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इन बेटियों को सलाम

इसमें कोई शक नहीं कि भारत में जितना दर्द पंजाब और कश्मीरी लोगों ने झेला है उसे लेकर हमारी सरकार पूरी तरह से अलर्ट है और उन योग्य अधिकारियों को मोर्चे पर ला रही है जो कश्मीरियाें के दुःख-दर्द को समझते हैं।

04:23 AM Nov 24, 2019 IST | Kiran Chopra

इसमें कोई शक नहीं कि भारत में जितना दर्द पंजाब और कश्मीरी लोगों ने झेला है उसे लेकर हमारी सरकार पूरी तरह से अलर्ट है और उन योग्य अधिकारियों को मोर्चे पर ला रही है जो कश्मीरियाें के दुःख-दर्द को समझते हैं।

इसमें कोई शक नहीं कि भारत में जितना दर्द पंजाब और कश्मीरी लोगों ने झेला है उसे लेकर हमारी सरकार पूरी तरह से अलर्ट है और उन योग्य अधिकारियों को मोर्चे पर ला रही है जो कश्मीरियाें के दुःख-दर्द को समझते हैं। यह सच है कि कभी कश्मीरियों को देश से आतंकवादियों के गुटों  द्वारा निकाले जाने की मुहिम शुरू हो गई थी। कश्मीर घाटी में 5 लाख से ज्यादा कश्मीरी पलायन कर गए थे। 
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इस मामले में हमारी बेटियां उस पाकिस्तान को बेनकाब कर रही हैं जो कश्मीर के मामले में दखल देता है। कल तक मोदी सरकार ने चाहे वह खुद पीएम मोदी हों या गृहमंत्री अमित शाह हों या फिर पूर्व गृहमंत्री और आज के रक्षामंत्री राजनाथ हों, सब ने कश्मीर में पाकिस्तान के स्टैंड को यूएनओ तक गलत साबित किया। इतना ही नहीं अमरीका में पाकिस्तान की उस नीयत और नीति को बेनकाब किया कि किस प्रकार वह हमारे यहां अशांति उत्पन्न करते हुए पत्थरबाजों को प्रोत्साहित करता था। 
हमारे देश की बेटियां चाहे वह अमरीका में तैनात डेलीगेट सुनंदा वशिष्ठ हों या अनन्या अग्रवाल या फिर अरुणिमा भार्गव, इन सबने हमेशा कश्मीरियों के खिलाफ पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों द्वारा किये गए जुल्मो-​िसतम की दास्तां को तो अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर उठाया ही और साथ ही वहां उपस्थित अन्य देशों के प्रतिनिधियों ने भी पाकिस्तान को आतंकवादी देश घोषित कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी। देश की बेटियों के इस फौलादी स्टाईल को, उनकी भारतीयता को और कश्मीर के प्रति उनके फर्ज को हम नमन करते हैं। इन सभी बेटियों पर हमें नाज है। 
इस कड़ी में मैं हमारे देश की बेटियों में से एक डेलीगेट सुनंदा वशिष्ठ के बारे में कहना चा​हूंगी- सुनंदा वशिष्ठ ने ह्यूमन राईट कमीशन की एक बैठक में कहा कि आज पाकिस्तान 370 को लेकर शोर मचा रहा है लेकिन उस दिन यह ह्यूमन राईट कमीशन वाले लोग कहां थे जब श्रीनगर में मेरे परिवार जैसे कितने ही लोगों को घरबार छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया गया। बंदूक की नोक पर हमें घरबार छोड़ने को मजबूर किया गया। 
मेरे पिताजी ने मुझे पढ़ाया और मैं आज इस पाकिस्तान की असलियत आपके सामने रख रही हूं जिसकी शह पर आतंकवादियों ने कश्मीरियों को कश्मीर घाटी छोड़ने के लिए मजबूर किया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के हुक्मरानों को आतंकियों और पत्थरबाजों के मरने की चिंता है, उन लोगों की चिंता नहीं है जिन फौज के जवानों और कश्मीरियों की छातियों पर गोलियां चलाई जा रही हैं और महिलाओं की इज्जत लूटी जा रही है। 
उन्होंने कहा कि कश्मीर में जनमत संग्रह का मैं विरोध करती हूं। पाकिस्तान हर मौके पर बेनकाब हो चुका है, उसे अपने किये पर शर्म आनी चाहिए और पूरी दुनिया के सामने माफी मांगनी चाहिए। इसी कड़ी में अनन्या अग्रवाल नाम की दूसरी डेलीगेट ने अपने विचार रखते हुए कहा कि अल्पसंख्यकों यानि कि हिंदुओं और कश्मीरियों पर इस पाकिस्तान द्वारा ट्रेंड किए गए आतंकवादियों ने कितने जुर्म किए, उसका जवाब पाकिस्तान ने कभी नहीं दिया। पाकिस्तान में 23 फीसदी अल्पसंख्यक थे जो आज 3 फीसदी रह गए हैं। पाकिस्तान ने इसका जवाब नहीं दिया। हमारे कश्मीर में पाकिस्तान को आतंकियों के मरने की चिंता है और 370 हटाने की चिंता है तो पाकिस्तान पहले अपने अन्दर झांके बल्कि उससे इसका हिसाब लिया जाना चाहिए। 
एक और ह्यूमन राईट सम्मेलन में हमारे देश की बेटी अरुणिमा भार्गव ने कश्मीर में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर और कश्मीरियों पर हुए अत्याचारों की तस्वीर प्रस्तुत की थी। देश की इन तीनों बेटियों ने पाकिस्तान की पोल खोल कर रख दी है और सरकार के उस एजेंडे को दुनिया के सामने रखा है जिसमें पाकिस्तान की इंसानियत का खून करने वाली फितरत नजर आती है। कुल मिलाकर मैं राजनीतिक रूप से अपने आपको रिजर्व रखती हूं लेकिन पाकिस्तान के इस मामले में हमारी बेटियां कर्त्तव्यपरायणता के साथ आगे बढ़ रही हैं, उनके प्रति समर्पित भाव जरूर रखना चाहती हूं और उम्मीद करती हूं कि वे यूं ही आगे बढ़ती रहें।
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