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रूस निर्मित युद्धपोत 'तमाल' भारतीय नौसेना में शामिल

रूस निर्मित तमाल, भारतीय नौसेना के लिए रणनीतिक साझेदारी का प्रतीक

04:11 AM Jun 22, 2025 IST | IANS

रूस निर्मित तमाल, भारतीय नौसेना के लिए रणनीतिक साझेदारी का प्रतीक

रूस के कालिनिनग्राद में नवीनतम स्टिल्थ मल्टी-रोल फ्रिगेट ‘तमाल’ भारतीय नौसेना में शामिल होगा। ‘तमाल’ यानी भारतीय नौसेना का नया युद्धपोत 1 जुलाई को नौसेना में कमीशन किया जाएगा। भारतीय नौसेना इसके लिए पूरी तरह से तैयार है। ‘तमाल’ भारत द्वारा रूस से प्राप्त की गई क्रिवाक क्लास फ्रिगेट्स की श्रृंखला का आठवां और तुशील क्लास का दूसरा युद्धपोत है। तुशील क्लास, पूर्ववर्ती तलवार और टेग क्लास (प्रत्येक में तीन-तीन जहाज) का उन्नत संस्करण है। इस परियोजना के तहत भारत में भी गोवा शिपयार्ड लिमिटेड में रूसी तकनीक और डिजाइन सहयोग से त्रिपुट क्लास के दो फ्रिगेट्स का निर्माण किया जा रहा है। इस पूरी श्रृंखला के पूरा होने के बाद भारतीय नौसेना के पास समान क्षमताओं वाले 10 युद्धपोत होंगे।

नौसेना के मुताबिक, युद्धपोत तमाल का निर्माण रूस के यंतर शिपयार्ड, कालिनिनग्राद में किया गया है। यह विदेश से प्राप्त होने वाला अंतिम युद्धपोत होगा, जो सरकार की ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ पहल के अनुरूप है। इस युद्धपोत में 26 स्वदेशी उपकरण लगाए गए हैं, जिनमें समुद्र और जमीन पर लक्ष्य भेदने में सक्षम ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल भी शामिल हैं। तमाल की क्षमताओं की बात करें तो इसमें वर्टिकल लॉन्च सतह से वायु में मार करने वाली मिसाइलें हैं। यह उन्नत 100 मिमी गन, अत्याधुनिक सिस्टम, हेवीवेट टॉरपीडो व त्वरित हमला करने वाले एंटी-सबमरीन रॉकेट से लैस है। इसके अलावा, यह अत्याधुनिक युद्धपोत नेटवर्क सेंट्रिक वॉरफेयर क्षमता और आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली युक्त है। यह 30 नॉट्स से अधिक की गति और लंबी समुद्री दूरी तक संचालन कर सकता है।

नौसेना के मुताबिक, तमाल नाम देवताओं के राजा इंद्र की युद्ध में इस्तेमाल होने वाली मायथिकल तलवार से प्रेरित है। इसका शुभंकर भारत के पौराणिक जाम्बवन्त (जाम्बवंत) और रूस के राष्ट्रीय पशु यूरेशियन ब्राउन बियर के संगम से प्रेरित है। क्रू दल को ‘द ग्रेट बीयर’ कहा जाता है। जहाज का ध्येय वाक्य है- ‘सर्वदा सर्वत्र विजय’ (हर समय, हर स्थान पर विजय)।

यह भारत-रूस की दीर्घकालिक रणनीतिक साझेदारी को और सुदृढ़ करेगा। कमीशन के बाद यह जहाज भारतीय नौसेना के पश्चिमी बेड़े में शामिल होकर भारत की समुद्री सुरक्षा को और मजबूत बनाएगा।

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