सलमान खुर्शीद का बयान, बोले क्या देशभक्त होना इतना मुश्किल है?
सलमान खुर्शीद का सवाल, देशभक्ति क्यों कठिन?
सलमान खुर्शीद ने सोशल मीडिया पर एक बयान दिया, जिसमें उन्होंने सवाल उठाया कि जब भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई लड़ रहा है, तब देशभक्ति पर सवाल क्यों उठाए जा रहे हैं। उन्होंने इसे दुखद बताते हुए कहा कि क्या देशभक्त होना इतना मुश्किल है। यह बयान कांग्रेस के आधिकारिक रुख से अलग माना जा रहा है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने सोमवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक ऐसा बयान दिया, जिसे उनकी पार्टी कांग्रेस के आधिकारिक रुख से हटकर माना जा रहा है। उन्होंने लिखा “जब भारत आतंकवाद के खिलाफ दुनिया भर में अपना संदेश पहुंचाने के मिशन पर होता है, तो देश में लोग राजनीतिक वफादारी का आकलन कर रहे हैं। यह दुखद है। क्या देशभक्त होना इतना मुश्किल है?” उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय पर आई है जब केंद्र सरकार ऑपरेशन सिंदूर के जरिए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ समर्थन जुटाने की कोशिश में जुटी है। सलमान खुद भी इस अभियान से जुड़े एक सांसदीय डेलिगेशन का हिस्सा हैं, जो दक्षिण एशिया और पूर्वी एशिया के देशों का दौरा कर रहा है।
When on mission against terrorism, to carry India’s message to the world, it’s distressing that people at home are calculating political allegiances. Is it so difficult to be patriotic?
— Salman Khurshid (@salman7khurshid) June 2, 2025
पार्टी लाइन से अलग बयान
सलमान खुर्शीद का यह बयान इसलिए भी खास बन गया है क्योंकि हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम मोदी पर ऑपरेशन सिंदूर को लेकर निशाना साधा था। खड़गे ने 1 मई को एक बयान में कहा था “पीएम मोदी को आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई पर खुद की तारीफ करना बंद करना चाहिए, और दुश्मन पर ध्यान देना चाहिए।” सलमान खुर्शीद का बयान पार्टी की उस लाइन से अलग माना जा रहा है, जो मौजूदा सरकार की विदेश नीति और आतंकरोधी अभियान पर सीधी आलोचना करती है।
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किन देशों में गया है डेलिगेशन?
सलमान खुर्शीद इस समय JDU सांसद केसी त्यागी के नेतृत्व वाले डेलिगेशन का हिस्सा हैं, जो ऑपरेशन सिंदूर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समर्थन दिलाने के लिए विदेश यात्रा पर है। डेलिगेशन अब तक इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया, जापान और सिंगापुर का दौरा कर चुका है। फिलहाल यह मलेशिया में मौजूद है।