 2025 तक, छह वर्षों की अवधि में ₹3,938.5 करोड़ की निवेश प्रतिबद्धता के विरुद्ध, थोक दवाओं के लिए पीएलआई योजना के तहत ₹4,570 करोड़ का निवेश पहले ही किया जा चुका है।... आगे पढ़ें

 

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