चित्रकूट में आरएसएस का महामंथन शुरू, देश के मौजूदा हालातों पर चर्चा
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की चार दिवसीय अखिल भारतीय प्रांत प्रचारक संघ की बैठक चित्रकूट में शुरू हुई। पदाधिकारी, सदस्य व क्षेत्र प्रचारक वर्चुअली जुड़ रहे हैं। इस मंथन में कोरोना काल में सेवा और देश के मौजूदा हालातों पर चर्चा होनी है।
11:46 AM Jul 10, 2021 IST | Ujjwal Jain
भोपाल (मनीष शर्मा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की चार दिवसीय अखिल भारतीय प्रांत प्रचारक संघ की बैठक चित्रकूट में शुरू हुई। पदाधिकारी, सदस्य व क्षेत्र प्रचारक वर्चुअली जुड़ रहे हैं। इस मंथन में कोरोना काल में सेवा और देश के मौजूदा हालातों पर चर्चा होनी है।
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दीनदयाल शोध संस्थान के प्रकल्प आरोग्यधाम सेमिनार हॉल में बेठक का शुभारंभ सरसंघ चालक डॉ. मोहन भागवत ने किया। इस दौरान सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले भी मौजूद रहे। बैठक में सालभर के कार्यों के आकलन और नई कार्ययोजना तैयार की जा रही है। कोरोना के बीच संघ ने किस तरह लोगों की मदद की, संभावी तीसरी लहर में और प्रभावी ढंग से क्या किया जा सकता है, उसके लिए स्वयंसेवकों के प्रशिक्षण व तैयारी पर मंथन होगा। सामान्य होते जनजीवन के बीच शाखाओं के संचालन, संघ शिक्षा वर्ग पर विचार होगा।
▪️चंपतराय को देनी पड़ेगी सफाई-
बैठक संघ के संगठन से ही जुड़ी हुई है, पर आगामी विधानसभा चुनाव के चलते उत्तरप्रदेश भी फोकस में है। इसका अंदाजा रामजन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय के चित्रकूट आने से लगाया जा सकता है। वे गुरुवार को ही आ गए थे। जमीन रजिस्ट्री विवाद के बाद सर संघचालक से उनकी यह पहली मुलाकात बताई जा रही है।
सूत्रों के अनुसार इस बैठक में मुख्यत: उत्तर प्रदेश सहित 5 राज्यों में अगले साल होने वाले चुनाव पर चिंतन किया जाएगा। बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इमेज को लेकर भी चर्चा होगी। कश्मीर के साथ ही पीओके, गिलकिट बाल्टीस्तान व अक्साई चीन पर भी बात होगी। माना जा रहा है कि यहां अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग को मुख्य धारा में शामिल करने और इस प्रकार राष्ट्रवाद से जोडने के प्रयास के अलावा देश की शिक्षा नीति पर भी चर्चा होगी।
▪️भाजपा को मिलेगी मजबूत जमीन-
संघ की इस बैठक से भाजपा को आगामी विधानसभा चुनाव में मजबूत जमीन मिलेगी। संघ को भले सांस्कृतिक संगठन कहा गया है पर उससे ऊर्जा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को ही मिलती रही है। 1975 के आपातकाल में प्रतिबंध लगने के बाद संगठन का सियासत में महत्व बढ़ गया। संघ की शाखाओं से निकले स्वयंसेवकों ने प्रतिबंध हटने के करीब 25 साल बाद अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में गठबंधन सरकार बनाई। 15 वर्ष बाद भाजपा ने पूर्ण बहुमत की सरकार भले बनाई पर संपूर्ण देश का प्रतिनिधित्व उसमें नहीं था। अब संघ के दायरा बढ़ाने की कोशिश को 2024 के चुनाव तक हर राज्य में भाजपा की मजबूत जमीन तैयार करना माना जा रहा है।
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