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आरएसएस सिख धर्म के प्रति बदले अपनी सोच

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11:48 AM Oct 27, 2017 IST | Desk Team

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लुधियाना,  : केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा दिल्ली में एक समागम में सिखों के धार्मिक जयकारे को पूरी तरह से उच्चारण न कर पाने पर सिख धर्म से जुडी अलग-अलग सिख जत्थेबंदियों ने इसका पुरजोर विरोध किया है। इसी मुद्दे पर मीडिया के साथ बातचीत करने हुए दिल्ली अकाली दल के प्रधान परमजीत सिंह सरना ने कहा कि अगर राजनाथ सिंह से जयकारा लगाते वक्त कुछ शब्दों का जयकारा लगाते हुए कोई गलती हुई है तो उन्हें अपनी इस गलती को स्वीकार करते हुए समस्त सिख कौम से क्षमा मांग लेनी चाहिए।

उन्होंने श्री गुरु ग्रन्थ साहिब का हवाला देते हुए कहा कि सिख धर्म सभी को गलती हो जाने पर क्षमा मांग कर गलती को स्वीकार करने ही प्रेरणा देता है। इसके साथ ही अलग-अलग सिख जत्थे बंदियों के लोगों ने भी सरना द्वारा दिए गए बयानों का समर्थन करते हुए राजनाथ सिंह से माफी मांगने को कहा।

इस दौरान सरना ने कहा कि 2 दिसंबर को लुधियाना के मॉडल टाउन में सिख पंथ के रतन मास्टर तारा सिंह जी की 50 वीं बरसी का समागम बड़े स्तर पर मनाया जायगा। सरना ने कहा कि इस समागम की प्रधानगी के लिए पंजाब मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपनी सहमति दे दी है । इस बड़े समागम में सभी दलों के लोगो को आमंत्रित किया जायगा।

दिल्ली में हुए आरएसएस के समागम का विरोध करते हुए सरना ने कहा कि हम आरएसएस उस विचार धारा का विरोध करते है जिसमे आरएसएस वाले सिखों को हिन्दू धर्म का ही हिस्सा मानते है। सरना ने स्पष्ट किया कि सिख धर्म की अपनी अलग पहचान है, वह हिन्दू धर्म हिस्सा नहीं है। सिखों के कई अंग है जिनमे नामधारी, राधास्वामी आदि शामिल है। आज जरुरत है कि आरएसएस अपनी सोच को सही करे।

– सुनीलराय कामरेड

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