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रूस VS यूक्रेन : UNSC में भारत ने दिया बयान, मतभेदों को दूर करने के लिए बातचीत ही एकमात्र रास्ता

भारत ने युद्ध को तत्काल समाप्त करने की मांग करते हुए कहा कि मतभेदों को दूर करने के लिए बातचीत ही एकमात्र रास्ता है।

10:07 AM Feb 26, 2022 IST | Desk Team

भारत ने युद्ध को तत्काल समाप्त करने की मांग करते हुए कहा कि मतभेदों को दूर करने के लिए बातचीत ही एकमात्र रास्ता है।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस के खिलाफ निंदा भारत, चीन और यूएई ने हिस्सा नहीं लिया। सुरक्षा परिषद में यह प्रस्ताव अमेरिका की तरफ से पेश किया गया था। भारत ने युद्ध को तत्काल समाप्त करने की मांग करते हुए कहा कि मतभेदों को दूर करने के लिए बातचीत ही एकमात्र रास्ता है। 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में अमेरिका और अल्बानिया द्वारा पेश मसौदा प्रस्ताव पर मतदान हुआ। इसे ऑस्ट्रेलिया, एस्टोनिया, फिनलैंड, जॉर्जिया, जर्मनी, इटली, सहित संयुक्त राष्ट्र के 67 सदस्य देशों के एक ‘‘क्रॉस रीजनल’’ समूह ने सह प्रस्तावित किया था।
11 देशों ने किया प्रस्ताव के पक्ष में वोट 
रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव के पक्ष में अल्बानिया, ब्राजील, फ्रांस, गाबोन, घाना, आयरलैंड, केन्या, मैक्सिको, नार्वे, ब्रिटेन और अमेरिका सहित कुल मिलाकर 11 देशों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। यह प्रस्ताव सुरक्षा परिषद में पारित नहीं हो सका क्योंकि परिषद के स्थायी सदस्य रूस ने इस पर वीटो किया। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी एस तिरुमूर्ति ने मतदान पर भारत का पक्ष रखते हुए कहा, भारत, यूक्रेन के हालिया घटनाक्रम से बेहद विचलित है। हम अपील करते हैं कि सारे प्रयास हिंसा और युद्ध को तत्काल रोकने की दिशा में होने चाहिए।
भारतीय समुदाय की सुरक्षा को लेकर बेहद चंतित है : तिरुमूर्ति 
तिरुमूर्ति ने कहा कि भारत यूक्रेन में भारतीय छात्रों सहित भारतीय समुदाय की सुरक्षा को लेकर बेहद चंतित है। उन्होंने कहा कि, कोई भी हल लोगों की जिंदगियों की कीमत पर नहीं निकल सकता। स्थायी प्रतिनिधि ने कहा, मतभेदों को दूर करने के लिए बातचीत ही एकमात्र रास्ता है। यह खेद की बात है कि कूटनीति का रास्ता त्याग दिया गया । हमें उस पर लौटना चाहिए और इन्ही कारणों से भारत ने इस प्रस्ताव पर मतदान से दूरी बनाने का निर्णय किया है। तिरुमूर्ति ने कहा कि समकालीन वैश्विक व्यवस्था संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतरराष्ट्रीय कानून और राज्यों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान पर बनी है। उन्होंने कहा, सभी सदस्य देशों को रचनात्मक रास्ता तलाशने के लिए इन सिद्धांतों का सम्मान करना चाहिए।
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