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रूस-यूक्रेन युद्ध और भारत

रूस ने यूक्रेन की राजधानी कीव समेत कई शहरों पर मिसाइल हमले करके कहर बरपाया है।

04:41 AM Oct 12, 2022 IST | Aditya Chopra

रूस ने यूक्रेन की राजधानी कीव समेत कई शहरों पर मिसाइल हमले करके कहर बरपाया है।

रूस यूक्रेन युद्ध और भारत
रूस ने यूक्रेन की राजधानी कीव समेत कई शहरों पर मिसाइल हमले करके कहर बरपाया है। युद्ध शुरू होने के बाद रूस ने लम्बी दूरी वाली मिसाइलों से हमले किए हैं। धू-धू करके शहर जल रहे हैं। बम धमाकों से यूक्रेन के शहर थर्रा रहे हैं। भारी संख्या में लोगों के हताहत होने की खबरें मिल रही हैं। रूस ने धुंआधार हमले कर क्रीमिया के पुल को ध्वस्त किए जाने का बदला ले लिया  है। रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन की स्पैशल सर्विस को इस पुल पर हुए हमले के लिए जिम्मेदार ठहराया है। भारत ने स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की है। संयुक्त राष्ट्र की बैठक में अमेरिका ने भी यूक्रेन पर रूस के हमलों को क्रूर बताते हुए कहा कि रूस ने औरतों और बच्चों को निशाना बनाया है। भारत ने रूस को झटका देते हुए रूस द्वारा संयुक्त राष्ट्र संघ में यूक्रेन के चार क्षेत्रों के अवैध कब्जे की निंदा करने के लिए लाए गए मसौदा प्रस्ताव पर गुप्त मतदान की मांग के विरोध में वोट डाला। इस तरह भारत सहित संयुक्त राष्ट्र के 107 सदस्य देशों ने रूसी प्रस्ताव को खारिज कर ​दिया। भारत ने इससे पहले रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच लाए गए संयुक्त राष्ट्र में प्रस्तावों पर वोटि ग में भाग नहीं लेकर तटस्थ रुख अपनाया था।
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युद्ध लम्बा खिंचने के बाद अब यह सवाल सबके सामने है कि क्या अमेरिका और उसके सहयोगी देश राष्ट्रपति पुतिन को झुका पाएंगे। अमेरिका समेत लगभग 50 देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। प​िश्चमी देशों का यह रवैया कोई नया नहीं है। वह ऐेसे प्रतिबंध लगाकर या लगाने की धमकी देकर अन्य देशों से अपनी बात मनवाते रहे हैं। यूक्रेन युद्ध के बाद यूरोपीय देशों ने रूस पर आर्थिक पाबंदियां तो लगाईं लेकिन ऐसा करके उन्होंने अपने ही नागरिकों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दीं। गरीब देशों का तो इस समय बुरा हाल है, जो खाद्य पदार्थों के लिए शेष दुनिया पर निर्भर करते हैं। महंगाई से लोग परेशान हैं। तेल और कच्चे माल की सप्लाई के अभाव में यूरोपीय कम्पनियां बंद होने की कगार पर हैं। बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। अमेरिका और उसके मित्र देश सोच रहे थे कि स्विफ्ट भुगतान प्रणाली के माध्यम से वैश्विक लेन-देन से रूस को बाहर करने से रूस माल के निर्यात का भुगतान नहीं कर पाएगा और पुतिन को झुकना पड़ेगा लेकिन हुआ इसके विपरीत। रूस का निर्यात घटने  की बजाय बढ़ गया। रूस तेल और गैस के निर्यात से काफी राजस्व अर्जित करता रहा है। युद्ध के बाद तेल और गैस के निर्यात और बढ़ती कीमतों के चलते रूस को गैस और तेल से ही काफी फायदा होने वाला है।
एक ओर जहां यूरोप बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है, वहीं रूस पहले से अधिक मजबूत दिख रहा है। आज अमेरिका और यूरोपीय देश भयंकर मंदी के खतरे आैर महंगाई से गुजर रहे हैं और  इसमें रूस एक प्रमुख कारण बताया जा रहा है। अमेरिका में पिछली दो तिमाहियों में जीडीपी घटी है और यूरोपीय देशों की भी हालत कुछ ऐसी ही है। यूरोप में ऊर्जा संकट और धीमी ग्रोथ के कारण अब मंदी का चित्र साफ उभर रहा है। फिलहाल अमेरिका की हालत यूरोप जैसी नहीं है, लेकिन पिछली दो तिमाहियों में जीडीपी के संकुचन, तेजी से बढ़ रही महंगाई (जो अगस्त 2022 में 8.3 प्रतिशत रही है) और खासतौर पर ऊर्जा की बढ़ती कीमतें तथा फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर बढ़ाने के चलते अमेरिका भी मंदी की चपेट में आ सकता है। यूरोप अपनी तेल की जरूरतों के लिए 25 प्रतिशत तक रूस पर निर्भर करता है। पिछले साल यूरोप के लिए 40 प्रतिशत गैस की आपूर्ति रूस से हुई थी। अब जब आपूर्ति बाधित हो रही है तो यूरोप भयंकर ऊर्जा संकट में जाने वाला है। यूरोपीय देशों ने अपने कोयला आधारित विद्युत संयंत्रों को फिर से चलाने का निर्णय लिया है, लेकिन यह इतना आसान नहीं होगा।
दुनिया को इस समय शांति की जरूरत है। रूस-यूक्रेन युद्ध जिस चरम पर पहुंच रहा है उससे पूरी दुनिया में संकट बढ़ रहा है। युद्ध के परिणाम तो रूस और यूक्रेन को भुगतने पड़ेंगे लेकिन अमेरिका और यूरोपीय देश भी घातक परिणामों से बच नहीं पाएंगे। भारत का यह स्पष्ट स्टैंड है कि आज की दुनिया में युद्ध के लिए कोई जगह नहीं। युद्ध से मानवता कर्राह रही है। युद्ध को बातचीत की टेबल पर रही खत्म किया जा सकता है। उधर दुनिया में रूस नए समीकरण बनाने में जुटा हुआ है। रूस और सऊदी अरब के संबंध बहुत नजदीकी हो गए हैं। तेल उत्पादन कम करने के मामले में रूस और सऊदी अरब साथ-साथ खड़े हैं। दोनों ने ही तेल मुनाफे के लिए एक साथ खड़े होकर अमेरिका को झटका दिया है। हालांकि अमेरिका इससे काफी ​चिंतित है। युद्ध खत्म करने का एकमात्र मार्ग यही है कि यूक्रेन अपनी हठधर्मिता छोड़े और मानवता को बचाने के लिए शांति स्था​पना के ​लिए कदम आगे बढ़ाए तो रूस भी इसके​ लिए तैयार हो जाएगा। अमेरिका और उसके सहयोगी देश नाटो में यूक्रेन को शामिल करने की ​िजद छोड़े और युद्ध को समाप्त करने के​ लिए प्रयास करे। दुनिया भर में आर्थिक संकट शांति की स्थापना से ही हल हो सकते हैं, अन्यथा आने वाले दिनों में संकट बहुत विकराल हो जाएगा। सर्दियों में यूरोप में ऊर्जा की कमी से विद्युत संकट खड़ा होने की आशंका है।
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‘‘युद्ध केवल युद्ध नहीं होता
अंत में अधिक हिंसक, अधिक अमानवीय बन जाता है
यह बाज के पंजों में दबी नन्हीं चिड़िया का आर्दनाद है
युद्ध जीवन की सबसे बड़ी विफलता का दूसरा नाम है
जिन्हें युद्ध चाहिए अंत में मारे जाते हैं
जिन्हें युद्ध नहीं चाहिए अंत में वे  भी मारे जाते हैं
युद्ध के बाद कोई उम्मीद नहीं बचती।’’
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com
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